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सीएम हेमंत ने लिखा पीएम मोदी को पत्र, मांगा जीएसटी कंपनसेशन के 2500 करोड़

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में जीएसटी लागू करने के समय किया गया वादा याद दिलाया है. कहा है कि वादे के मुतािबक जीएसटी मुआवजे की भरपाई नहीं करने से राज्य और केंद्र के बीच विश्वास की कमी होगी.

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में जीएसटी लागू करने के समय किया गया वादा याद दिलाया है. कहा है कि वादे के मुतािबक जीएसटी मुआवजे की भरपाई नहीं करने से राज्य और केंद्र के बीच विश्वास की कमी होगी. उन्होंने राज्य के सामने पैदा हुए आर्थिक संकटों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री से जीएसटी कंपनसेशन का बकाया 2500 करोड़ दिलाने की मांग की है.

पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है कि एक जुलाई 2017 को मध्य रात्रि में आपने जीएसटी लागू किया. इससे देश के लिए एक नये युग की शुरुआत होने की बात कही थी. मैं यह देख रहा था कि कैसे आप यह कह रहे हैं, जबकि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आपने इसका विरोध किया था. जीएसटी लागू करते वक्त सभी राज्यों से यह कहा गया था कि इससे होनेवाले घाटे की भरपाई पांच साल तक केंद्र सरकार करेगी.

लेकिन, चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इस मद के 2500 करोड़ रुपये केंद्र सरकार ने नहीं दिये हैं. पिछले दिनों जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री ने जीएसटी मुआवजा की राशि देने के बदले करोड़ों रुपये का कर्ज लेने का सुझाव दिया था. राज्य यह सोच भी नहीं सकता था कि केंद्र अपने वायदे से मुकरते हुए राज्यों को और अधिक कर्ज लेने का सलाह देगी. जीएसटी लागू करते समय किये गये वायदों और देश के समक्ष की गयी घोषणाओं के मद्देनजर राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया था.

हालांकि, इसके समर्थन से राज्य की अपनी शक्ति खत्म हो गयी. जीएसटी लागू होने से पहले राज्य सरकार के पास टैक्स लगाने का अधिकार था, जिससे वह अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए राजस्व जुटाती थी. जीएसटी लागू होने के बाद राज्य की यह शक्ति पूरी तरह खत्म हो गयी और उसे केंद्र पर निर्भर होना पड़ा.

टाना भगत बात करें, सरकार संज्ञान लेगी : मुख्यमंत्री ने आंदोलनरत टाना भगतों को संदेश दिया गया है कि वे आकर बात करें. उनके मामलों पर सरकार ध्यान देगी और संज्ञान लेगी.

सीएम ने वादा याद दिलाया : वादा करने के बावजूद मुआवजा नहीं देने से केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच विश्वास की कमी होगी

जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री ने कर्ज लेने का सुझाव दिया था, राज्य यह सोच भी नहीं सकता

राज्य के समक्ष पैदा हुए आर्थिक संकटों का दिया हवाला, कहा : कर्मचारियों को वेतन देने में भी दिक्कत

राज्य के कर्मियों को वेतन देने में हो रही परेशानी : सीएम ने लिखा है कि कोविड-19 के कारण राज्य सरकार आर्थिक परेशानियों का सामना कर रही है. उसे कर्मचारियों को वेतन देने में दिक्कत हो रही है. इसी बीच सात लाख मजदूर भी झारखंड वापस आ गये. उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी सरकार को पैसों की जरूरत है. केंद्र सरकार को झारखंड सरकार सेस के रूप में भी पांच हजार करोड़ रुपये का योगदान देती ही है, लेकिन बदले में उसे सिर्फ 150 करोड़ रुपये का प्रति माह की दर से मुअावजा मिलता है.

राज्य के सामने पैदा हुए इस आर्थिक संकट में यह उम्मीद थी कि केंद्र सरकार अपने वायदे के मुताबिक पांच साल तक जीएसटी कंपनसेशन का नियमित रूप से भुगतान करती रहेगी और कोविड की वजह से कुछ अतिरिक्त सहायता भी देगी. लेकिन वित्त मंत्री ने जीएसटी मुआवजा देने में पूरी तरह असमर्थता जताते हुए राज्य को कर्ज लेने की सलाह दी है. वर्तमान परिस्थितियों में कर्ज लेने पर राज्य की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी. आप वित्त मंत्री को निर्देश दें कि वह मुआवजे की राशि दें, जिससे केंद्र व राज्य में विश्वास कायम रहे.

पीएम को राज्य की व्यथा बतायी है – हेमंत सोरेन : सीएम ने पत्र भेजने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पीएम को राज्य की व्यथा बतायी है. राज्य को आगे ले जाने के लिए संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है. सभी राज्यों ने विश्वास के तहत देश को आगे ले जाने के लिए उद्देश्य से इनके वादों पर घुटने टेक दिये थे. हमने सारी रीढ़ की हड्डी उनको निकाल कर दे दी थी. केंद्र का भी दायित्व बनता है कि वे राज्यों का ध्यान रखें. अब जिस तरीके से चीजें बढ़ रही हैं, इससे राज्य सरकार को आगे आनेवाले दिनों में दिक्कत बढ़ेगी.

Post by : Pritish Sahay

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