प्रतिनिधि, डकरा.
कोल इंडिया में कोयला सैंपलिंग की नयी व्यवस्था के विरोध में गुरुवार को एनके एरिया के केडीएच, डकरा, पुरनाडीह परियोजना से कोयला व्यवसायी ने कोयला नहीं उठाया. ज्ञात हो कि कोयला कंपनी उपभोक्ताओं की मौजूदगी में डिस्पैच किये जा रहे कोयले का नमूना लेगी और मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में जांच करायेगी. परिणाम जो भी आयेगा विक्रेता और खरीदार दोनों को मानना होगा. प्रारंभिक बिलिंग घोषित ग्रेड पर होगी और बाद में परिणाम के अनुसार आवश्यक डेबिट या क्रेडिट नोट जारी किये जायेंगे. अगर खरीदार मौजूद नहीं रहता है तो सैंपलिंग और रिजल्ट को अवैध माना जायेगा. यदि कोई उपभोक्ता यह व्यवस्था स्वीकार नहीं करता हैं तो वह थर्ड पार्टी सैंपलिंग का विकल्प भी चुन सकता है. लेकिन उपभोक्ता इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं. उनका कहना है कि सैंपलिंग करने के बाद ही ग्रेड का निर्धारण हो. फिर वह अपनी जरूरत के हिसाब से कोयले की बुकिंग करेंगे. यह मामला अब कोयला क्षेत्र में तूल पकड़ता जा रहा है. अक्तूबर से इस नियम को लागू कर दिया गया है.प्रति टन हजार रुपये का हो रहा नुकसान :
विरोध कर रहे लोगों ने बताया कि नये नियम से हमलोगों को प्रति टन एक हजार रुपये का नुकसान हो रहा है. कहा कि पहले ग्रेड तय कर उसी आधार पर कंपनी बिडिंग करे ताकि व्यवासायी अपनी जरूरत के अनुसार बिडिंग कर कोयले की खरीदारी करेंगे. कहा कि मामले को लेकर वे पूरे कोल इंडिया स्तर पर आंदोलन की रुपरेखा तैयार कर रहे हैं.स्टेक होल्डरों का हित देखना होगा : कमलेश
सीसीएल सलाहकार समिति सदस्य कमलेश कुमार सिंह ने कहा कि ग्रेड स्लीपेज की शिकायत के आलोक में बना नया नियम में स्टेक होल्डरों के हितों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है. क्योंकि कंपनी के आर्थिक व्यवस्था में इनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता है. उन्होंने कोल इंडिया प्रबंधन से मांगकी है कि जल्द मामले को सुलझाया जाये.09 डकरा 01 कांटा घर में खड़े ट्रक.
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