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रांची : अभियोजन स्वीकृति का मामला लटका
रांची : स्टेट फूड कॉरपोरेशन के वर्तमान एमडी बद्रीनाथ चौबे और रांची के तत्कालीन एसडीओ विनय कुमार सिंकू के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का मामला पिछले चार महीने से सरकार के पास लंबित है.इन दोनों अधिकारियों के विरुद्ध कोतवाली थाने में वर्ष 2015 में दर्ज जालसाजी के मामले में अभियोजन स्वीकृति मांगी गयी है. चौबे इसी […]
रांची : स्टेट फूड कॉरपोरेशन के वर्तमान एमडी बद्रीनाथ चौबे और रांची के तत्कालीन एसडीओ विनय कुमार सिंकू के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का मामला पिछले चार महीने से सरकार के पास लंबित है.इन दोनों अधिकारियों के विरुद्ध कोतवाली थाने में वर्ष 2015 में दर्ज जालसाजी के मामले में अभियोजन स्वीकृति मांगी गयी है. चौबे इसी महीने सेवानिवृत होनेवाले हैं.
जालसाजी का यह मामला चुटिया थाने क्षेत्र में एक नाली विवाद से संबंधित है. वर्ष 1995 में धारा 144 के तहत दिये गये फैसले को व्यवहार न्यायालय में चुनौती दी गयी. व्यवहार न्यायालय ने एसडीओ के कोर्ट के फैसले को निरस्त करते हुए नये सिरे से धारा 147 के तहत सुनवाई का आदेश दिया. इसके बाद व्यवहार न्यायालय के इस आदेश से जुड़ी फाइल लौटने के दौरान रास्ते से ही गायब हो गयी. फाइल गायब होने के सिलसिले में दर्ज मामला फिलहाल न्यायालय में विचाराधीन है.
दूसरी तरफ हरी प्रसाद अग्रवाल द्वारा धारा 147 और धारा 188 के तहत दायर मामलों में अधिकारियों ने गड़बड़ी की. इस मामले की जांच प्रमंडलीय आयुक्त ने की. जांच में तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी विनय कुमार सिंकू और कार्यपालक दंडाधिकारी को दोषी पाया गया. अग्रवाल ने प्रमंडलीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट में दोषी पाये गये अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध डीजीपी से किया. डीजीपी के आदेश पर विनय सिंकू और बद्रीनाथ चौबे के खिलाफ वर्ष 2015 में कोतवाली थाने में जालसाजी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. पुलिस ने इस मामले में अक्तूबर 2019 में सरकार से इन अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन स्वीकृति मांगी. हालांकि सरकार के पास यह मामला अभी तक लंबित है.
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