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इंटरनेशनल लाइब्रेरी में 30 % पुस्तकें सिर्फ झारखंड से जुड़ी, जानें कितने सदस्यों को मिलता लाभ

ब्रिटिश काउंसिल ने ट्रस्ट को लाइब्रेरी के संचालन के लिए 14,000 किताबें दी थी, जो सैकड़ों वर्ष पुरानी थी. वर्तमान में लाइब्रेरी के पास 35,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह है. इनमें 30 फीसदी पुस्तकें सिर्फ झारखंड पर आधारित है. इसका लाभ लाइब्रेरी के 760 सदस्यों को मिलता है.

Ranchi News: क्लब रोड स्थित ब्रिटिश काउंसिल लाइब्रेरी (British Council Library) की स्थापना 1963 में हुई थी. समय के साथ लाइब्रेरी के संचालन में वित्तीय समस्याएं आने लगी. तब ब्रिटिश काउंसिल ने लाइब्रेरी को बंद करने का निर्णय लिया. 1994 में कांके स्थित डेविस इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री की स्व. डॉ एबी डेविस ने ब्रिटिश काउंसिल को लाइब्रेरी के संचालन की जिम्मेवारी ट्रस्ट को सौंपने का आग्रह किया. उस दौरान ट्रस्ट के सदस्यों नोनिका खेर, डॉ केके सिन्हा, डॉ माजिद आलम, गोपाल साहू, देबी बाबू, मिलन बोडे और रांची के अन्य प्रबुद्ध व्यक्तियों ने पूरा सहयोग किया.

एक साल बाद 30 सितंबर 1995 को इंटरनेशनल लाइब्रेरी एंड कल्चरल सेंटर (आइएलसीसी) की स्थापना हुई. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल डॉ एआर किदवई को लाइब्रेरी का संरक्षक बनाया गया. उन्होंने आर्ट, क्राफ्ट, संगीत और अन्य गतिविधियों के संचालन के भी सुझाव दिये. इसके बाद सांस्कृतिक कला प्रशिक्षण की शुरुआत हुई. ब्रिटिश काउंसिल ने ट्रस्ट को लाइब्रेरी के संचालन के लिए 14,000 किताबें दी थी, जो सैकड़ों वर्ष पुरानी थी. उस समय सदस्यों से 300 रुपये प्रतिवर्ष लिया जाता था. वर्तमान में लाइब्रेरी के पास 35,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह है. इनमें 30 फीसदी पुस्तकें सिर्फ झारखंड पर आधारित है. इसका लाभ लाइब्रेरी के 760 सदस्यों को मिलता है.

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भाषा, संगीत और साक्षात्कार का मिलता है प्रशिक्षण

आइएलसीसी में जर्मन, फ्रेंच और स्पैनिश भाषा का भी साप्ताहिक प्रशिक्षण दिया जाता है. यह प्रशिक्षण रवि रंजन व मनोज कुमार देते हैं. वहीं, अमित सरकार नियमित रूप से संगीत की ट्रेनिंग देते हैं. वंदना साहू साक्षात्कार कौशल के अलावा ग्रुप डिस्कशन और व्यक्तित्व विकास का नि:शुल्क प्रशिक्षण देती हैं.

विद्यार्थियों को किया जाता है प्रशिक्षित

ट्रस्ट की सदस्य रेखा मिश्रा ने कहा कि आइएलसीसी लगातार बच्चों के बीच लाइब्रेरी के महत्व को साझा करता है. इसके तहत शहर के सभी स्कूलों को जोड़ा गया है. साथ ही आस-पास के स्लम इलाके के 50-60 बच्चों के लिए सप्ताह में चार दिन विशेष रूप से इंग्लिश की क्लास चलायी जाती है.

राज्य सरकार से आज तक नहीं मिली मदद

लाइब्रेरी इंचार्ज निवेदिता शर्मा ने कहा कि 25 सितंबर को आइएलसीसी 27वां वार्षिकोत्सव मना रहा है. लाइब्रेरी के विकास में राज्य के गणमान्य व्यक्तियों ने काफी सहयोग किया है, लेकिन राज्य सरकार से आज तक किसी भी तरह का आर्थिक सहयोग नहीं मिला. वर्तमान में सदस्यता शुल्क 1500 रुपये प्रति वर्ष है. लाइफ मेंबर बनने के लिए 7,500 रुपये की राशि ली जा रही है.

Prabhat Khabar News Desk
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