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MODI के साथ चला झारखंड

भाजपा और आजसू गंठबंधन ने झारखंड फतह कर ली है. पहली बार झारखंड में किसी गंठबंधन को बहुमत मिला है. भाजपा के साथ झारखंड चला. भाजपा ने पहली बार 37 सीटों पर जीत हासिल की है. बहुमत के नजदीक भाजपा अपने दम पर पहुंची. झारखंड में नरेंद्र मोदी के सहारे भाजपा की चुनावी नाव पर […]

भाजपा और आजसू गंठबंधन ने झारखंड फतह कर ली है. पहली बार झारखंड में किसी गंठबंधन को बहुमत मिला है. भाजपा के साथ झारखंड चला. भाजपा ने पहली बार 37 सीटों पर जीत हासिल की है. बहुमत के नजदीक भाजपा अपने दम पर पहुंची. झारखंड में नरेंद्र मोदी के सहारे भाजपा की चुनावी नाव पर लगी है. भाजपा ने पूरी रणनीति और आक्रमकता के साथ चुनाव लड़ा. नरेंद्र मोदी और उनकी टीम ने पूरी ताकत झोंकी. नरेंद्र मोदी ने अकेले नौ सभाएं की, वहीं अमित शाह, राजनाथ सिंह, पियूष गोयल, रविशंकर, अरूण जेटली, सुषमा स्वराज जैसे दिग्गज नेता झारखंड पहुंचे. इन नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी थी. भाजपा नेताओं ने 500 से ज्यादा सभाएं की.

भाजपा किसी भी मोरचे पर चुनाव में रिस्क लेना नहीं चाहती थी. झारखंड में भी मोदी का नाम लेकर उतरी भाजपा को लोगों का साथ मिला. अस्थिरता की झंझावात से राज्य की जनता भी निकलना चाहती थी. यूपीए खेमा में बिखराव था. कांग्रेस और झामुमो अलग-अलग चुनाव लड़ रहे थे. इसका भी फायदा भाजपा ने उठाया. मोदी के सामने झामुमो-कांग्रेस जैसी पार्टियां नहीं टिक पायीं. हालांकि झामुमो ने भाजपा का रास्ता रोकने की पूरी कोशिश की. तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी झामुमो संभल गयी. उधर कांग्रेस का खूंटा भाजपा ने उखाड़ दिया. भाजपा के सामने कांग्रेस कहीं नहीं टिकी. इसके सारे विधायक चुनाव हार गये. भाजपा ने झाविमो को भी किनारे कर दिया. झाविमो को आठ सीटों पर रोक कर भाजपा गंठबंधन बहुमत तक पहुंचा. भाजपा में अजरुन मुंडा जैसे दिग्गज हार गये, लेकिन भाजपा में पुराने चेहरे के साथ-साथ दो दर्जन नये चेहरे सामने आये. आजसू के साथ गंठबंधन कर भाजपा ने एक खास वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनायी.

भाजपा ने पूरी रणनीति के साथ विरोधियों का एनकाउंटर किया. हर फेज में बेहतर प्रदर्शन किया. चौथे चरण में भाजपा का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा. 15 में 11 सीटों पर जीत हासिल की. इस चरण ने भाजपा की नैया पार लगा दी. संताल परगना में भी पांच सीट हासिल कर पहली बार मजबूत खूंटा गाड़ दिया. पहले चरण में भी 13 में से छह सीट जीते. नरेंद्र मोदी हर चरण में झारखंड पहुंचे. पलामू से मोदी का कारवां संताल परगना तक पहुंचा. इसी लहर में भाजपा ने झारखंड फतह कर ली.

भाजपा के समक्ष अब अस्थिरता कोई चुनौती नहीं रही. झामुमो को उन्नीस सीट और झाविमो को आठ सीट पर रोका है. झारखंड की राजनीति में मोदी फैक्टर ने निर्दलीयों के साये से भी राज्य को बाहर निकाला है.

तीन निर्दलीय अब सत्ता को नहीं हांक पायेंगे. भाजपा के सामने गंठबंधन के अंदर भी चुनौती नहीं रही. पांच सीट के साथ उसकी सहयोगी दल आजसू आयी है. आनेवाले दिनों में मोदी लहर पर सवार होकर सत्ता में पहुंची भाजपा बेहतर शासन के साथ झारखंड को तमाम झंझावातों से बाहर निकाल सकती है. मोदी ने विकास के एजेंडे के सहारे झारखंड में भी चुनाव की बिगुल फूंकी थी, जिसमें वे सफल रहे. अब केवल उस रास्ते पर चलने की चुनौती है.

पलामू में भाजपा की ताकत दोगुनी

राज्य के विधानसभा चुनाव में पहले चरण में पलामू व गुमला में चुनाव हुआ था. प्रथम चरण के चुनाव में मोदी भाजपा आजसू गंठबंधन को आधी से अधिक सीटों पर सफलता मिली. प्रथम चरण के चुनाव में 13 सीटों पर चुनाव हुआ था. इनमें से सात सीट पर भाजपा-आजसू गंठबंधन के प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे. पलामू व गुमला मिला कर भाजपा की सीट दोगुनी हो गयी. गुमला सीट को जहां भाजपा बचाने में कामयाब रही, वहीं सिसई सीट भाजपा फिर जीतने में सफल रही. प्रथम चरण के 13 सीट में से वर्ष 2009 में झारखंड मुक्ति मोरचा के पास एक भी सीट नहीं थी. इस वर्ष झामुमो खाता खोलने में सफल रहा. विशनपुर सीट से झामुमो के प्रत्याशी चमरा लिंडा चुनाव जीते. भाजपा लातेहार सीट नहीं बचा सकी. लातेहार सीट से झारखंड विकास मोरचा के प्रत्याशी प्रकाश राम चुनाव जीते. कांग्रेस की सीट संख्या में वर्ष 2009 की तुलना में आधी हो गयी.

वर्ष 2009 में कांग्रेस डालटेनगंज व विश्रमपुर सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली थी. इस वर्ष विश्रमपुर व डालटगंज से कांग्रेस हार गयी. पांकी सीट पर कांग्रेस जीतने में सफल रही. इससे पहले के चुनाव में पांकी से निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल रहे थे. पलामू प्रमंडल के चार सीट पर भाजपा चुनाव जीतने में सफल रही. इसमें से एक भी सीट भाजपा के पास नहीं थी. चारों सीट पर भाजपा ने चुनाव से पहले अन्य पार्टी से आये नेताओं को मैदान में उतारा था. गढ़वा से झारखंड विकास मोरचा छोड़कर भाजपा आये सत्येंद्रनाथ तिवारी फिर चुनाव जीत गये. जबकि विश्रमपुर से राजद से आये रामचंद्र चंद्रवंशी, छतरपुर से कांग्रेस से आये राधाकृष्ण किशोर, चतरा से झारखंड विकास मोरचा से आये जय प्रकाश भोक्ता चुनाव जीतने में सफल रहे.

प्रथम चरण के 13 सीटों में से तीन सीट राजद व जदयू के कब्जे में था. इस चुनाव में राजद और जदयू का खाता भी नहीं खुला. वर्ष 2009 में चतरा व हुसैनाबाद सीट पर राजद का कब्जा था. जबकि छतरपुर से जदयू की प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे थे. इस चुनाव में राजद अपनी दोनों सीटें हार गया. जदयू भी छतरपुर सीट नहीं बचा सका. प्रथम चरण में बसपा भी एक सीट जीतने में सफल रही. हुसैनाबाद से बसपा प्रत्याशी पहली बार चुनाव जीतने में सफल रहे.

भाजपा को बढ़त उलटफेर भी दिखा

तीसरे चरण में भी भाजपा ने बढ़त बनायी है. हालांकि भाजपा को वर्ष 2009 की तुलना में केवल तीन सीटों का इजाफा हुआ है. तीसरे चरण में कुल 17 सीटों पर चुनाव हुआ था. जिसमें सात सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की है. पूर्व में भाजपा के पास इस चरण की कुल तीन सीटें थी. भाजपा ने चार नये स्थान हजारीबाग, कोडरमा, बेरमो व इचागढ़ में जीत दर्ज की है. कोडरमा में लगातार तीन बार की विजेता व मंत्री राजद की अन्नपूर्णा देवी को भाजपा की डॉ नीरा यादव ने हरा दिया है. वहीं धनवार में भी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को माले के राजकुमार यादव ने हरा दिया. श्री यादव पहली बार विधायक बने हैं. भाजपा ने यहां से आइपीएस अधिकारी रह चुके लक्ष्मण सिंह को उतारा था. पर वह तीसरे स्थान पर रहे. हजारीबाग से भाजपा के मनीष जायसवाल ने कांग्रेस से सीट छीन ली है. बड़कागांव से कांग्रेस ने पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की पत्नी निर्मला देवी को उतारा था. वह जीत गयी. हटिया की सीट भी रोमांचक रही. गंठबंधन के तहत आजसू का यह सीट भाजपा के कोटे में चला गया. बगावत करके निर्वतमान विधायक नवीन जायसवाल झाविमो में चले गये. उन्होंने भाजपा की सीमा शर्मा को हरा कर विजय हासिल की. रांची से सीपी सिंह ने लगातार छठी बार जीत दर्ज की है. बेरमो से मंत्री राजेंद्र सिंह को करारी हार का सामना करना पड़ा. उनका धन-बल का प्रयोग काम न आया. भाजपा के योगेश्वर महतो ने उन्हें हरा दिया. दूसरी अप्रत्याशित रूप से सिल्ली की सीट रही. भाजपा से समझौते के तहत यह सीट आजसू के खाते में गयी. आजसू के अध्यक्ष सुदेश महतो यहां के विधायक थे. बाद में भाजपा के अमित महतो झामुमो चले गये. उन्होंने सुदेश महतो को हरा कर यह सीट झामुमो की झोली में डाल दिया. तीसरे चरण में सिल्ली से झामुमो के अमित महतो और हटिया से झाविमो के नवीन जायसवाल की जीत के बाद भाजपा और आजसू गंठबंधन को बहुत ज्यादा फायद मिलता नहीं दिखा. जहां नवीन अपनी विधायकी बचाने में सफल रहे वहीं तीसरे चरण का चुनाव बड़े मंत्रियों को सबक सिखाने के लिए भी जाना जायेगा. दो मुख्यमंत्रियों की हार ने सबको सकते में डाल दिया है.

