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रांची : जेपीएससी घोटाले में कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआइ को चार महीने का समय दिया रांची : सुप्रीम कोर्ट ने जेपीएससी घोटाले की जांच के दौरान कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराने का आदेश दिया है. साथ ही घोटाले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआइ को चार महीने का समय दिया है. न्यायमूर्ति दीपक […]
सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआइ को चार महीने का समय दिया
रांची : सुप्रीम कोर्ट ने जेपीएससी घोटाले की जांच के दौरान कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराने का आदेश दिया है. साथ ही घोटाले की जांच पूरी करने के लिए सीबीआइ को चार महीने का समय दिया है.
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अदालत ने बुद्धदेव उरांव की याचिका की सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलील सुनने का बाद यह आदेश दिया. इससे अब कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन के मुद्दे पर राज्य लोकसेवा आयोग और सीबीआइ के बीच चल रही खींचतान समाप्त हो जायेगी. 22 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गगोई , न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ में बुद्धदेव उरांव की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई थी.
इसमें सीबीआइ को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया था. इस आदेश के आलोक में सीबीआइ ने सीलबंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट पेश की. पांच अगस्त को न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ में इस मामले की सुनवाई हुई.
बताया जाता है कि सीबीआइ की ओर से पेश रिपोर्ट में यह कहा गया था कि जेपीएससी-वन और जेपीएससी-टू की सिविल सेवा परीक्षा की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराने में परेशानी हो रही है. सीबीआइ की ओर से जांच में प्रगति का उल्लेख करते हुए अदालत को यह जानकारी दी गयी कि हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में 12 पीइ दर्ज की गयी थी. प्रारंभिक जांच के बाद सात नियमित प्राथमिकी दर्ज की गयी. इसमें से चार की जांच पूरी की जा चुकी है. तीन मामले में आरोप पत्र और एक मामले में अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया गया है.
शेष तीन मामलों( सिविल सेवा की पहली व दूसरी और व्याख्याता नियुक्ति की एक ) की जांच पूरी नहीं हो सकी है. अदालत ने सुनवाई के बाद सीबीआइ को कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया. अदालत ने पुनर्मूल्यांकन का काम पूरा करने के लिए चार महीने का समय दिया. साथ ही चार महीने बाद सुनवाई की अगली तिथि निर्धारित की.
क्या है पुनर्मूल्यांकन का विवाद : नियमित प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन की योजना बनायी, ताकि साजिश में शामिल सभी पक्षों के खिलाफ जांच की जा सके.
सीबीआइ ने ट्रायल कोर्ट में आवेदन देकर कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन कराने की अनुमति मांगी. ट्रायल कोर्ट की अनुमति के बाद कुछ कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन हुआ. इसमें कुछ बड़े लोगों के रिश्तेदारों की कॉपियों में नंबर बढ़ाकर परीक्षा पास कराने का मामला सामने आया.
इसके बाद पुनर्मूल्यांकन के मामले को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी. इसमें यह कहा गया कि ट्रायल कोर्ट को इस बात का अधिकार नहीं है कि वह जांच एजेंसी को यह निर्देश दे कि वह जांच कैसे करे. इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया, जो नियमसम्मत नहीं है.
वहीं दूसरी ओर जेपीएससी ने भी शपथ दायर कर यह कहा कि उसके लिए बने अधिनियम में पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान नहीं है. मामले की सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन के लिए दिये गये आदेश को गलत करार दिया. हालांकि यह भी कहा कि अगर सीबीआइ चाहे तो पुनर्मूल्यांकन करा सकती है.
हाइकोर्ट के इस आदेश के बाद सीबीआइ ने जेपीएससी से कई बार अनुरोध किया कि वह पुनर्मूल्यांकन के लिए विशेषज्ञों की टीम बना दे. इसमें उन लोगों के नहीं शामिल करे, जिन्होंने सिविल सेवा एक और दो की कॉपियों का मूल्यांकन किया है. लेकिन जेपीएससी यह कह कर सीबीआइ के अनुरोध को मानने से इनकार करती रही कि अधिनियम में कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का प्रावधान नहीं है.
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