34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Azadi Ka Amrit Mahotsav: रामा देवी गांधी से थीं प्रभावित, ओड़िशा में असहयोग आंदोलन का किया नेतृत्व

रामादेवी चौधरी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थीं. ओडिशा के लोग उन्हें मां कहते थे. वह गोपाल बल्लाव दास की बेटी थीं और 15 वर्ष की आयु में, उनकी गोपाबन्धु चौधरी से शादी हुई थी. वह और उनके पति दोनों एक साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए थे. वह महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थीं.

Azadi Ka Amrit Mahotsav: महान स्वतंत्रता सेनानी रामा देवी चौधरी का जन्म 3 दिसंबर, 1899 को ओड़िशा में हुआ था. इनके पिता गोपाल वल्लभ दास और माता बसंत कुमारी देवी थीं. रामा देवी के चाचा उत्कल गौरव मधुसूदन दास उस समय के प्रसिद्ध वकील, समाज सुधारक थे. अपने चाचा की सोहबत में रहकर रामा देवी छोटी उम्र से ही आंदोलन का हिस्सा बन गयीं. इसी बीच 15 वर्ष की उम्र में उनकी शादी तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर गोपालबंधु से हो गयी. वर्ष 1921 में कटक के बिनोद बिहारी मंदिर में महात्मा गांधी और कस्तूरबा से उनकी पहली बार भेंट हुई. इस मुलाकात ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी. उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन की सभी सुख-सुविधाओं, गहनों, महंगे कपड़ों का त्याग कर दिया. उनके पति ने भी अपनी सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद रामा देवी अपने पति के साथ असहयोग आंदोलन में कूद पड़ीं. उन्होंने असहयोग आंदोलन के दौरान गांव-गांव जाकर महिलाओं को आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. वर्ष 1930 में उन्होंने बालासोर जिले के इंचुदी और सृजंग स्थानों पर हजारों महिलाओं द्वारा किये गये नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया. इसे इंचुदी नमक सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है. इसके बाद अंग्रेज पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि, बाद में वर्ष 1931 में हुए गांधी-इरविन समझौते के तहत उन्हें रिहा कर दिया गया.

आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने पर कई बार गयी जेल

स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए रामादेवी चौधरी कई बार जेल गयीं. वर्ष 1932 में इन्हें हजारीबाग जेल से रिहा किया गया. वर्ष 1934 में जब महात्मा गांधी ने पुरी से आंदोलन की शुरुआत की, तब रामा देवी जी ने एक बार फिर गांवों की यात्रा की. उन्होंने लोगों को अस्पृश्यता के मुद्दे पर जागरूक किया. इसी दौरान उड़ीसा में आंदोलन में कस्तूरबा गांधी, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद,जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेता भी शामिल हुए.

भारत छोड़ो आंदोलन में पूरे परिवार के साथ दी गिरफ्तारी

जेल से रिहा होने के बाद रामा देवी ने की थी एक आश्रम की स्थापना परिवार के साथ इसमें हिस्सा लिया, लेकिन अगले दिन ही पुलिस ने उनके पूरे परिवार के साथ उन्हें गिरफ्तार कर लिया. जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की, जिसे गांधी जी ने सेवाघर का नाम दिया. इस आश्रम में अस्पृश्यता के खिलाफ जागरूकता, महिला सशक्तिकरण, स्वच्छता के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती थी. कस्तूरबा गांधी के देहांत के बाद गांधी जी ने रामा देवी जी की काम के प्रति सजगता और विचारों की प्रतिबद्धता देखकर उनको कस्तूरबा ट्रस्ट के ओड़िशा प्रभाग की जिम्मेदारी दी. वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ, तो वह गांधी दर्शन के प्रचार प्रसार में लगी रहीं. उत्कल क्षेत्र में खादी आंदोलन को खड़ा करने में उनकी अहम भूमिका रही. वर्ष 1952 में वे विनोबा भावे के भूदान और ग्रामदान आंदोलन से जुड़ गयीं और अपने पति के साथ ओड़िशा के विभिन्न शहरों में पदयात्रा कर करीब 1000 एकड़ भूमि एकत्र की. उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान भी सेना की मदद के लिए धन और संसाधन एकत्र करने का बीड़ा उठाया. अपने पूरे जीवन में समाज कल्याण की दिशा में काम करने वाली रामा देवी ने 22, जुलाई 1985 को इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें