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एफएसएल की नियुक्ति नियमावली पर जेपीएससी और विधि विभाग की मुहर

वित्त विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद कैबिनेट में रखा जायेगा प्रस्ताव एफएसएल के रिक्त पदों को भरा जायेगा, समय पर पुलिस को मिलेगी जांच रिपोर्ट प्रणव, रांची : एफएसएल (राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला) की नियुक्ति नियमावली पर जेपीएससी और विधि विभाग ने मुहर लगा दी है. अब फाइल वित्त विभाग को भेजा गया […]

  • वित्त विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद कैबिनेट में रखा जायेगा प्रस्ताव
  • एफएसएल के रिक्त पदों को भरा जायेगा, समय पर पुलिस को मिलेगी जांच रिपोर्ट
प्रणव, रांची : एफएसएल (राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला) की नियुक्ति नियमावली पर जेपीएससी और विधि विभाग ने मुहर लगा दी है. अब फाइल वित्त विभाग को भेजा गया है. वित्त विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद नियमावली को पास कराने के लिए कैबिनेट में रखा जायेगा.नियमवाली कैबिनेट से पास होने और राज्य सरकार से अधिसूचित होने के बाद एफएसएल के रिक्त पदों को बहाली व अनुबंध के जरिये भरने की कार्रवाई की जा सकेगी. गढ़वा के नारायण साव के मामले में हाइकोर्ट ने जून में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह एफएसएल की नियुक्ति नियमावली को दो माह में तैयार करे.
फिलवक्त विशेषज्ञ निदेशक, वैज्ञानिक सहायक, सहायक निदेशक, बिसरा कटर सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर काफी रिक्ति है. यही वजह है कि समय पर एफएसएल से कोई भी जांच रिपोर्ट पुलिस को नहीं मिल पा रही है. इसका असर सीधे तौर पर अनुसंधान पर पड़ रहा है.
किस पद पर कितनी रिक्ति
सहायक निदेशक के 66 पद हैं. इसमें 75 फीसदी पोस्ट यानी 49 पद बहाली के जरिये सीधे नियुक्त किया जाना है. जबकि 25 फीसदी यानी 17 पोस्ट प्रोन्नति से भरे जाने हैं. इसी तरह वैज्ञानिक सहायक के कुल 81 पद हैं. इसमें से 31 पद पर वैज्ञानिक सहायक बहाल हैं. जबकि 26 अनुबंध पर हैं. शेष 24 पदों को भरा जाना है.
बिसरा कटर के बिना काम हो रहा प्रभावित
एफएसएल में बिसरा कटर के दो पद हैं. फिलवक्त दोनों पद रिक्त हैं. पूर्व में एक बिसरा कटर थे, जो सेवानिवृत्त हो गये. फिर से उन्हें ही अनुबंध पर रखने के लिए विभाग ने तैयार किया है. फाेरेंसिक जांच में बिसरा अहम कड़ी माना जाता है.
किसी व्यक्ति की मौत किन कारणों से हुई है, इसका सही पता बिसरा की जांच से ही चलती है. यह जानकारी पुलिस के अनुसंधान में बहुत कारगर साबित होता है. वर्तमान में एफएसएल में कई महीनों से सैकड़ों की संख्या में बिसरा पड़ा है. लेकिन इसकी जांच समय पर नहीं हो पा रही है. इस वजह से पुलिस का अनुसंधान पूरा नहीं हो पा रहा है.
बिसरा कटर का काम सबके बूते की बात नहीं
बिसरा किसी व्यक्ति का वह अहम पार्ट होता है, जिसमें उसकी मौत का कारण छिपा होता है. विशेषज्ञ इसकी जांच कर मौत का सही कारण सामने लाते हैं. बिसरा की जांच से पहले उसको मशीन पर रखकर काटा जाता है. बिसरा काटने वाले को ही बिसरा कटर कहा जाता है.
लेकिन बिसरा काटने का काम सबके बस की बात नहीं है. जिस कमरे में बिसरा रखा जाता है, वहां पर महीनाें से वह रखा हुआ होता है. ऐसे में दुर्गंध इतनी तेज होती है कि आम आदमी वहां कुछ वक्त रुकने की सोच भी नहीं सकता. ऐसे में वहां काम करनेवाला बिसरा कटर कैसे काम को अंजाम देता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
एके बापुली फिर बनाये जा सकते हैं निदेशक
एफएसएल के पहले निदेशक एके बापुली बनाये गये थे. उनका अनुबंध समाप्त हुए दो साल से ज्यादा वक्त गुजर गया. लेकिन उनकी जगह पर किसी को विशेषज्ञ निदेशक नहीं बनाया गया. एफएसएल को बेहतर बनाने में एके बापुली का अहम योगदान माना जाता है. उनके जाने के बाद से एफएसएल के कार्यों में लगातार गिरावट दर्ज की गयी.
अब फिर से पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों ने एके बापुली से संपर्क किया है. उनसे कुछ दौर की बात भी हो चुकी है. संभव है कि उन्हें फिर से एफएसएल निदेशक की जवाबदेही सौंपी जाये. हालांकि इस पर अंतिम निर्णय सरकार के स्तर पर होगा.
पुलिस मुख्यालय मांग रहा एफएसएल के देखरेख की जवाबदेही
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में एफएसएल गृह विभाग की देखरेख में चल रहा है. विभाग की संयुक्त सचिव पूनम प्रभा पूर्ति को ही निदेशक की अतिरिक्त जवाबदेही दी गयी है.
पूर्व में पुलिस मुख्यालय की देखरेख में एफएसएल चलता था. लेकिन पूर्व पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय के समय पुलिस मुख्यालय ने यह जवाबदेही गृह विभाग को लौटा दी थी.
अब नये डीजीपी कमल नयन चाैबे ने पदभार संभालने के बाद एफएसएल का दौरा किया था. वहां की स्थिति देखने के बाद इन्होंने राज्य सरकार को पत्र भेजकर एफएसएल के देखरेख की जवाबदेही पुलिस मुख्यालय को फिर से दिये जाने का अनुरोध किया है.

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