रांची. जेवीएम श्यामली में चल रहे दो दिवसीय बसंतोत्सव-2025 के दूसरे दिन शास्त्रीय गायन और वादकों ने समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया. शास्त्रीय गायक रथिन मुखर्जी ने राग जोग के साथ गणेश वंदना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. सितार वादन में सुब्रत डे ने राग चारुकेसी वादन किया, जिसे तीन ताल विलंबित, नव ताल व द्रुत लय में बांधा गया था. विदुषी निबेदिता ने रागेश्री विलंबित (रूपक) और द्रुत (तीन ताल) राग को सुरबद्ध किया. इसके बाद उन्होंने राग सिंध-भैरवी में ठुमरी नैना मोरे तरस रहे और राग तिलक-कामोद में होरी रंग डारुंगी मैं नंद के लालन पर… से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया. हारमोनियम पर सुजन चटर्जी और तबले पर श्रीजीत चटर्जी ने संगत दी.
बसंतोत्सव में हम संगीत की कालातीत सुंदरता का जश्न मनाते हैं
प्राचार्य समरजीत जाना ने कहा कि संगीत आत्मा की भाषा है. बसंतोत्सव में हम संगीत की कालातीत सुंदरता का जश्न मनाते हैं. यहां संगीत की धुनें परंपरा के साथ मिलकर सांस्कृतिक समृद्धि और कलात्मक चमक का एक स्वर-संगीत रचती हैं. बसंतोत्सव एक ऐसा मंच है, जो संगीत प्रेमियों को आनंदित करने के लिए कलात्मक प्रदर्शनों की एक शृंखला लेकर आया है. जवाहर लाल नेहरू केंद्र की प्राचार्या लिली मुखर्जी ने कहा कि शास्त्रीय संगीत के बिना संगीत की शुद्धता अधूरी है. यह हमारे अंदर की मनोविकृतियों को दूर कर उनमें संतुलन स्थापित कर परमात्मा से मिलन के मार्ग को प्रशस्त करती है. कार्यक्रम में मेकन के प्रोजेक्ट निदेशक पीके दीक्षित, निक्की राज, अर्णव बोस, सुजन चटर्जी, अमिताभ सेन, श्रीजीत चटर्जी, चिरा सुंदर ठाकुर, संजीव पाठक आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है