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झारखंड नेत्र सोसाइटी के एनुअल कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले डॉक्टरों को पहली बार मिलेगा सीएमई क्रेडिट आवर

एक राज्य में अर्जित सीएमई क्रेडिट आवर दूसरे राज्य में मान्य नहीं होता. ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले डॉक्टर्स को भी सीएमई क्रेडिट आवर नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए भी इसकी जरूरत पड़ती है, लेकिन अलग-अलग राज्य में अलग-अलग सीएमई क्रेडिट आवर का प्रावधान है.

झारखंड के डॉक्टरों की 20 साल की लड़ाई रंग लाई. आखिरकार स्वास्थ्य विभाग ने अब राज्य के डॉक्टरों को सीएमई क्रेडिट आवर देने का रास्ता साफ कर दिया है. सूबे के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण सिंह ने झारखंड ऑप्थाल्मोलॉजिकल सोसाइटी की साइंटिफिक कमेटी की चेयरपर्सन डॉ भारती कश्यप को इसका पत्र सौंप दिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों नारी शक्ति पुरस्कार प्राप्त कर चुकीं रांची की डॉ भारती कश्यप ने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) को बताया कि 31 मार्च से दो अप्रैल तक हजारीबाग में झारखंड नेत्र सोसाइटी के एनुअल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले डॉक्टरों को पहली बार सीएमई क्रेडिट आवर का अलॉटमेंट होगा. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में पत्र हमें मिल चुका है. उन्होंने कहा कि झारखंड के डॉक्टर 20 साल से इसकी मांग कर रहे थे. उन्होंने विभाग के इस फैसले पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि सभी डॉक्टरों के लिए यह एक उपलब्धि है. खासकर रिसर्च करने और सेमिनार में भाग लेने वाले डॉक्टरों के लिए यह बहुत अच्छी खबर है. उन्होंने कहा कि झारखंड में आयोजित होने वाले सभी मेडिकल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले डॉक्टरों को अब सीएमई क्रेडिट आवर्स मिलेंगे.

क्या है सीएमई क्रेडिट आवर

सीएमई क्रेडिट का फुल फॉर्म कंटीन्यूइंग मेडिकल एजुकेशन क्रेडिट है. सीएमई आवर्स यह बताता है कि एक डॉक्टर ने अपने आपको कितना अपग्रेड किया है. वह पेशेगत की जरूरतों के अनुरूप खुद को अपग्रेड कर रहा है या नहीं. अथवा जिस रजिस्ट्रेशन बॉडी में वह पंजीकृत है, उसके मानकों के अनुरूप काम करने में सक्षम है या नहीं. मेडिकल के क्षेत्र में वह अपना कितना ज्ञानवर्द्धन कर रहा है. बता दें कि सीएमई क्रेडिट आवर डॉक्टरों की डायग्नोस्टिक, मेडिकल ट्रीटमेंट और सर्जिकल ट्रीटमेंट में उनकी गुणवत्ता और क्षमता में वृद्धि को प्रमाणित करने वाला मापक है. जिस डॉक्टर के पास पर्याप्त सीएमई क्रेडिट आवर्स हैं, उनके लिए माना जाता है कि वे अपने क्षेत्र में लगातार गुणवत्तापूर्ण काम कर रहे हैं. वह लगातार पढ़ रहे हैं, आने वाले समय की जरूरत के हिसाब से अपने आप को तैयार कर रहे हैं. खुद को अपग्रेड कर रहे हैं. रोगों की पहचान और इलाज के लिए नवीनतम तकनीक की जानकारी ले रहे हैं. उससे वाकिफ हैं.

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एक सीएमई में कितने घंटे होते हैं

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 3 घंटे के कॉन्फ्रेंस में एक सीएमई क्रेडिट आवर मिलता है. एक दिन में छह घंटे के कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले डॉक्टर को 2 सीएमई क्रेडिट आवर मिलते हैं. अगर कॉन्फ्रेंस तीन दिन का हो और हर दिन का सेशन 6 से 8 घंटे का हो, तो उसमें 6 से 8 सीएमई क्रेडिट आवर मिल जाते हैं. इस तरह एक डॉक्टर साल में एक या दो कॉन्फ्रेंस में शामिल हो जाए, तो आसानी से उसे 6 से 8 सीएमई क्रेडिट आवर मिल जाते हैं. 5 साल में आसानी से उन्हें 30 क्रेडिट आवर मिल जाता है.

20 लाख से अधिक लोगों की मुफ्त आंख जांच कर चुकीं हैं भारती कश्यप

झारखंड में 20 लाख से अधिक बच्चों और उनके अभिभावकों की आंखों की जांच कर चुकीं नारी शक्ति सम्मान से पुरस्कृत डॉ भारती कश्यप ने यह भी बताया कि नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने सीएमई क्रेडिट आवर को लेकर जो नियम बना रखे हैं, उसमें भी कुछ संशोधन की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि एक राज्य में अर्जित सीएमई क्रेडिट आवर दूसरे राज्य में मान्य नहीं होता. ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले डॉक्टर्स को भी सीएमई क्रेडिट आवर नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए भी इसकी जरूरत पड़ती है, लेकिन अलग-अलग राज्य में अलग-अलग सीएमई क्रेडिट आवर का प्रावधान है. वहीं, कुछ ऐसे भी राज्य हैं, जहां सीएमई क्रेडिट आवर, रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण और सरकारी नौकरी में इसका प्रावधान है ही नहीं.

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Mithilesh Jha
Mithilesh Jha
प्रभात खबर में दो दशक से अधिक का करियर. कलकत्ता विश्वविद्यालय से कॉमर्स ग्रेजुएट. झारखंड और बंगाल में प्रिंट और डिजिटल में काम करने का अनुभव. राजनीतिक, सामाजिक, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय विषयों के अलावा क्लाइमेट चेंज, नवीकरणीय ऊर्जा (RE) और ग्रामीण पत्रकारिता में विशेष रुचि. प्रभात खबर के सेंट्रल डेस्क और रूरल डेस्क के बाद प्रभात खबर डिजिटल में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर काम. वर्तमान में झारखंड हेड के पद पर कार्यरत.

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