26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाला : सदन में एटीआर पेश, चिह्नित कर्मचारियों की ली जायेगी पात्रता परीक्षा

विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने एटीआर और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट पेश की. एटीआर में कुल 30 बिंदुओं को शामिल किया गया है.

रांची : झारखंड विधानसभा नियुक्ति प्रोन्नति घोटाले में विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट में की गयी अनुशंसा के आलोक में अध्यक्ष सहित किसी अन्य के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी. न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय आयोग द्वारा विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद दिये गये सुझाव के आलोक में कार्रवाई नहीं करने का उल्लेख विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किये गये एक्शन टेकन रिपोर्ट(एटीआर) में किया गया है. रिपोर्ट में सिर्फ नियम विरुद्ध लिये गये गुरुत्तर दायित्व भत्ते(Post-gravity responsibility allowance) की वसूली की जायेगी. साथ ही न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट में आशुलिपिक, कंप्यूटर ऑपरेटर सहित अन्य पदों पर नियुक्ति के दौरान कुछ लोगों को विशेष लाभ दिये जाने के मामले में छह महीने के अंदर ऐसे लोगों की पात्रता परीक्षा आयोजित करने का आश्वासन दिया गया है.

विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने एटीआर और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय आयोग की रिपोर्ट पेश की. एटीआर में कुल 30 बिंदुओं को शामिल किया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि विधानसभा नियुक्ति प्रोन्नति घोटाले के आरोपों की जांच के लिए न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद की अध्यक्षता में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया था. आयोग की ओर से जांच के लिए 29 बिंदु निर्धारित किये गये थे. सभी बिंदु विधानसभा में नियुक्ति प्रोन्नति से संबंधित थे. रिपोर्ट में 29 में से 27 बिंदुओं में किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का उल्लेख किया गया है. जबकि सिर्फ एक बिंदु में गुरुत्तर दायित्व भत्ते की वसूली करने के फैसला का उल्लेख किया गया है.

Also Read: भानु प्रताप शाही को सत्ता पक्ष ने टोका, तो झारखंड विधानसभा में लगे जय श्रीराम के नारे

रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने विक्रमादित्य प्रसाद आयोग को जांच के लिए 29 बिंदु दिये थे. लेकिन विक्रमादित्य आयोग ने 30 बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपी. 30 वें बिंदु में विधानसभा के पूर्व अध्यक्षों को इस प्रकरण में जिम्मेवार मानते हुए कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी थी. न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय ने समीक्षा के दौरान पाया कि सरकार ने विक्रमादित्य प्रसाद आयोग को विधानसभा के किसी पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ किसी तरह के आरोपों की जांच के लिए अधिकृत नहीं किया था. ऐसी परिस्थिति में नैसर्गिक न्याय के नियम के आलोक में किसी का पक्ष सुनने बिना किसी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा सकती है. विधानसभा में हुई नियुक्ति के दौरान सरकार द्वारा लागू आरक्षण नीति का पालन नहीं होने की बात को स्वीकार किया गया है. लेकिन इस मामले में भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया गया है. इसके लिए न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की एक सदस्यीय आयोग द्वारा दिये गये सुझाव को आधार बनाया गया है. इस मामले में यह कहा गया है कि जब आरक्षण का कोटा भर जाता है, तो बाकी बचे हुए पद पर सीधी नियुक्ति की जाती है. सभी नियुक्तियां मेरिट के आधार पर की गयी हैं और वैध हैं. न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट में किसी की नियुक्ति या प्रोन्नति को अवैध नहीं करार दिया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें