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Ranchi news : केंद्र और राज्य के पेच में फंसे 55 हजार से अधिक किसान

अब तक शुरू नहीं हुई बिरसा हरित ग्राम योजना, निबंधन के बाद भी किसान नहीं कर पा रहे पौधरोपण

मनोज सिंह, रांची.

केंद्र और राज्य सरकार के बीच 55 हजार से अधिक किसान परिवार फंस गया है. बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत प्लांटेशन कराने के लिए इन किसानों ने निबंधन करा लिया है, लेकिन पौधा नहीं मिल रहा है. राज्य सरकार ने पौधा आपूर्तिकर्ताओं को बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है. पौधा आपूर्तिकर्ताओं के पास राज्य सरकार का करोड़ों रुपये बकाया हो गया है. इस बार राज्य सरकार पौधा लेने का प्रयास कर रही है, लेकिन पौधा आपूर्तिकर्ताओं का सहयोग नहीं मिल रहा है. पौधा आपूर्तिकर्ताओं ने राज्य सरकार से कई बार बकाया भुगतान का आग्रह किया, लेकिन भुगतान नहीं हो पाया है. मनरेगा में मेटेरियल की 75 फीसदी राशि भारत सरकार देती है. मेटेरियल मद का पैसा भारत सरकार से राज्य को नहीं मिल रहा है. राज्य और केंद्र सरकार के इस पेच में राज्य के 55 हजार किसानों के साथ-साथ आपूर्तिकर्ता भी फंस गये हैं.

इस वर्ष 50 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य

मनरेगा अंतर्गत बिरसा हरित ग्राम योजना झारखंड सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसकी समीक्षा समय-समय पर स्वयं झारखंड के मुख्यमंत्री करते हैं. 2023 तक इस योजना से 25 हजार हेक्टेयर में प्लांटेशन का काम हो रहा था. इसे सीएम के आदेश के बाद 50 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है. इससे करीब 55 हजार परिवार जुड़ेंगे. अब तक झारखंड में इस योजना के तहत दो लाख परिवारों को वृक्षारोपण योजना से जोड़ा गया है. इससे उन्हें बेहतर आजीविका प्राप्त हो रही है. अब तक 46 हजार एकड़ में गड्ढा खुदाई का कार्य पूरा हो चुका है. समाजसेवी बलराम का कहना है कि इस योजना ने झारखंड को आम तथा अन्य फलों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है. इस योजना ने किसानों को सालभर सब्जियों और अन्य फसलें उगाने में सक्षम बनाया है.

आपूर्तिकर्ताओं का 151 करोड़ रुपये बकाया

सभी जिलों ने अप्रैल 2025 से ही पौध सामग्री की आपूर्ति के लिए विक्रेता चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. लेकिन अब तक विक्रेताओं ने पौध सामग्री उपलब्ध नहीं करायी है. किसान फलदार पौधरोपण के इंतजार में हैं. विक्रेता तैयार नहीं हैं, क्योंकि पिछले तीन वर्षों में पौध सामग्री आपूर्ति का उनका 151 करोड़ का भुगतान विभाग पर बकाया है. झारखंड एग्रो हॉर्टिकल्चर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि वे लोग पौधा आपूर्ति करने के लिए तैयार हैं, लेकिन, पुराना बकाया मिल जाना चाहिए. सरकार और किसान का सहयोग करने से एसोसिएशन पीछे नहीं हट रहा है.

नयी वित्तीय व्यवस्था में फंसा मामला

भारत सरकार से करीब 300 करोड़ रुपये राज्य सरकार को मिला है. लेकिन, पहले भारत सरकार से मिलने वाला पैसा पीएफएमएस वित्तीय व्यवस्था से निकलता था. अब भारत सरकार ने नया वित्तीय सॉफ्टवेयर एसएनए (सिंगल नोडल एकाउंट) लाया है. पुरानी स्कीम का पैसा का नयी व्यवस्था से भुगतान में परेशानी हो रही है.

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