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बुरुगुलिकेरा कांड के पीछे गुजरात के सति पति पंथ के प्रभाव की जांच जरूरी

रांची : पश्चिमी सिंहभूम के बुरुगुलिकेरा गांव में सात लोगों की हत्या में पत्थलगड़ी की भूमिका को समझने के लिए आदिवासी बुद्धजीवी मंच, आदिवासी अधिकार मंच, आदिवासी महिला नेटवर्क, जन आंदलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), जौहर, मार्क्सवादी समन्वय समिति, उलगुलान सेना व अन्य संगठनों के एक दल ने बुरुगुलिकेरा का दौरा किया़ सोमवार को सीपीआइ […]

रांची : पश्चिमी सिंहभूम के बुरुगुलिकेरा गांव में सात लोगों की हत्या में पत्थलगड़ी की भूमिका को समझने के लिए आदिवासी बुद्धजीवी मंच, आदिवासी अधिकार मंच, आदिवासी महिला नेटवर्क, जन आंदलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), जौहर, मार्क्सवादी समन्वय समिति, उलगुलान सेना व अन्य संगठनों के एक दल ने बुरुगुलिकेरा का दौरा किया़ सोमवार को सीपीआइ (एम) कार्यालय में इसकी रिपोर्ट की.

प्रफुल्ल लिंडा, आलोका, सुशांतो मुखर्जी, सिराज दत्ता, रामजी मुंडा व विनोद कुमार ने कहा कि हेमंत सरकार गुजरात के ‘सति पति पंथ’ द्वारा झारखंड में उनकी सोच और संगठन के विस्तार के कारणों की जांच कर आदिवासियों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों का निवारण करे़
इसके लिए पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून, सुप्रीम कोर्ट का समता निर्णय और अन्य आदिवासी केंद्रित कानूनों के प्रावधान को लागू करे़ यह सुनिश्चित करे कि विकास का खाका आदिवासी विश्व दृष्टि और जरूरतों पर आधारित हो़ सरकार पत्थलगड़ी वाले गांवों, विस्थापित गांवों के प्रतिनिधियों, आदिवासी संगठनों और संविधान विशेषज्ञों के साथ बात भी करे़
रिपोर्ट में क्या है : रिपोर्ट में कहा गया है कि गांव में आधे से अधिक परिवार गुजरात से आये एसी कुटुंब परिवार (सति पति पंथ) के समर्थक थे़ पंथ का नेतृत्व रणसी बुढ़ और कुछ अन्य करते थे, जिन पर जेम्स बुढ़ और गांव के छह अन्य लोगों की हत्या का आरोप है़
गांव में एक साल से सक्रिय इस पंथ ने लोगों को राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड जमा करने और सभी सरकारी योजनाओं का उपयोग या लेना बंद करने को कहा़ आधे से अधिक परिवारों ने दस्तावेज जमा भी किये, लेकिन जेम्स बुढ़ व कई अन्य ने ऐसा नहीं किया़ लोगों से कहा जाता था कि दस्तावेज जमा नहीं किया, तो उन्हें आदिवासी नहीं माना जायेगा या गांव से निकाल दिया जायेगा़ लोगों से अपना खतियान भी जमा करने को कहा गया था़
ग्राम पंचायत के उप मुखिया जेम्स बुढ़ ने (सरकारी योजनाओं का काम कराते थे) योजनाओं को बंद करने के आह्वान पर आपत्ति जतायी थी़ वहीं, रणसी बुढ़ की पत्नी मुक्ता होरो पूर्व मुखिया थीं. वह भी योजनाओं का काम कराती थीं. सति पति पंथ के समर्थकों ने लोगों को चर्च में न जाने और सरना (आदिवासी) त्योहारों को नहीं मनाने के लिए भी कहा था़ हालांकि अभी भी अनेक बातें स्पष्ट नहीं है़ं
पंथ से संबंधित टकराव शायद एकमात्र कारण नहीं : रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों की गवाही, पीएलएफआइ की संभावित भूमिका, हिंसा की अनियमितता व प्रकार आैर रणसी बुढ़ व और जेम्स बुढ़ द्वारा योजनाओं के कार्यान्वयन से पता चलता है कि इन दोनों गुटों के बीच पंथ से संबंधित टकराव शायद हत्या का एकमात्र कारण नहीं है़ हमें उम्मीद है कि हत्याओं की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) इन सवालों का जवाब दे पायेगा़

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