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Corona Impact: विदेशों में रह रहे रांचीवासियों ने सुनायी दास्तां, कहा- बचत के पैसे से चल रहा घर, मरीजों को देखने से बच रहे डॉक्टर

कोरोना वायरस का दहशत पूरी दुनिया में फैल चुका है. दुनिया के करीब 158 देश इसकी चपेट में आ चुके हैं. 6500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसकी चपेट में 1,69,524 लोग आ चुके हैं. सबसे अधिक मौत चीन में हुई है. अमेरिका जैसे देश में कोरोना से अबतक 68 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3,745 लोग संक्रमित बताये जा रहे हैं.

कोरोना वायरस का दहशत पूरी दुनिया में फैल चुका है. दुनिया के करीब 158 देश इसकी चपेट में आ चुके हैं. 6500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसकी चपेट में 1,69,524 लोग आ चुके हैं. सबसे अधिक मौत चीन में हुई है. अमेरिका जैसे देश में कोरोना से अबतक 68 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3,745 लोग संक्रमित बताये जा रहे हैं.

इटली को लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है. इधर, भारत में अभी तक 117 मामले सामने आये हैं. इस स्थिति में हमने राजधानी के ऐसे लोगों से संपर्क किया, जो विदेशों में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि विदेशों में जनजीवन काफी प्रभावित है़ इधर, भारत में स्थिति कंट्रोल में है. इन्हीं पर पढ़िए पूजा सिंह की रिपोर्ट.

फ्लू और कफ के मरीजों को देखने से बच रहे हैं डॉक्टर

आनंद, लंदन

रांची के आनंद लंदन में रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड में बतौर डायरेक्टर पेमेंट डिवीजन काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि लंदन में कोरोना वायरस का खौफ दिख रही है. हालांकि यहां की स्थिति बहुत गंभीर तो नहीं है, लेकिन इसे संतोषजनक भी नहीं कहा जा सकता. अभी पूरी तरह से लॉकडाउन की स्थिति नहीं है. स्कूल, कॉलेज और फिस खुले हुए हैं. स्कूल बंद करने की डिमांड हो रही है.

यहां जैसे ही कोरोना का शुरू खौफ हुआ, लोगों ने पैरासिटामोल, टिशू पेपर, पास्ता और जल्द खराब न होनेवाली खाद्य सामग्री को स्टोर करना शुरू कर दिया. भारतीयों को परेशानी यह है कि अभी आटा-चावल की किल्लत है. ये चीजें मिल भी रही हैं, तो उसकी राशनिंग हो रही है. हालांकि ब्राउन राइस जैसे आॅप्शन उपलब्ध हैं. यहां जेनरल प्रैक्टिशनर फ्लू और कफ के मरीजों को देखने से बच रहे हैं और फोन पर सलाह दे रहे हैं. नेशनल हेल्थ सर्विस की स्थिति यह है कि लंबी कतार है.

अगर आप बहुत सीरियस हैं तो एंबुलेंस के जरिये आपको ले जाया जायेगा. आम सर्दी-खांसी बुखार में डॉक्टर से संपर्क नहीं हो पा रहा है. केस अगर कोरोना पॉजिटिव है तो नेशनल हेल्थ सर्विस में जगह मिलेगी, लेकिन टेस्टिंग सेंटर बहुत कम हैं. जो भारतीय यहां रह रहे हैं, उनकी चिंता यह है कि उनके माता-पिता जो वहां गये हुए हैं, उनका हेल्थ इश्योरेंस ज्यादा कवर नहीं हो पा रहा है. इसलिए वह लोग अपने माता-पिता को भारत भेजना चाह रहे हैं. क्योंकि यहां सरकार ज्यादा एक्टिव दिख रही है और यहां स्वास्थ्य सुविधाएं भी ज्यादा दी जा रही हैं. जो वृद्ध अकेले हैं उन्हें जरूरी सामान खरीदना भी मुश्किल है.

वियतनाम में बचत के पैसे से चल रहा है जनजीवन

पायल केसरी, वियतनाम

वियतनाम में रह रही पायल केसरी ने बताया कि यहां का जनजीवन कोरोना से काफी प्रभावित हो चुका है. सभी काम ठप हो गये है़ं हमारा काम भी बंद हो गया है़ 10 मार्च से फिटनेस सेंटर को बंद रखने का आदेश दिया गया है. स्कूल, कॉलेज, मॉल्स और रेस्टोरेंट को बंद करने का निर्देश आ चुका है. लोगों में ऐसा डर हो गया है कि किसी के खांसने पर उसे डॉक्टर के पास भेज दिया जा रहा है़ हम अपनी सेविंग के पैसे से यहां रह रहे है़ं अगर इसी तरह की स्थिति रही, तो शीघ्र ही भारत लौट जायेंगे. अब तो इंटरनेशनल फ्लाइट भी बंद हो रही है़ं मेरे कई दोस्त वियतनाम घूमने आये हुए हैं, वो भी यहां आकर फंस गये है़ं घरवाले काफी परेशान है़ं

