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विधानसभा में नहीं होगा एंग्लो इंडियन सदस्य, झारखंड ही नहीं 13 राज्यों की विधानसभा में भी यही स्थिति

संजय रांची : झारखंड सहित देश के 13 राज्यों की विधानसभा में अब एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई नामित सदस्य नहीं होगा. वहीं, लोकसभा में भी इस समुदाय के दो नामित सदस्यों को जगह नहीं मिलेगी. एेसा 126वीं संविधान संशोधन विधेयक के 12 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो जाने से हुआ है. संशोधन के […]

संजय
रांची : झारखंड सहित देश के 13 राज्यों की विधानसभा में अब एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई नामित सदस्य नहीं होगा. वहीं, लोकसभा में भी इस समुदाय के दो नामित सदस्यों को जगह नहीं मिलेगी. एेसा 126वीं संविधान संशोधन विधेयक के 12 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो जाने से हुआ है.
संशोधन के तहत देश भर की लोकसभा व विधानसभा सीटों के लिए एससी-एसटी के आरक्षण को अगले 10 वर्षों (26 जनवरी 2020 से) के लिए विस्तार (एक्सटेंशन) दे दिया गया है. वहीं, नामित सदस्य के रूप में एंग्लो इंडियन समुदाय को मिलनेवाले आरक्षण को एक्सटेंशन नहीं मिला है. इससे उक्त प्रावधान 25 जनवरी को अपने आप निरस्त हो जायेगा.
आबादी कम होने का दिया हवाला
गौरतलब है कि इस समुदाय को 1952 से यह आरक्षण मिला हुआ था. एंग्लो इंडियन समुदाय का कोई अलग राज्य या क्षेत्र नहीं है, बल्कि ये लोग झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं. लोकसभा तथा 13 राज्यों की विधानसभाअों में इनके आरक्षण का आधार भी यही था.
पर केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बिल पर बहस के दौरान कहा कि 1951 में एंग्लो इंडियन की आबादी करीब 1.11 लाख थी, जो अब सिर्फ 296 रह गयी है. हालांकि कुछ सांसदों ने 1951 की आबादी को 3.5 लाख बताया. पर यह बिल 10 दिसंबर को पहले लोकसभा तथा 12 दिसंबर को राज्यसभा से पास हो गया.
126वीं संविधान संशोधन विधेयक के पास होने की वजह से इस समुदाय को मिला आरक्षण हुआ खत्म
इन 13 राज्यों में थे प्रतिनिधि :
झारखंड (पहले बिहार), आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल.
एेसा 126वीं संविधान संशोधन विधेयक के 12 दिसंबर को राज्यसभा में पास हो जाने से हुआ
आरक्षण समाप्त होने से हम दुखी
एंग्लो इंडियन समुदाय के नामित सदस्य गॉलस्टेन ने कहा
झारखंड विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय के नामित सदस्य ग्लेन जोसेफ गॉलस्टेन ने कहा कि उनके समुदाय को लोकसभा व विधानसभा में देय आरक्षण अब समाप्त होने से वह दुखी हैं.
उन्होंने कहा कि देश भर में हमारी आबादी 296 नहीं, बल्कि लाखों में है. सिर्फ झारखंड में हमारी आबादी 10-12 हजार होगी. यहां हम मैकलुस्कीगंज, रांची, जमशेदपुर, घाटशिला व धनबाद में रहते हैं. गॉलस्टेन ने कहा कि दिल्ली स्थित हमारे राष्ट्रीय संगठन ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को आरक्षण बरकरार रखने के लिए ज्ञापन दिया है. पर अभी उनकी अोर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. गॉलस्टेन ने कहा कि मैकलुस्कीगंज में लॉ एंड अॉर्डर की समस्या से निबटने के लिए थाना बनाने का आग्रह मैंने ही किया था. यह थाना आज भी मेरे ही मकान में चल रहा है. हालांकि, इसका नया भवन बन गया है. उन्होंने कहा कि सदन में प्रतिनिधित्व होने से हम अपने हित की बात कर सकते थे, जो अब नहीं हो सकेगा.
सरकार के फैसले से एंग्लो इंडियन समुदाय हतप्रभः हॉरिगन
मैक्लुस्कीगंज : आजादी के बाद भारत में बचे रह गये अंग्रेजों के सामने यहां रहने के साथ-साथ रोजी-रोजगार की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गयी थी.
इस समुदाय का अपना कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं था. तत्कालीन गोरों (ऐंग्लोस) समुदाय के नेतृत्वकर्ता फ्रैंक अंथोनी 1942 से 46 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य थे. उसके बाद 46 से 50 तक कंस्टीट्यूएंट असेंबली ऑफ इंडिया के सदस्य थे. साथ ही एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रतिनिधि थे. उनकी पहल व अनुरोध पर तब के प्रधानमंत्री पं जवाहरलाल नेहरू जी के प्रयास से समुदाय के लिए एक विधेयक पास हुआ था.
फ्रैंक अंथोनी लंबे समय तक द आॅल इंडिया एंग्लो इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे थे. भारत में रह गये अंग्रेजों के संरक्षण व विशेष देखभाल के लिए विधेयक में उक्त समुदाय से ही प्रतिनिधि के रूप में दो सांसद व देश के कई राज्यों में मनोनीत विधायक प्रतिनिधि की रिजर्व व्यवस्था की गयी. उक्त जानकारी गुरुवार को द ऑल इंडिया एंग्लो इंडियन एसोसिएशन मैक्लुस्कीगंज शाखा के पूर्व अध्यक्ष मैल्कम हॉरिगन ने प्रभात खबर प्रतिनिधि से साझा किया. मैल्कम हॉरिगन ने कहा कि सरकार के इस फैसले से मैक्लुस्कीगंज सहित पूरे राष्ट्र के एंग्लो समुदाय हतप्रभ है.
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र और राज्यों में एंग्लो इंडियन का सांसद/विधायक की रिजर्व सीटें सरकार खत्म करती है तो यह उनके समुदाय के लिए बहुत ही दुख की बात होगी. इससे उनकी आवाज सरकार तक पहुंचाने वाला कोई नहीं होगा. इससे सिर्फ एंग्लो इंडियन को नहीं बल्कि उनके क्षेत्र का विकास भी बाधित होगा.

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