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रांची : उर्दू विभाग में अरबी फारसी के कोर्स बंद
रांची : रांची विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में दो डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किये गये थे. दोनों में दाखिला भी लिये गये, लेकिन इनमें एक भी बैच पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया और इसे बंद कर दिया गया. इसके पीछे कारण विद्यार्थियों का नहीं आना बताया जा रहा है. इसमें पीजी डिप्लोमा इन अरेबिक (अरबी) और […]
रांची : रांची विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में दो डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किये गये थे. दोनों में दाखिला भी लिये गये, लेकिन इनमें एक भी बैच पढ़ाई पूरी नहीं कर पाया और इसे बंद कर दिया गया. इसके पीछे कारण विद्यार्थियों का नहीं आना बताया जा रहा है. इसमें पीजी डिप्लोमा इन अरेबिक (अरबी) और पीजी डिप्लोमा इन पर्सियन (फारसी) कोर्स शामिल हैं. दोनों पाठ्यक्रम तत्कालीन कुलपति डॉ एलएन भगत के समय में शुरू किये गये थे और विभागीय अध्यक्ष डॉ जमशेद कंवर थे.
अरबी और फारसी की हुई थी शुरुआत : उर्दू विभाग में 2012 में दो डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत एक साथ की गयी थी. पहले बैच में दोनों में 10 विद्यार्थियों ने नामांकन कराया, लेकिन इसमें किसी ने पूरी फीस दी, तो किसी ने आधी.
वहीं विभाग की ओर से इस पाठ्यक्रम को चलाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. इसके अलावा विवि की ओर से भी कोई पहल नहीं की गयी. दो साल गुजर जाने के बाद भी इनकी परीक्षा नहीं ली गयी. कई विद्यार्थियों ने पाठ्यक्रम बीच में छोड़ दिया और बाद में विभाग की ओर से इसे बंद कर दिया गया.
दोनों पाठ्यक्रम में है बेहतर करियर : अरबी और फारसी में युवाओं के लिए बेहतर करियर है. उर्दू के साथ दोनों भाषाओं की जानकारी और पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद अरब देशों में रोजगार के अवसर मिलते हैं.
इसके अलावा दूतावास में भी अनुवादक के रूप में काम करने का मौका मिलता है. इस बारे में डॉ मंजर हुसैन, विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, रांची विवि ने कहा कि पाठ्यक्रम शुरू किया गया था और करियर से सबंधित था. लेकिन उस दौरान विद्यार्थी नहीं मिलने के कारण इसे बंद कर दिया गया.
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