हमारे नौनिहाल पढ़ाई के दबाव में अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं. ज्यादा अंक पाने का दबाव इस कदर है कि छठी कक्षा में पढ़ रही छात्रा शोभा और एक अन्य छात्र ने जान दे दी. एक दूसरा छात्र रिम्स में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है. अभिभावक भी सदमे में हैं. यह सोचने और संभलने का वक्त है. मनोवैज्ञानिक कहते हैं-हमारी अपेक्षाओं ने बच्चों को परेशान कर दिया है. हालात चौंकानेवाले हैं.
कम अंक आये, तो छात्रा ने दे दी जान
पिपरवार. पिपरवार की सीआइएसएफ कॉलोनी, बचरा में छठी कक्षा की छात्रा शोभा कच्छप ने शुक्रवार सुबह दुपट्टे से गले में फांसी लगाकर जान दे दी. वह उर्सुलाइन काॅन्वेंट स्कूल खलारी में पढ़ाई कर रही थी. आत्महत्या का कारण परीक्षा में कम अंक आना बताया जा रहा है. शोभा कच्छप (पिता- जयराम कच्छप) की मां सीसीएल के बचरा क्षेत्रीय अस्पताल में नर्स हैं. घटना के समय मां ड्यूटी पर थी. घर में शोभा और उसकी आठ वर्षीया छोटी बहन थी. शोभा कच्छप ने दुपट्टे से फांसी लगा ली. उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने छात्रा को मृत घोषित कर दिया. शोभा के पिता पिस्का मोड़, रांची में रहते हैं.
परीक्षा देकर लौटा और की आत्महत्या
हटिया. जगन्नाथपुर के अपर हटिया कलवार टोली स्थित शिव मंदिर के समीप रहनेवाले 18 वर्षीय सिद्धार्थ कुमार ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. वह विवेकानंद स्कूल में 11वीं का छात्र था. जानकारी मिलने के बाद शुक्रवार की रात जगन्नाथपुर थाना की पुलिस पहुंची और पंचनामा के बाद शव अपने कब्जे में कर लिया. छात्र शुक्रवार को तीन बजे स्कूल की गणित की परीक्षा देकर लौटा था. आशंका है कि छात्र की परीक्षा खराब गयी होगी. इसी तनाव में उसने आत्महत्या कर ली. छात्र के पिता का नाम सत्यानारायण प्रसाद है. उनकी लटमा रोड में कपड़े की दुकान है. छात्र की मां एसीबीआइ में काम करती हैं.
दबाव नहीं सह पाया आत्महत्या का प्रयास
मांडर. मांडर थाना क्षेत्र के कैम्बो गांव निवासी रोहित साहू (19 वर्ष) ने शुक्रवार को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया. समय रहते घर के लोगों को इसकी भनक लग गयी और उसे फांसी के फंदे से उतार लिया गया. इसके बाद उसे इलाज के लिए पहले लिवंस अस्पताल, बाद में मांडर रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया. वहां से रिम्स रेफर किया गया. रिम्स में इलाजरत रोहित साहू की हालत गंभीर है. घटना शुक्रवार सुबह करीब नौ बजे की है. परिजन के अनुसार, घर के काम-काज के कारण रोहित साहू मैट्रिक की परीक्षा की तैयारी नहीं कर पा रहा था, जिसे लेकर वह तनाव में था.
अभिभावकों की अपेक्षा से बढ़ रहा बच्चों पर दबाव
अभिभावकों की अपेक्षाएं अपने बच्चोंं से बढ़ गयी हैं. हर कोई अपने बच्चे को टॉपर देखना चाहता है. ऐसे में बच्चों पर दबाव बढ़ जाता है. दाेस्त भी कम अंक वाले बच्चों से दूरी बनाने लगते हैं. मीडिया में भी ज्यादा अंक लानेवाले बच्चों की खबरें भी प्रमुखता से छपती है. इससे दबाव बनता है. बच्चों के इमोशनल हेल्थ पर नियमित बात होनी चाहिए.
डॉ सुयश सिन्हा, मनोचिकित्सक