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ICAR-NISA के 100 साल : इनोवेशंस से बढ़ी कमाई, लाख को प्लांटेशन फसल में बदला

ICAR-NISA के 100 साल होने जा रहे हैं. रांची में स्थापित इस संस्थान के इनोवेशंस से किसानों की कमाई बढ़ी है. इसकी पहल ने लाख को प्लांटेशन फसल में बदल दिया.

ICAR-NISA: झारखंड की राजधानी रांची के नामकुम में एक ऐतिहासिक संस्थान है. नाम है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय कृषि उच्चतर पर संस्करण संस्थान. शुक्रवार (20 सितंबर 2024) को यह संस्थान स्थापना के 100 वर्ष पूरे करेगा. इसे भारतीय प्राकृतिक राल एवं गोंद अनुसंधान संस्थान तथा भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान के नाम से जाना जाता था. सितंबर 2022 में इसका नाम बदलकर आईसीएआर – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंड्री एग्रीकल्चर (ICAR NISA) कर दिया गया.

झारखंड, बंगाल समेत 6 राज्यों के 10 लाख किसानों को मिला लाभ

इस संस्थान ने कई इनोवेशन (नवाचार) किए हैं, जिसका फायदा किसानों को मिला है. लाखों किसानों को लाख (लाह) की वैज्ञानिक खेती के लिए प्रेरित किया है. खासकर झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बहुल इलाकों में किसानों को लाख की खेती से जोड़ा. ICAR NISA के इनोवेशन का लाभ इन राज्यों के 10 लाख से अधिक परिवारों को मिला है.

अनुसंधान और इनेवेशन से लाख उत्पादन में अग्रणी देश बना भारत

रांची के नामकुम स्थित 100 साल पुराने इस संस्थान ने अनुसंधान नवाचार और खेती प्रसंस्करण के साथ अन्य प्रयोगों के जरिए भारत को लाख उत्पादन में अग्रणी राज्य बनाने में मदद की है. कृषकों को लाख की खेती से जोड़ने के साथ-साथ इस संस्थान ने नीति निर्माण में भी योगदान दिया है. झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में लाख को कृषि उत्पाद घोषित किया जा चुका है. इसका समर्थन मूल्य भी सुनिश्चित हुआ है.

ICAR-NISA ने लाख को प्लांटेशन क्रॉप में बदला

ICAR NISA ने लाख को प्लांटेशन क्रॉप में भी बदल दिया है. इसके इस संस्थान के नवाचारों से 100 करोड़ से अधिक की कमाई हुई है. भारत सालाना लगभग 8,000 टन लाख और मूल्यवर्धित उत्पादों का निर्यात करता है. ICAR NISA के 100 साल पूरे होने पर शताब्दी समारोह का आयोजन होगा. इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शामिल होंगे.

ICAR NISA की कब हुई स्थापना

  • 20 सितंबर 2014 को भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान की स्थापना हुई थी. यह आईसीएआर के सबसे पुराने संस्थानों में एक है. इस संस्थान ने राष्ट्र को 100 साल की मूल्यवान सेवाएं दी हैं.
  • रांची के नामकुम में आईसीएआर – राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान (एनआईएसए), को पहले भारतीय प्राकृतिक राल और गोंद संस्थान के नाम से जाना जाता था.
  • सितंबर 2022 में माध्यमिक कृषि के सभी पहलुओं की सेवा करने के लिए अधिदेश में बदलाव के साथ आईसीएआर-एनआईएसए का नाम बदलकर आईसीएआर-राष्ट्रीय माध्यमिक कृषि संस्थान कर दिया गया.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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