कोल्हान में भाजपा-झामुमो ने सीटें बांटी

कोल्हान क्षेत्र में भाजपा और झामुमो के बीच कड़ी टक्कर रही. ऐसी कड़ी टक्कर थी कि भाजपा के दिगगज नेता अजरुन मुंडा हार गये. झारखंड में सबसे लंबे कार्यकाल तक वही मुख्यमंत्री रह चुके हैं. खरसावां सीट से झामुमो के दशरथ गगराई ने उन्हें हरा दिया. यह सीट मुंडा की अजेय सीट मानी जाती थी. कोल्हान का चुनाव इस बार भारी उलट फेर वाला रहा. पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पहली बार मंझगांव सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उनकी पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर सीट से जीत गयी हैं. झारखंड के मंत्री चंपई सोरेन ने तीसरी बार अपनी जीत बरकरार रखते हुए सरायकेला सीट से जीत दर्ज की. बहरागोड़ा में युवा उम्मीदवार व झाविमो से झामुमो में शामिल हुए कुणाल षाड़ंगी ने जीत दर्ज की है. चाईबासा से आइएएस अधिकारी रह चुके जेबी तुबिद को झामुमो के दीपक बिरुवा ने हरा दिया है. दूसरे चरण में कोल्हान व आसपास की 20 सीटों पर चुनाव हुआ था. भाजपा ने कुल आठ सीटों पर जीत दर्ज की है. वर्ष 2009 में इस क्षेत्र में झामुमो की पांच सीट थी. झामुमो को तीन सीटों का इजाफा हुआ है. पार्टी ने नयी जगह बहरागोड़ा, खरसावां, मंझगांव में जीत दर्ज की है. वहीं भाजपा को इस चरण में केवल एक सीट का फायदा हुआ है. वर्ष 2009 में भाजप के पास आठ सीटें थी. इस बार नौ सीटें मिली है. हालांकि भाजपा को खरसावां सीट का नुकसान भी हुआ, पर सरायकेला व जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर पार्टी ने जीत दर्ज की है. जमशेदपुर पूर्वी से भाजपा के रघुवर दास जीते. सरयू राय ने मंत्री बन्ना गुप्ता को हरा कर भाजपा के खाते में सीट डाली. रघुवर दास और सरयू राय भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में हैं. झारखंड पार्टी के एनोस एक्का ने भी अपनी जीत बरकरार रखी है. मांडर सीट से इस बार टीएमसी के बंधु तिर्की को हार का सामना करना पड़ा. भाजपा की गंगोत्री कुजूर ने बंधु तिर्की को हरा दिया. तोरपा से मात्र 43 वोट से झामुमो के पौलुस सुरीन जीत पाये. तमाड़ से रमेश सिंह मुंडा के पुत्र व आजसू के उम्मीदवार विकास सिंह मुंडा ने अपने पिता की विरासत को दोबारा पा लिया. राजा पीटर वहां से हार गये. दूसरे चरण में भाजपा की सहयोगी आजसू ने भी दो सीटों पर जीत दर्ज की है.

चौथे चरण में चला मोदी मैजिक

राज्य में चौथे चरण के मतदान में 15 सीटों पर वोटिंग हुई थी. वर्ष 2009 में इनमें से मात्र एक सीट भाजपा के पास थी. गत चुनाव में मात्र झरिया सीट ही भाजपा जीत सकी. इस चुनाव में भाजपा को 11 सीट पर जीत मिली. चौथे चरण में प्रधानमंत्री नेरेंद्र मोदी का मैजिक चला. इस चरण में मधुपुर, देवघर, धनबाद से निवर्तमान सरकार के मंत्री चुनाव नहीं जीत सके. मधुपुर से हाजी हुसैन अंसारी, देवघर से सुरेश पासवान व धनबाद से मन्ना मल्लिक चुनाव हार गये. तीनों मंत्रियों की सीट पर भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल रहे. इस चरण में भाजपा दस सीट बढ़ाने में सफल रही. भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू एक सीट जीतने में सफल रही. गत चुनाव में आजसू चंदनक्यारी सीट जीतने में सफल रही थी. इस चुनाव में आजसू चंदनक्यारी सीट नहीं बचा सकी. आजसू जहां चंदनक्यारी सीट हार गयी, वहीं टुंडी सीट जीतने में सफल रही. टुंडी से झामुमो के मथुरा महतो चुनाव नहीं जीत सके. चंदनक्यारी से झारखंड विकास मोरचा के प्रत्याशी चुनाव जीते. माले अपनी एक सीट नहीं बचा सकी. बगोदर से माले प्रत्याशी विनोद सिंह चुनाव हार गये. वहीं झारखंड विकास मोरचा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी चुनाव हार गये. राजद भी अपनी एक मात्र सीट देवघर बचाने में सफल नहीं रही. वर्ष 2009 में झारखंड विकास मोरचा के कारण भाजपा को नुकसान हुआ था. इस चुनाव में भाजपा ने अपनी सभी सीट झारखंड विकास मोरचा से फिर से छीन ली.

चौथे चरण में सबसे अधिक नुकसान झारखंड विकास मोरचा को हुई. वर्ष 2009 के चुनाव में इन 15 सीटों में से पांच झारखंड विकास मोरचा के पास पांच सीट थी. इस चुनाव में झारखंड विकास मोरचा को मात्र एक सीट मिली. झाविमो छोड़ कर भाजपा में आये ढुल्लू महतो, फूलचंद मंडल, निर्भय शहाबादी, केदार हजार चुनाव जीतने में सफल रहे.

वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस के पास दो सीट थी.इस चुनाव में कांग्रेस दोनों सीटें हार गयी. झारखंड मुक्ति मोरचा को भी इस चरण में नुकसान उठाना पड़ा. गत चुनाव में झामुमो के पास तीन सीटें थीं. इस चुनाव में झामुमो की सीट घटकर एक हो गयी. झामुमो केवल डुमरी सीट बचा सकी. माले जहां अपनी सीट नहीं बचा सकी. डुमरी से जदयू छोड़ भाजपा में आये लालचंद महतो फिर चुनाव नहीं जीत सके. वहीं मासस अपनी एक मात्र सीट निरसा बचाने में सफल रही. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष भी चुनाव नहीं जीत सके.

संताल में बराबर की फाइट

संताल परगना क्षेत्र में पांचवें व अंतिम चरण के चुनाव में न मोदी का मैजिक चला और न ही हेमंत सोरेन अपनी जीत बरकार रख सके. हालांकि भाजपा को तीन सीटों का इजाफा हुआ है.वहीं झामुमो को तीन सीटों का नुकसान हुआ है. भाजपा को 16 सीट में पांच सीटों पर जीत मिली है वहीं झामुमो के छह सीटों पर जीत मिली है. जबकि झामुमो के पास पहले यहां नौ सीट थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट सीट से चुनाव लड़ रहे थे. पर उन्हें केवल बरहेट में सफलता मिली. दुमका सीट से भाजपा की लुईस मरांडी ने उन्हें हरा दिया. कांग्रेस को दो सीट का इजाफा हुआ है. पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कांग्रेस के प्रत्याशी आलमगीर आलम ने पाकुड़ से झामुमो के अकील अख्तर को हरा दिया है. वहीं सारठ से निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष झामुमो के शशांक शेखर भोक्ता को झाविमो के रणधीर कुमार सिंह ने हरा दिया. कुछ मामलों में पांचवे चरण में झामुमो की रणनीति काम आयी है. अंतिम वक्त में झामुमो ने स्टीफन मरांडी व अनिल मुमरू को झामुमो में लाने का फायदा पार्टी को मिला है. स्टीफन मरांडी ने महेशपुर सीट से भाजपा के देवीधन टुडू को हरा दिया. निवर्तमान विधायक झाविमो के मिस्त्री सोरेन तीसरे स्थान पर रहे. वहीं झामुमो के डॉ अनिल मुमरू ने लिट्टीपाड़ा में झामुमो छोड़ भाजपा में गये साईमन मरांडी को हरा दिया.पर झामुमो द्वारा निर्दलीय विधायक हरिनारायण राय को पार्टी में शामिल कराने का फायदा नहीं मिला . जरमुंडी से हरिनारायण राय को कांग्रेस के बादल ने हरा दिया है. झाविमो विधायक दल के नेता व विधायक प्रदीप यादव पोड़ैयाहाट से अपनी सीट बचाने में सफल रहे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस क्षेत्र में दो सभा की थी एक बरहेट में और दूसरा दुमका में. इसमें से दुमका सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की. राजमहल सीट से भाजपा के अनंत ओझा ने जीत दर्ज किया. वहीं भाजपा छोड़ राजद में गये अरुण मंडल को हार का सामना करना पड़ा है. नाला से भाजपा के विधायक सत्यानंद झा बाटुल को टिकट दिये जाने पार्टी के निर्णय को गलत ठहराया जा रहा था. और हु़आ भी वही. नाला से झामुमो के रवींद्र नाथ महतो ने सीट झटक लिया है. महागामा से भाजपा के अशोक कुमार ने कांग्रेस से अपनी सीट वापस ले ली है. जामा से हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को कमजोर माना जा रहा था, पर उन्होंने दूसरी बार इस सीट से जीत दर्ज की है. कुल मिलाकर संताल-परगना में भाजपा और झाममुमो के बिची मुकाबला काफी टफ था.

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