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रघुवर दास के कार्यकाल में कार्यरत IAS अरविंद कुमार समेत अन्य के खिलाफ ACB जांच के आदेश, जानें पूरा मामला

सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अरविंद कुमार, सदस्य तकनीक आरएन सिंह और बिहार फाउंड्री एंड कास्टिंग के प्रोपराइटर गौरव बुधिया के खिलाफ एसीबी जांच का निर्देश दिया है

रांची: झारखंड की हेमंत सरकार ने रघुवर दास के कार्यकाल में कार्यरत तत्कालीन विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार समेत अन्य दो लोगों के खिलाफ एसीबी जांच के आदेश दिये हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने पद पर रहते हुए 25 हजार करोड़ रुपये सरकारी राशि में गड़बड़ी की थी. जिन लोगों के लिए एसीबी जांच के आदेश मिले हैं उनमें सदस्य तकनीक आरएन सिंह और बिहार फाउंड्री एंड कास्टिंग के प्रोपराइटर गौरव बुधिया हैं.

अरविंद कुमार बिहार कैडर के सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी हैं. पूर्व सीएम रघुवर दास के शासनकाल में राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष पद पर इनकी नियुक्ति हुई थी. सरकार बदलने के बाद उनसे त्यागपत्र ले लिया गया था. उनके खिलाफ 25 हजार करोड़ रुपये की अनियमितता का आरोप है, जिसे उन्होंने तत्कालीन पूर्व सदस्य तकनीक आरएन सिंह और बिहार फाउंड्री के मालिक गौरव बुधिया के सहयोग से किया.

आरोप है कि सभी ने मिलकर डीवीसी की बिजली दर कम कर दी, वहीं झारखंड बिजली वितरण निगम की दर बढ़ा दी. इसके लिए उद्यमी गौरव बुधिया ने औद्योगिक इकाइयों से नौ करोड़ रुपये वसूलकर दिये. इस निर्णय से बड़े औद्योगिक उपभोक्ता डीवीसी में शिफ्ट कर गये और राज्य सरकार को 25 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा.

डीवीसी का बिजली टैरिफ न बढ़े इसके लिए दिये नौ करोड़ रुपये

डीवीसी ने वर्ष 2019-20 के लिए नया बिजली टैरिफ प्लान नियामक आयोग में दिया था. डीवीसी कमांड एरिया की अधिकतर बिजली इंडस्ट्रियल एरिया ही उपभोग करती है. आरोप है कि डीवीसी का बिजली टैरिफ न बढ़े , इसके लिए गौरव बुधिया ने करीब नौ करोड़ रुपये औद्योगिक इकाइयों से वसूल कर तत्कालीन चेयरमैन अरविंद प्रसाद को दिया था.

बिजली की दर तय करने में अपनी भूमिका निभा रहा था सिंडिकेट

बताया गया कि राज्य में बिजली की दर तय कराने से लेकर घटाने तक का सिंडिकेट सक्रिय था. विद्युत नियामक आयोग बिजली की दर तय करने की नियामक संस्था है. सिंडिकेट की पूरी कोशिश अपने हित में कम से कम बिजली दर निर्धारण की होती है. इससे मांग के मुताबिक राजस्व नहीं मिलता और बिजली का घाटा बढ़ता ही जाता है.

Prabhat Khabar News Desk
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यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

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