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राज्यपाल रमेश बैस ने कृषि संबंधी विधेयक पर जतायी आपत्ति, झारखंड सरकार को दोबारा कराना होगा पारित

राज्यपाल रमेश बैस ने कृषि संबंधी विधेयक सरकार को लौटा दिया है. साथ ही साथ इसे दूर करते हुए झारखंड विधानसभा से पारित कर राजभवन भेजने का निर्देश दिया है. झारखंड विधानसभा से ये विधेयक 24 मार्च 2022 को पारित हुआ था

रांची: राज्यपाल रमेश बैस ने आपत्ति के साथ झारखंड राज्य कृषि उपज अौर पशुधन विपणन विधेयक-2022 बिना स्वीकृति के सरकार को लौटा दिया है. साथ ही आपत्ति दूर करते हुए पुन: इसे झारखंड विधानसभा से पारित करा कर राजभवन भेजने का निर्देश दिया है. झारखंड विधानसभा से 24 मार्च 2022 को पारित झारखंड राज्य कृषि उपज अौर पशुधन विपणन विधेयक 42 दिनों के बाद स्वीकृति के लिए राजभवन भेजा गया था. लेकिन विधेयक के हिंदी अौर अंग्रेजी संस्करण में काफी अंतर रहने सहित कई बिंदु स्पष्ट नहीं होने के कारण राज्यपाल ने इसे लौटा दिया है.

बार-बार एक ही गलती

राज्यपाल ने संबंधित विभाग द्वारा विधेयक में बार-बार इस तरह की गलती करने पर नाराजगी जाहिर की है. राज्यपाल ने लौटाये गये विधेयक में टिप्पणी की है कि प्रिंटिंग के बाद संबंधित विभाग द्वारा अंग्रेजी व हिंदी संस्करण को बिना जांचे परखे राजभवन भेज दिया जा रहा है.

विधेयक के अंग्रेजी और हिंदी संस्करण में काफी अंतर, कई बिंदु स्पष्ट नहीं
राज्यपाल ने इन बिंदुओं पर जतायी आपत्ति

विधेयक में सेक्शन 20 (1) में अंग्रेजी में ए, बी व सी लिखा है, लेकिन हिंदी में इसे रोमन में लिखा गया है, जबकि हिंदी में क, ख, ग लिखना चाहिए था. इसी प्रकार सेक्शन 20 (2) में अंग्रेजी में ए व बी लिखा है, जबकि हिंदी में पुन: क व ख की जगह रोमन में लिख दिया गया हैं.

सेक्शन 41 (4) में अंग्रेजी में रोमन में लिखा है, यही हिंदी में भी लिख दिया गया है. सेक्शन 51(5) में अंग्रेजी में ए, बी, सी, डी व इ लिखा है, जबकि हिंदी में क, ख, ग, घ एवं च लिखा गया है, जबकि च की जगह ङ होना चाहिए था. यह त्रुटि और जगह भी है. सेक्शन 93 में आफ्टर कंटेंट अॉफ सेक्शन प्रोविजन क्लाउज इज देयर लिखा है, लेकिन हिंदी प्रोविजन का उल्लेख ही नहीं किया गया है. सेक्शन 98 में भी अंग्रेजी व हिंदी में अलग-अलग उल्लेख है.

विधेयक के प्रमुख अंश

इस विधेयक में किसानों की आय दोगुनी करने अौर किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए प्रावधान किया गया है. किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने, डिजिटल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा बाजार लाइसेंस के साथ निजी बाजार प्रांगण की भी स्थापना की जायेगी. इसके अलावा जो भी किसान का उत्पादन खरीदनेवाले खरीदार आयेंगे, उन्हें दो रुपये की दर से सेस का भुगतान करना पड़ेगा. जबकि किसानों या विक्रेता को किसी प्रकार का कोई भी टैक्स नहीं देना होगा.

थोक व्यापारियों ने खाद्यान्न का अॉर्डर देना बंद किया

झारखंड में इस विधेयक के विरोध में व्यवसायी वर्ग आंदोलन कर रहा है. कई संगठनों ने राज्यपाल से मिल कर उक्त विधेयक पर आपत्ति जताते हुए इस पर अपनी स्वीकृति नहीं देने का आग्रह किया था. व्यवसायी दो रुपये सेस लगने के प्रावधान का विरोध कर रहे हैं. इसके विरोध में राज्य भर के थोक व्यापारियों ने खाद्य सामग्री की आपूर्ति का अॉर्डर देना सोमवार से अनिश्चितकालीन के लिए बंद कर दिया है. राज्य की 28 मंडियों में हर दिन 600 से अधिक ट्रक हर दिन झारखंड अाते हैं, जो अब बंद है.

चेंबर ने कहा : राज्यपाल के कदम पर करेंगे विचार

राज्यपाल ने विधेयक वापस करने के साथ क्या निर्देश दिया है इस पर चेंबर कमेटी बुधवार को बैठक कर विचार करेगी. चेंबर इस विधेयक का विरोध लंबे समय से कर रहा है. विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है. उम्मीद है राज्य सरकार इस विषय पर संज्ञान लेगी और दोबारा इस विधेयक को स्वीकृति के लिए नहीं भेजने का निर्णय लेगी.

धीरज तनेजा, अध्यक्ष एफजेसीसीआइ

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