रांची. झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता व झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सदस्य राम सुभग सिंह का मानना है कि कानूनी प्रक्रिया में परेशानी ज्यादातर वैसे लोगों को ही होती है, जो अपने अधिकारों के प्रति सचेत नहीं रहते हैं. कानून में आम आदमी का जो अधिकार है, उसकी जानकारी रखने के साथ-साथ सचेत रहने से लोगों को परेशानी दूर होगी. इसलिए आज कानून के प्रति जागरूकता जरूरी है. लोगों को जागरूक करने के लिए शहर से लेकर गांव तक अभियान चल रहा है. विधिक जागरूकता शिविर लगाये जा रहे हैं. इससे लोगों को जुड़ना चाहिए. जब लोग जुड़ेंगे, तो जागरूक होंगे. जागरूकता से समस्या के समाधान का रास्ता भी निकलेगा. यदि कोई समस्या हो, तो सबसे बेहतर विकल्प आपसी समझौता होता है. किसी प्रकार का केस लड़ने के पहले समझौते की संभावना पर ध्यान देना चाहिए. जब विकल्प नहीं बचा हुआ हो, तभी मुकदमा लड़ने का फैसला लेना चाहिए. राम सुभग सिंह झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता हैं. वह पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से वकालत कर रहे हैं. श्री सिंह शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवाल पर कानूनी सलाह दे रहे थे.
धनबाद की अंजलि का सवाल:
झालसा में मामला है. कब तक फैसला होगा?अधिवक्ता की सलाह :
देखिये, आपका मामला मध्यस्थता में है. दो-तीन डेट मिलेगी. समाधान नहीं होने पर वापस कोर्ट में मामला चला जायेगा.कोकर के मृणाल कुमार दास के सवाल:
हमारे मामले में हाइकोर्ट ने सिविल कोर्ट को आदेश दिया था, लेकिन सिविल कोर्ट पालन नहीं कर रहा है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
यदि हाइकोर्ट ने समय सीमा तय की है, तो आप पुन: हाइकोर्ट में जा सकते हैं.पश्चिम सिंहभूम के मो परवेज अंसारी के सवाल :
मेरे बड़े चाचा के नाम जमीन है. सरकार उसका अधिग्रहण कर रही है, लेकिन उन्हें वारिस नहीं माना जा रहा है.अधिवक्ता की सलाह :
सीओ से वंशावली बना कर दें. समाधान नहीं होता है, तो हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकते हैं.नामकुम के श्याम सुंदर महतो के सवाल :
हम तीन भाई हैं. तीनों ने पैतृक संपत्ति पर घर बनाया है. बड़े भाई उसमें से हिस्सा मांग रहे हैं. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
पैतृक संपत्ति पर तीनों भाइयों ने घर बना लिया है, तो आपके घर में बड़े भाई का हिस्सा नहीं बनता है.रांची के धनंजय महतो के सवाल :
वसीयतनामा से किसको लाभ मिलेगा और वसीयत लिखते समय क्या संबंधित व्यक्ति को मौजूद रहना जरूरी है.अधिवक्ता की सलाह
: जिसके नाम वसीयत लिखी गयी है, तो उसे ही लाभ मिलेगा. वसीयत लिखते समय लाभान्वित होनेवाले व्यक्ति को माैजूद रहना होता है.मेदिनीनगर के शशि आलोक सिन्हा के सवाल :
ट्रस्टी वेलफेयर कमेटी के पास एक डेथ क्लेम लंबित है. कब निबटारा होगा?अधिवक्ता की सलाह :
देखिये, लंबित डेथ क्लेम के बारे में तो एडवोकेट वेलफेयर ट्रस्टी कमेटी ही बता सकती है कि कब भुगतान होगा. हालांकि अभी कमेटी स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिलाने में जुटी हुई है. फंड आते ही जल्द ही डेथ क्लेम भी निष्पादित हो जायेगा.बुढ़मू के कमल मोदी के सवाल :
जमीन पर गलत तरीके से जमाबंदी कायम कर दी गयी है. उसे रद्द कराने के लिए वह क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
जमाबंदी रद्द करने के लिए आप अपनी जमीन के सारे दस्तावेजों के साथ सीओ, एलआरडीसी, डीसी आदि को आवेदन दें. कार्रवाई नहीं होती है, तो आप हाइकोर्ट में रिट दायर कर सकते हैं.इन्होंने भी पूछे सवाल :
प्रभात खबर की ऑनलाइन काउंसेलिंग में निर्धारित समय से पहले से लोगों के फोन आ रहे थे. समय बीतने के बाद भी राज्य की विभिन्न जगहों से फोन आते रहे. जिन लोगों ने सवाल किये, उन्हें अपनी सलाह से अधिवक्ता श्री सिंह ने पूरी तरह से संतुष्ट करने का प्रयास किया. वह लोगों को अनावश्यक मुकदमे से बचने की सलाह दे रहे थे. सबसे ज्यादा सवाल भूमि विवाद से संबंधित मामलों पर आये.लीगल काउंसेलिंग में इन लोगों ने भी सलाह ली :
सलाह लेनेवालों में करमटोली रांची के अमर खलखो, रामगढ़ के देवाशीष चटर्जी, खूंटी के सुधीर नायक, बेड़ो के जीतराम महतो व सईद अख्तर सिद्दीकी, बोकारो के मो आसिफ, सिमडेगा के अखिलेश कुमार मिश्रा और रांची की अन्ना सांगा आदि शामिल थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है