अमेरिका की दुकानों में नहीं मिल रही जरूरत की चीजें

अभिषेक, अमेरिका

मैकी रोड निवासी अभिषेक कुमार अपने परिवार के साथ स्टैमफोर्ड (अमेरिका) में 10 वर्षों से रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां की स्थिति काफी खराब है़ सभी स्कूल, कॉलेज और मॉल बंद कर दिये गये है़ं लोग राशनिंग करने लगे हैं, जिस कारण दुकानों में जरूरत की चीजें उपलब्ध नहीं हैं. दूध और पानी की बोतल तक नहीं मिल रही है़.

अभिषेक ने बताया कि होली बाद इंडिया से लौटे हैं. यहां एयरपोर्ट से लेकर हर जगह लोगों का आवागमन कम हो चुका है. रेस्टोरेंट में जाने पर पाबंदी है़ हालांकि ऑनलाइन फूड ऑर्डर कर सकते है़ं बाहर निकलने से पहले मास्क लगाना पड़ रहा है. उनकी पत्नी टीचर हैं. उन्हें बच्चों को घर से ही पढ़ाने का ऑर्डर मिला है़ वह ऑनलाइन पढ़ायेंगी. वहीं जिन स्कूलों में जरूरतमंद बच्चों को फूड की आवश्यकता है उन्हें लोग मिल कर खाने पीने की चीजें उपलब्ध करा रहे हैं.

बैंकॉक में सड़कों पर सन्नाटा घरों से नहीं निकल रहे लोग

प्रीति, बैंकॉक

खूंटी की रहनेवाली प्रीति छह वर्षों से बैंकॉक में योग ट्रेनर के रूप में जॉब कर रही हैं. उन्होंने कहा कि यहां कोरोना का डर इस तरह फैल गया है कि लोग सुपर मार्केट से एडवांस में दो महीने का राशन खरीद चुके हैं, ताकि घर से बाहर नहीं निकलना पड़े. यहां के बैंक, ऑफिस, स्कूल और कॉलेज आदि को सुरक्षा को लेकर बंद कर दिया गया है.

मार्केट में जरूरी चीजें नहीं मिल रही हैं. किसी दुकान में मास्क और सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं हैं. बहुत जरूरी होने पर ही लाेग घर से बाहर निकल रहे है़ं जहां वह योग की ट्रेनिंग देती हैं, वहां भी लोगों का आना कम हो गया है़ सभी एक-दूसरे से दूरी बनाकर रह रहे हैं. मामूली सी सर्दी-खांसी होने पर डर बढ़ जा रहा है. कोरोना वायरस के कारण यहां का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है़ यहां की सड़कों और मॉल में सन्नाटा पसरा हुआ है. परिवारवाले फोन पर सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं.

15 दिनों से पति-पत्नी घर से कर रहे हैं ऑफिस का काम

शालिनी सिंह, वाशिंगटन

हिनू की शालिनी सिंह और उनका परिवार रेडमॉन्ड वाशिंगटन स्टेट में रहता है़ शालिनी सिंह स्मार्ट शीट कंपनी में सीनियर साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जबकि पति अभिषेक माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में प्रिंसिपल साॅफ्टवेयर इंजीनियर है़ं इनका परिवार 12 वर्षों से यहां रह रहा है.

कोरोना इफेक्ट पर शालिनी ने बताया कि कोरोना वायरस का असर यहां काफी पड़ा है़ पिछले दो सप्ताह से ऑफिस का काम घर से ही करने का निर्देश जारी किया गया है. पति-पत्नी घर से ही ऑफिस का काम कर रहे हैं. बेटा रूद्र की क्लास भी ऑनलाइन चल रही है. सभी बच्चों के साथ टीचर ऑनलाइन तीन बार 30 मिनट की मीटिंग कर रहे हैं. यहां के गवर्नर का ऑर्डर आया है कि सभी स्कूल 25 अप्रैल तक बंद रहेंगे. सरकार के आदेश पर रेस्टोरेंट, बार, मूवीज आदि को बंद कर दिया गया है़ हालांकि कुछ रेस्टोरेंट से ऑर्डर कर घर पर खाने की चीजें मंगायी जा रही है.

