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कश्मीर में शहीद जवानों का हुआ अंतिम संस्कार: जहां हो रही थी शादी की तैयारी, वहां तिरंगे में लिपटा आया शव

कश्मीर में शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की व सिपाही कुलदीप लकड़ा का उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया. कुलदीप की शादी होनेवाली थी. घर में मां, बहनें इसकी तैयारी कर रही थी. लापुंग में शादी तय हुई थी, वहां भी तैयारी चल रही थी. शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की के दोनों बच्चे […]

कश्मीर में शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की व सिपाही कुलदीप लकड़ा का उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया. कुलदीप की शादी होनेवाली थी. घर में मां, बहनें इसकी तैयारी कर रही थी. लापुंग में शादी तय हुई थी, वहां भी तैयारी चल रही थी. शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की के दोनों बच्चे पिता के ताबूत को छोड़ने को तैयार नहीं थे़ किसी तरह उन्हें अलग किया गया.
रांची : जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में हिमस्खलन में शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की व सिपाही कुलदीप लकड़ा के पार्थिव शरीर सोमवार को सेना के विशेष विमान से रांची लाये गये. एयरपोर्ट पर राज्यपाल द्रौपदी मुरमू और अधिकारियों ने श्रद्धांजलि दी. इसके बाद सेना के सुसज्जित वाहन से दोनों के पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव भेजे गये.

शहीद हवलदार प्रभु सहाय तिर्की का पार्थिव शरीर इटकी के सेमरा स्थित उनके पैतृक घर पहुंचते ही कोहराम मच गया. पूरा गांव रो पड़ा. तीन दिन से शव आने का इंतजार कर रहे लोगों की भीड़ शहीद के घर उमड़ पड़ी. मां बिरजमनी, पत्नी सुचिता तिर्की, पुत्र अंकित व अनीश ताबूत से लिपट गये. काफी मुश्किल से उन्हें अलग किया गया. बाद में शहीद के अंतिम दर्शन की व्यवस्था की गयी.


पत्नी सुचिता तिर्की ने अंतिम दर्शन के दौरान शहीद पति का मुख चूमा, तो वहां उपस्थित लोगों की आंखें भर आयीं. घर से थोड़ी दूर स्थित कब्रिस्तान में पादरी पुरोहित निकोलस नाग व सहायक पुरोहित डी बरवा के नेतृत्व में विशेष प्रार्थना हुई. इसके बाद मसीही रीति रिवाज से शहीद का अंतिम संस्कार कर दिया गया. अंतिम संस्कार के दौरान भारत माता की जय व शहीद प्रभु दयाल तिर्की अमर रहे के नारे लगे. सेना के जवानों ने सलामी दी.
अंतिम दर्शन को उमड़ी भीड़ : शहीद सिपाही कुलदीप लकड़ा की शादी होनेवाली थी. लापुंग में रिश्ता तय हो गया था. कुलदीप घर का इकलौता बेटा था. शादी की तैयारी में जुटी मां डोरोथी कुजूर ने जब तिरंगे से लिपटे अपने बेटे का पार्थिव शरीर देखा, तो चीख कर गिर पड़ी. बहनों की चीत्कार से भी पूरा माहौल गमगीन हो गया. कुलदीप का पार्थिव शरीर जब उनके पैतृक गांव बिसाहा खटंगा जोल्हाटोली पहुंचा, तो पूरा गांव उमड़ पड़ा. मां बार-बार चिल्ला रही थी- बेटा रे….बेटा रे….का ले छोइड़ के चइल गेले. अब केके बेटा कहबौ. नवाटांड़ पल्ली के पल्ली पुरोहित सेप्रेयिन बा ने विशेष मिस्सा अनुष्ठान संपन्न कराया. इसके बाद शहीद के अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. साथ में आये सेना के जवानों ने शस्त्रों के साथ शहीद को अंतिम सलामी दी. इन शहीदों की अंतिम यात्रा में विधायक गंगोत्री कुजूर भी मौजूद थी.

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