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रांची : नहीं मिल रहे केंदू पत्ता के खरीदार, मजदूरों पर संकट

मनोज सिंह इस साल दो नीलामी में मात्र 1.61 करोड़ रुपये का ही पत्ता बिका रांची : झारखंड में केंदू पत्ता का खरीदार नहीं मिल रहा है. झारखंड वन विकास निगम इस साल केंदू पत्ता बेचने के लिए दो बार नीलामी करा चुका है. अब तक मात्र 1.61 करोड़ का ही केंदू पत्ता बिक पाया […]

मनोज सिंह
इस साल दो नीलामी में मात्र 1.61 करोड़ रुपये का ही पत्ता बिका
रांची : झारखंड में केंदू पत्ता का खरीदार नहीं मिल रहा है. झारखंड वन विकास निगम इस साल केंदू पत्ता बेचने के लिए दो बार नीलामी करा चुका है. अब तक मात्र 1.61 करोड़ का ही केंदू पत्ता बिक पाया है. पिछले कई सालों में केंदू पत्ते की मांग में अप्रत्याशित कमी है. इससे जंगलों में रहने वाले लाखों मजदूरों के समक्ष सीजन में रोजगार का संकट हो सकता है.
दूसरे राउंड में मात्र चार लॉट केंदू पत्ता ही बिक पाया. दूसरे राउंड में साधना ट्रेडर्स की रांची पूर्वी, माही ट्रेडर्स की डालटनगंज के कुंडरी व अमित कंस्ट्रक्शन की लातेहार की केंदू पत्ते की बोली स्वीकृत हुई. मेराजुद्दीन अंसारी ने हजारीबाग प्रमंडल में 4900 मानक बोरा हंटरगंज के लिए खरीदी. वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब 12 करोड़ की बिक्री हुई थी. इससे पूर्व करीब 48 व 2017-18 में 108 करोड़ की बिक्री हुई थी.
पहले राउंड में मात्र 60 लाख का बिका केंदू पत्ता : केंदू पत्ते की बिक्री के लिए जनवरी माह में वन विकास निगम ने नीलामी की थी. पहले राउंड और दूसरे राउंड में काफी कम संख्या में खरीदार आये. पहले लॉट में मात्र 60 लाख रुपये के केंदू पत्ते की ही बिक्री हो पायी. पहले चरण की नीलामी में मात्र चार क्रेता ही आ पाये. इसमें पलामू के कुंडरी में 9.89, भंडरिया में 20.00, कोल्हान में 19.21 लाख तथा सैतवा में मात्र 11.95 लाख रुपये के केंदू पत्ते की बिक्री हुई थी.
क्या कहना है क्रेताओं का : केंदू पत्ता क्रेता संघ के अध्यक्ष मिट्ठू पांडेय का कहना है कि निगम का कानून काफी टेढा है. पलामू डिविजन को ज्यादा परेशानी है. बाजार में मंदी के कारण हरेक राज्य में रिजर्व कीमत में संशोधन कर दिया है. झारखंड में कोई सुधार नहीं किया गया. तोड़ाई का पास पहले जमा करा लेते हैं. मजदूरों को पैसा नहीं देते हैं.
अभी तक विभाग ने पिछले साल का पैसा मजदूरों भुगतान नहीं किया है. दूसरे राज्यों मे तोड़ाई का पैसा सरकार देती है. इससे खरीदारों को काफी परेशानी होती है. बाड़ी पत्ता का बाजार भी खराब है. कहीं से कोई मदद भी नहीं मिल रही है. सरकार ने तय किया है कि दो हजार तक मजदूरी का नकद भुगतान करना है. लेकिन, यह सुविधा भी मजदूरों को नहीं मिल रही है.
2017-18 में 108 करोड़ में हुई थी बिक्री
पिछले 10 सालकी बिक्री की स्थिति
वर्ष राजस्व
2019-20 12.00
2018-19 48.00
2017-18 108.00
2016-17 60.00
2015-16 19.12
2014-15 16.29
2013-14 24.04
2012-13 41.24
2011-12 29.12
100 करोड़ से अधिक बंटता है मजदूरी में
पूरी लॉट बिक्री होने पर करीब आठ लाख मानक बोरा टूटता है. एक मानक बोरा में एक हजार पोला (बंडल) होता है. इसमें 25 लाख मानव दिवस का सृजन होता है. इसमें करीब एक सौ करोड़ रुपये मजदूरी बंटती है. इसमें 90 फीसदी महिलाएं होती है. केंदू पत्ते की तोड़ाई अप्रैल से लेकर मई तक होती है. पलामू में मई में तोड़ाई शुरू होती है. इसके अतिरिक्त प्रोसेसिंग पर करीब मजदूरी के रूप में 28 करोड़ रुपये बंटता है.

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