मनोज सिंह, रांची.
झारखंड सरकार भी पशुपालकों को सेक्स सॉर्टेड सीमेन की सुविधा दे रही है. इस खास तकनीक के इस्तेमाल से 90 प्रतिशत बछिया ही पैदा होती है. पशुपालन विभाग ने खुद अपने हजारीबाग के गौरियाकरमा फार्म में इसका प्रयोग किया था. झारखंड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी (जेएसआइए) के माध्यम से यहां के जानवरों को सेक्स सॉर्टेड सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान (एआइ) कराया गया. बीते साल कराये गये कृत्रिम गर्भाधान से करीब 30 बच्चों का जन्म हुआ है. इसमें 27 बाछी है.रेड सिंधी नस्ल पर हो रहा प्रयोग
यह प्रयोग पाकिस्तान से 1955 में लाये गये रेड सिंधी नस्ल पर हो रहा है. विभाग इस नस्ल को सुदृढ़ करने के प्रयास में लगा है. कुल गर्भधारण की करीब 90 फीसदी बाछी हुई है. यह राष्ट्रीय औसत से भी अच्छा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में रेड सिंधी नस्ल की 104 गायों का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया था. अब तक 82 गायों की जांच की गयी. इसमें 46 गायों ने गर्भधारण कर लिया है. यह कुल कृत्रिम गर्भाधान का करीब 57 फीसदी है. सामान्य तौर पर 30-32 फीसदी तक ही गर्भाधान होता है.
सामान्य सीमेन से 50 फीसदी बाछा का हुआ था जन्म
तीन साल पहले तक इस सेंटर पर सांड से कृत्रिम तरीके से गर्भाधान कराया गया जाता था. इससे पशुओं की गुणवत्ता खराब हो रही थी. दूध उत्पादन भी कम होने लगा था. रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो गयी थी. वहीं, सामान्य सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान कराने पर करीब 106 बाछा का जन्म हुआ था. यह कुल प्रजनन का करीब 50 फीसदी था. यहां करीब 233 पशु हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सेक्स सॉर्टेड सीमेन से गौरियाकरमा में अप्रत्याशित परिणाम मिले हैं. इससे भारत सरकार को भी अवगत कराया गया है. करीब 90 फीसदी बाछी का जन्म हुआ है. इससे हम जानवरों के पुराने नस्ल को बचा पायेंगे. पशुओं में होने वाली इन ब्रीडिंग की समस्या को कम कर पायेंगे. इससे आसपास के ग्रामीण भी अब रुचि लेने लगे हैं. यह सुविधा किसानों को राज्य सरकार की ओर से दी जा रही है.डॉ एनके झा, सीइओ, जेएसएआइएB
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