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रांची : चिटफंड कंपनी ने बिना अनुमति के 24 ऑफिस खोल कर वसूले करोड़ों रुपये, कम पढ़े-लिखे व ग्रामीणों को बनाया निशाना

रांची : झारखंड में कई चिटफंड कंपनियों ने लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने का काम किया है. इन्हीं में से एक है विशाखापत्तनम की कंपनी वेलफेयर बिल्डिंग एस्टेट. वर्ष 2016 में कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने 384 कंपनी को पैसा लेने की अनुमति दी थी, इसमें वेलफेयर बिल्डिंग कंपनी का नाम नहीं था. फिर भी इस […]

रांची : झारखंड में कई चिटफंड कंपनियों ने लोगों की गाढ़ी कमाई लूटने का काम किया है. इन्हीं में से एक है विशाखापत्तनम की कंपनी वेलफेयर बिल्डिंग एस्टेट. वर्ष 2016 में कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने 384 कंपनी को पैसा लेने की अनुमति दी थी, इसमें वेलफेयर बिल्डिंग कंपनी का नाम नहीं था. फिर भी इस कंपनी ने झारखंड के विभिन्न जिलों में 24 दफ्तर खोले और स्थानीय लोगों को मैनेजर व एजेंट के तौर पर बहाल किया.
कम पढ़े-लिखे लोगों, खासकर ग्रामीणों व आदिवासियों को सॉफ्ट टारगेट बनाया और धीरे-धीरे पैसे वसूले. सभी पैसे स्टाफ द्वारा कंपनी के केनरा बैंक में खोले गये बैंक एकाउंट (खाता संख्या 2472201001212) में जमा किये गये. वहीं, कंपनी के स्टाफ को समय पर सैलरी भी नहीं दी जाती थी. जानकारों के मुताबिक, कंपनी ने लोगों से करोड़ों रुपये की उगाही की, लेकिन लोगों काे पैसा लौटाये बिना ही 19 दफ्तरों को बंद कर दिया. लेकिन सरकारी तंत्र ने कोई ठोस कार्रवाई कंपनी के संचालकों के खिलाफ नहीं की. यही वजह है कि अब भी कंपनी का पांच दफ्तर अलग-अलग जगहों पर चल रहा है.
पांच साल में रकम दोगुनी करने का लोभ देकर लिये पैसे : पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने पांच साल में रकम दोगुनी करने की बात कह कर लोगों से पैसे लिये. बदले में बांड पेपर दिया गया. चाइबासा के टोंटो की सुखवंती हेम्ब्रम, कृष्णा सिरका, लोपो बोदरा, दुबुल हेम्ब्रम, मनाय हेम्ब्रम, मंगल सिंह आदि ग्रामीणों में से किसी से पांच हजार, किसी से छह हजार, किसी से 10 हजार, किसी से 18 हजार रुपये तक वसूले. लेकिन टर्म पूरा होने के बाद भी इन लोगों के पैसे शर्त के अनुसार नहीं लौटाये गये.
इसी तरह रामगढ़ के मांडू की रहनेवाली सीमा देवी ने भी कंपनी में तीन साल में 36 हजार रुपये जमा किये. कंपनी के कहा कि पांच साल पूरा होने पर ब्याज सहित पैसा दिया जायेगा. लेकिन कई बार आॅफिस का चक्कर लगाने के बाद भी इनको पैसा नहीं मिला. इन्हीं की तरह शोभा देवी, जलेश्वर महतो, कुंती देवी, चारो देवी, कितया देवी, विकास कुमार, मिलपो देवी, वसंती देवी, सोनी देवी, संगीता देवी, भुवनेश्वर महतो, निरासो देवी, रुबी देवी, सोनी देवी व सरिता देवी ने भी एक-एक पैसे जोड़ कर कंपनी में जमा कराये थे. इनको भी पैसा वापस नहीं मिला.
बंद हुआ कंपनी का दफ्तर
चंदनक्यारी, कुज्जू, बालूमाथ, चतरा, डालटेनगंज, देवघर, गढ़वा, गोड्डा, हरिहरगंज, हंटरगंज, कतरासगढ़, खेलारी, कोडरमा, लोहरदगा, नगरऊंटारी, रामानुजगंज, रांची, जपला और प्रतापपुर.
पांच आॅफिस अब भी हैं
बड़कागांव, बेड़ो, गुमला, हजारीबाग और सिल्ली में है कंपनी का ऑफिस

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