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तो क्या आदिवासियों की मांग नहीं होगी पूरी ? सरना कोड के मुद्दे पर झारखंड सरकार और भाजपा के बीच टकराव

सरना कोड के मुद्दे पर एक बार फिर झारखंड की झामुमो सरकार और भाजपा के बीच टकराव हो गया है. सांसद समीर उरांव ने कहा है कि सरना धर्म कोड जारी करने की प्रक्रिया में कई जटिलताएं हैं. इन्हें दूर कर समाधान निकाला जायेगा. तो वहीं झामुमो ने इसे लागू न करने को लेकर सवाल उठाया है.

Jharkhand Politics News रांची : भाजपा एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद समीर उरांव ने कहा है कि सरना धर्म कोड जारी करने की प्रक्रिया में कई जटिलताएं हैं. इन्हें दूर कर समाधान निकाला जायेगा. इस मुद्दे पर झामुमो के लोग भ्रम फैला रहे हैं. जनजातीय समूह के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा कैसे हो, उनका विकास कैसे हो, पलायन कैसे रुके और रोजगार मिले, इस पर बात होनी चाहिए. हेमंत सोरेन बयान तो जरूर देते हैं, लेकिन हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन भी महादेव की उपासना करते हैं. इसलिए वे भी सनातनी हैं. श्री उरांव राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद रविवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे.

कुछ लोग वोट बैंक की कर रहे राजनीति :

कार्यसमिति की बैठक में सरना धर्म कोड पर चर्चा हुई या नहीं, इस बाबत पूछने पर श्री उरांव ने कहा कि कुछ लोग वोट बैंक के लिए राजनीति कर रहे हैं. आंख में पट्टी बांध कर बात कर रहे हैं. लोकतांत्रिक और सामाजिक व्यवस्था को समझने की जरूरत है. पिछले कई दशकों तक जनजातीय समाज का विकास नहीं हुआ. संविधान में भी कई बातों की स्पष्टता नहीं है. जनजाति की परिभाषा अस्पष्ट है. श्री उरांव ने कहा कि हिंदू भारतीय जीवन पद्धति है. जीवन जीने की शैली है. जनजातीय समाज के विश्वास और आस्था को समझने की जरूरत है. इस समाज के उद्देश्यों को जानना होगा.

झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने उठाया सवाल- पेसा व सरना कोड पर भाजपा

शिबू सोरेन समेत यहां के आदिवासी मूलवासी प्रकृति पूजक हैं

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा बतायें कि कहां एकलव्य स्कूल खोलने में परेशानी हो रही है

ब्यूरोक्रेसी की मानसिकता आमजनों के लिए घातक

एक सवाल के जवाब में श्री भट्टाचार्य ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी की मानसिकता आमजनों के लिए घातक है. यह सेवा नहीं करते हैं, बल्कि एहसान करने की मानसिकता रखते हैं. यह मानसिकता जब तक खत्म नहीं होगी, तब तक सरकार की कल्याणकारी सोच धरातल पर नहीं उतरेगी.

झामुमो ने भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पेसा कानून और सरना धर्म कोड पर चर्चा नहीं किये जाने पर सवाल उठाया है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि आदिवासी हितों की बात करनेवाली देश भर से जुटे भाजपा नेताओं ने आदिवासियों के इन दो अहम सवालों पर कोई चर्चा नहीं की.

उन्होंने कहा कि पेसा आदिवासियों का रक्षा कवच है. सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने को लेकर विधानसभा से प्रस्ताव पारित किया गया है. इसको लेकर टीएससी ने भी राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा है. इस गंभीर मुद्दे पर भाजपा नेताओं ने मौन क्यों साध रखा है. रविवार को मीडिया से बातचीत करते हुए श्री भट्टाचार्य ने कहा कि यही नहीं, असम चाय बगान में वर्षों से काम करनेवाले लोगों को ट्राइबल का दर्जा नहीं देने के सवाल पर भी भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध ली है.

भाजपा सांसद समीर उरांव की ओर से उठाये गये सवाल पर श्री भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी बात समझ से परे है. शिबू सोरेन और यहां के मूलवासी व आदिवासी ऊर्जा व प्रकृति की पूजा करते आये हैं. भाजपा नेताओं को बताना चाहिए कि क्या उनके घोषणा पत्र में सरना धर्म कोड का मामला शामिल नहीं है.

इन्हें यह भी बताना चाहिए कि धर्मांतरण को लेकर किसकी सरकार में नीतियां बनीं. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के बयान पर श्री भट्टाचार्य ने कहा कि इन्हें खुल कर बताना चाहिए कि किस प्रखंड में इन्हें एकलव्य स्कूल खोलने में परेशानी हो रही है. फिलहाल श्री मुंडा अपने विधानसभा क्षेत्र में ही एकलव्य विद्यालय खुलवा रहे हैं. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि जब झारखंड में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई तब प्रधानमंत्री को भगवान बिरसा मुंडा की याद आयी.

Posted by : Sameer Oraon

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