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Political news : विस्थापन आयोग : आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण करेगा, सरकार को हर साल देगा रिपोर्ट

तीन वर्षों के लिए गठित होगा आयोग, कंपनियों द्वारा मिल रहीं सुविधाओं की भी करेगा निगरानी.

रांची.

राज्य सरकार ने विस्थापन और पुनर्वास आयोग के गठन की मंजूरी दे दी है. राज्य गठन के बाद से ही राज्य के विस्थापितों के हक-अधिकार के संरक्षण के लिए आयोग के गठन की मांग होती रही है. 25 वर्षों बाद विस्थापन और पुनर्वास आयोग धरातल पर उतरा है. इस आयोग पर राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग का प्रशासनिक नियंत्रण होगा. आयोग को हर साल वित्तीय लेखा-जोखा और अन्य कार्यों से संबंधित प्रतिवेदन राज्य सरकार को सौंपना है. राज्य सरकार ने आयोग के दायित्वों को भी परिभाषित किया है. आयोग का गठन सरकार तीन वर्षों के लिए करेगी.

विस्थापित परिवार के हितों की रक्षा की जिम्मेवारी

राज्य में किसी भी परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि के कारण विस्थापित हुए परिवार या समुदाय का सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक सर्वेक्षण आयोग करेगा. आयोग की जवाबदेही होगी कि वह विस्थापित परिवार के अधिकार और उनके हितों की रक्षा करे. आयोग विस्थापित परिवारों के व्यक्तियों के रोजगार, आय, उनका जीवन स्तर, शिक्षा व साक्षरता से संबंधित आंकड़े संग्रहित करेगा. फिर इसका विश्लेषण करेगा. इसके साथ ही विस्थापित परिवारों को कंपनियों द्वारा दी जाने वाली सेवा और सुविधा जैसे जलापूर्ति, स्वच्छता, विद्युत आपूर्ति आदि का भी आकलन करेगा. राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि आयोग सर्वेक्षण की विधि, आंकड़ों के संग्रहण और उसके विश्लेषण का तरीका अपने स्तर पर तय करेगा. इसके साथ ही आयोग को नियमित अंतराल में बैठक करनी है. राज्य सरकार समय-समय पर आयोग को दायित्व देगी, उसे भी पूरा करना है.

क्या होगा आयोग का स्वरूप, कौन-कौन होंगे शामिल

विस्थापन और पुनर्वास आयोग में एक अध्यक्ष होगा. अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होगा, जिसके पास सामुदायिक विकास और विस्थापन व पुनर्वास के कार्यों का न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव हो. इसके साथ ही दो सदस्य होंगे. एक सदस्य के पास प्रशासनिक अनुभव होना चाहिए. कम से कम संयुक्त सचिव स्तर के सेवानिवृत्त पदाधिकारी हों. दूसरे सदस्य सेवानिवृत्त जिला व सत्र न्यायाधीश हों या फिर 10 वर्षों के अनुभव वाले अधिवक्ता हों. तीन विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. ये तीनों सदस्य अवैतनिक होंगे. आयोग में संबंधित विस्थापन व पुनर्वास जिला के उपायुक्त, जिला परिषद के अध्यक्ष, पुनर्वास वाले प्रखंड के प्रखंड प्रमुख, पारंपरिक ग्राम प्रधान, मानकी मुंडा सदस्य होंगे. आयोग के अध्यक्ष-सदस्य का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा. सरकार आयोग को वित्तीय अनुदान भी देगी.

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