कोरोना को लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं

मनोचिकित्सकों की सलाह

कोरोना वायरस का असर लोगों पर ऐसा पड़ रहा है कि हल्की सर्दी-खांसी से भी सभी डर जा रहे हैं. कोरोना का असर शारीरिक से ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल रहा है़ लोगों में कोरोना फोबिया समा गया है़ इसको लेकर राजधानी के मनोचिकित्सक भी सजग दिख रहे हैं. वे लोगों को सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना को लेकर झारखंड में आज से स्कूल, कॉलेज, सिनेमा घर, मल्टीप्लेक्स बंद करने की घोषणा हो चुकी है़ लोग इस घोषणा से पैनिक न हों. आपको किसी चीज से डरने की जरूरत नहीं है़ यह निर्णय सावधानी के लिए लिया गया है. इसलिए पैनिक बनने की जरूरत नहीं है.

डरने की नहीं, बचने की जरूरत है

कोरोना वायरस लोगों को भयभीत कर रहा है़ डर समा गया है कि उन्हें कहीं यह बीमारी न हो जाये. कोरोना से संबंधित जानकारी व रिपोर्ट मोबाइल, सोशल मीडिया आदि पर लगातार चल रही हैं. इस कारण भय का वातावरण हो गया है़ लेकिन इससे डरने की नहीं बचने की जरूरत है़ सरकार ने जो एडवाइजरी जारी की उसे ही फॉलो करना है़ किसी भी तरह की दवा आदि न खायें. कोरोना बढ़े नहीं इसलिए शिक्षण संस्थान आदि बंद किये गये है़ं, ताकि यह महामारी यहां न फैले. सोशल मीडिया से अच्छी चीजों को लें. हालांकि इसका असर लोगों के मानसिक और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है़

डॉ अमोल रंजन, वरीय मनोचिकित्सक

भ्रम से बचने की कोशिश करें

सोशल मीडिया और मोबाइल पर चले रहे कोरोना वायरस की सूचना को जागरूकता के तौर पर लें. पैनिक होने की जरूरत नहीं है़ इस तरह के मैसेज से भ्रम न आये कि कोरोना फैल जायेगा. भ्रम से बचने की कोशिश करें. झारखंड में कोरोना का साइकोलॉजिकल इंपैक्ट ज्यादा नहीं मिला है. मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है़ राजधानीवासी इसे लेकर पैनिक न हो. लोगों को जागरूकता फैलाना चाहिए कि किसी भी प्रकार के दुष्प्रचार से बचें. डब्ल्यूएचओ और सरकार की गाइड लाइन पढ़ें. राजधानीवासियों को कोरोना वायरस से डरना नहीं है़ हालांकि इसके लिए सतर्कता बरतने की जरूरत है़

डॉ सुवेश सिन्हा, मनोचिकित्सक

सरकार के आदेश का पालन करें

कोरोना वायरस के प्रति लोगों को जागरूक नहीं किया गया, तो सभी पैनिक हो सकते है़ं उनमें फोबिया का लक्षण दिख सकता है. इसलिए किसी भी प्रकार से पैनिक होने की जरूरत नहीं है़ हालांकि कोरोना वायरस को लेकर लोग इतना डर चुके हैं हल्की सी सर्दी-खांसी पर जांच कराने पहुंच जा रहे हैं. लेकिन झारखंड में अभी तक कोई कोरोना पॉजिटिव केस नहीं मिला है. इसलिए सबको सजग रहने की जरूरत है. इस फोबिया को अवेयरनेस के माध्यम से ही रोका जा सकता है़ लोग सरकार के आदेश का पालन करें और सोशल मीडिया की सूचना को जागरूकता के तौर पर लें.

डॉ केशव, मनोचिकित्सक

डरे लोगों को डॉक्टर समझायें

सोशल मीडिया जागरूक करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन लोग इसे निगेटिव तरीके से ले रहे हैं. कह सकते हैं कि सोशल मीडिया लोगों को प्रभावित कर रहा है़ इससे मास लेवल पर कोरोना वायरल के खौफ का असर दिख रहा है़ इससे लोगों को अपने विवेक से काम लेने की जरूरत है़ सबको समझना होगा कि इस बीमारी की गाइडलाइन क्या है? अनावश्यक डरने की जरूरत नहीं है़ सावधानी और डर के बीच की पतली लाइन को समझना होगा. सर्दी-खांसी से डरे हुए लोग डॉक्टर के पास पहुंच रहे हैं, ऐसे लोगों को चिकित्सकों को समझाने की जरूरत है़

डॉ संजय कुमार मुंडा, एसोसिएट प्रोफेसर, सीआइपी

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