मनोज सिंह, रांची.
कोल इंडिया में स्थायी कर्मियों की संख्या लगातार घट रही है. 20 वर्षों में स्थायी कर्मियों की संख्या 2.32 लाख से अधिक घटी है. कोल इंडिया अब कोयला उत्पादन के लिए आउटसोर्स पर भरोसा कर रहा है. कोयला उत्पादन के कई नये मोड हाल के वर्षों में आये हैं. अब मजदूर यूनियन इसको मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. इस दौरान कोयला उत्पादन में करीब तीन गुना वृद्धि हो गयी है. कोल इंडिया ने वर्ष 2006 में करीब 343 मिलियन टन के आसपास उत्पादन किया था. अब कंपनी करीब 900 मिलियन उत्पादन के करीब पहुंच गयी है.2006 में 4.50 लाख कर्मी थे, वर्तमान में 2.20 लाख हैं
2006 में कोल इंडिया में करीब 4.52 लाख कर्मी थे. वर्तमान में सिर्फ 2.20 लाख कर्मी रह गये हैं. इसीएल और बीसीसीएल में इस दौरान करीब 50-50 हजार स्थायी कर्मी कम हुए हैं. इसीएल में 2006 में 1.01 लाख से अधिक कर्मी थे, जो 2025 में 46 हजार के आसपास पहुंच गये हैं. इसी तरह बीसीसीएल में 87 हजार से अधिक कर्मी 2006 में थे, जो घटकर 32 हजार के करीब पहुंच गये हैं. सीसीएल में भी 2006 में 64 हजार से अधिक कर्मी थे, यह संख्या घटकर 33 हजार के आसपास रह गयी है.हर साल घट रहे 2500 से 3000 कर्मी
कोल इंडिया की विभिन्न कंपनियों से हर साल 2500 से तीन हजार कर्मी कम हो रहे हैं. इसमें अधिकतर रिटायर हो रहे हैं. कोल इंडिया में कर्मियों की अंतिम बहाली 1990 के आसपास हुई. इसके बाद तकनीकी पद, जमीन के बदले नौकरी और अनुकंपा पर ही कर्मी रखे गये हैं. इस कारण 2027 से 2029 के बीच सबसे अधिक कर्मी रिटायर हो जायेंगे. कंपनी ने इस दौरान बहाली नहीं की, तो अगले पांच साल में एक से डेढ़ लाख कर्मी ही कोल इंडिया में बच जायेंगे.
क्या कहते हैं यूनियन सदस्य
हमलोगों ने अपनी भावना से कोयला मंत्रालय के सचिव और कोल इंडिया के चेयरमैन को अवगत करा दिया है. उनसे आग्रह किया है कि विभागीय उत्पादन और आउटसोर्स उत्पादन का अनुपात तय करें. किसी भी स्थिति में विभागीय उत्पादन 50 फीसदी से कम नहीं होना चाहिए. इससे कंपनी में स्थायी कर्मियों की उपस्थिति बनी रहेगी. ऐसा नहीं करने से संतुलन गड़बड़ हो जायेगा. अगर सरकार ने हम लोगों की बातों को गंभीरता से नहीं लिया, तो आंदोलन करेंगे.संजय कुमार चौधरी, अध्यक्ष, अखिल खदान मजदूर संघB
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