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आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो बोले- लौकिक भलाई के लिए साहसिक कदम उठाते थे कार्डिनल

आर्चबिशप ने कहा कि एक ओर हम उनके वरदानपूर्ण जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हम उनकी आत्मा की अनंत शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं.

रांची: आर्चबिशप कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के लिए बुधवार को लोयला मैदान में दफन की मिस्सा हुई. हजारों लोग शामिल हुए. पूरा मैदान भरा हुआ था. मुख्य अनुष्ठाता आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो ने कहा : कार्डिनल टोप्पो लोगों की आध्यात्मिक और लौकिक भलाई के लिए साहसिक कदम उठाते थे. अपने गुणों के कारण वे पुरोहित से धर्माध्यक्ष, धर्माध्यक्ष से महाधर्माध्यक्ष और फिर कार्डिनल के पद से विभूषित किये गये. वे भारत के प्रथम आदिवासी कार्डिनल बने. एक कार्डिनल के रूप में विश्वव्यापी कलीसिया और भारत की कलीसिया की सेवा की. उन्होंने संपूर्ण कलीसिया की अगुवाई की. सचमुच प्रभु का मार्ग तैयार किया.

कार्डिनल की आत्मा की शांति के लिए कर रहे प्रार्थना

आर्चबिशप ने कहा कि एक ओर हम उनके वरदानपूर्ण जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हम उनकी आत्मा की अनंत शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं. हम जानते हैं कि संसार की प्रत्येक सृष्टि ईश्वर से आती है और ईश्वर में लौट जाती है. इसे कोई नहीं रोक सकता. यह विधि का विधान है. यह ईश्वर की योजना और उनकी इच्छा के अनुसार ही है.

ईश्वर ने कार्डिनल को आध्यात्मिक वरदान दिया

आर्चबिशप ने कहा कि कई महीनों की बीमारी के बाद कार्डिनल टोप्पो को कष्ट सहना पड़ा. अब उन्हें शांति का निवास मिला है. उन्हें महान पुरस्कार मिला है. मेरी समझ में कार्डिनल की बीमारी और लाचारी, उनकी पीड़ा और वेदना भी ईश्वर के वरदान थे. वास्तव में वे महान वरदान थे. सांसारिक दृष्टि में उनकी बीमारी को दुर्भाग्यपूर्ण माना जायेगा, लेकिन स्मरण कीजिए कि हमारे प्रभु ने कहा है : जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह रोज अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले. कार्डिनल के लिए बीमारी एक बड़ा क्रूस था, जिसे उन्होंने ढोया और प्रभु के साथ दुख भोगा. कार्डिनल ने प्रभु के दुखभोग और क्रूस के बलिदान में भाग लिया. और प्रभु का सहयोगी बनकर प्रभु के मुक्ति कार्य में भाग लिया. इस तरह ईश्वर ने कार्डिनल को आध्यात्मिक वरदान दिया.

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धन-संपत्ति, शक्ति-सत्ता की कोई लालसा नहीं थी

आर्चबिशप ने कहा कि कार्डिनल की बीमारी से उन्हें जो पुण्यफल प्राप्त हुए, उससे उनके सभी पापों की क्षमा मिल गयी. मेरा विश्वास है कि उनकी आत्मा पूर्ण रूप से शुद्ध रही और वे सीधे स्वर्ग सिधारे. वचन कहता है कि न कोई अपने लिए जीता है और न अपने लिए मरता है. कार्डिनल ने अपने लिए नहीं, वरन प्रभु की महिमा के लिए और ईश्वरीय संतान की सेवा के लिए अपने आप को पूर्ण रूप से समर्पित किया. उनमें धन-संपत्ति, मान- मर्यादा, शक्ति-सत्ता आदि की कोई लालसा नहीं थी. उनका एकमात्र लक्ष्य था प्रभु की महिमा के लिए जीना और प्रभु के लिए मरना. आर्चबिशप ने कहा कि हम दुखी हैं फिर भी प्रज्ञा ग्रंथ के वचन से सांत्वना पाते हैं. इसमें कहा गया है कि धर्मियों की आत्माएं ईश्वर के हाथ में हैं. उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं होता. हमारे बीच से चले जाने के बाद धर्मियों का सर्वनाश नहीं होता, बल्कि उनको शांति का निवास मिलता है. कार्डिनल टोप्पो धर्मी व्यक्ति थे. अनंत जीवन पर आस्था रखते थे और उसकी आशा करते थे.

माता मरियम की भक्ति करते थे कार्डिनल

कार्डिनल माता मरियम की भक्ति करते थे. कलीसिया के प्रति, पवित्र यूखरिस्त के प्रति और कलीसिया की दैनिक प्रार्थनाओं के प्रति विश्वस्त और निष्ठावान थे. मदर टेरेसा के परम भक्त थे. कार्डिनल ने इच्छा व्यक्त करते हुए कहा था कि मरने के बाद उन्हें कैथेड्रल में संत मदर टेरेसा की मूर्ति के सामने दफनाया जाये. उनके माध्यम से ईश्वर ने असंख्य लोगों को आशीर्वाद दिया है. इसके लिए भी हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं और प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उन्हें अनंत जीवन और अनंत शांति दें. मिस्सा समारोह में ऑग्जीलरी बिशप थियोडोर मास्करेन्हास, सहित देश भर के 32 धर्माध्यक्ष और बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.

कब्र में फूल डाले गये

इससे पहले कार्डिनल का पार्थिव शरीर संत मरिया महागिरजाघर से एक सुसज्जित वाहन में लोयला मैदान लाया गया. धर्मगुरुओं ने इसकी आगवानी की. मिस्सा समाराेह के बाद संत मरिया महागिरजाघर में दफन की क्रिया हुई. कब्र में मिट्टी की जगह फूल डाले गये.

वेटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट का शोक संदेश

लोयला मैदान में आयोजित मिस्सा में रेव्ह अल्बर्टो नेपातालिनो ने वेटिकन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट, कार्डिनल पिएट्रो पारोलिन का शोक संदेश पढ़कर सुनाया. इसमें कार्डिनल पिएट्रो ने कहा है कि कार्डिनल टोप्पो के निधन पर मेरी संवेदनाएं स्वीकार करें और मेरी प्रार्थनाओं का यह आश्वासन स्वीकार करें कि हमारे दयालु ईश्वर उन्हें उनके विश्वास और चर्च के लिए उनके अथक परिश्रम का पुरस्कार देंगे.

सीबीसीआइ के अध्यक्ष आर्चबिशप एंड्र्यूज का संदेश

फादर निकोलस बारला ने कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआइ) के अध्यक्ष आर्चबिशप एंड्र्यूज थाजाथ का शोक संदेश पढ़ कर सुनाया. इसमें उन्हाेंने कहा है कि हम कार्डिनल टोप्पो के अनगिनत गुणों को याद करते हैं. उनमें एक अच्छे चरवाहे के सभी गुण थे. लोग उन तक सहजता से पहुंच सकते थे.

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