लड़कियों के साथ नयी जगह घुमाने का प्रलोभन देकर साइबर अपराधियों ने की ठगी
दिल्ली क्राइम ब्रांच और सीबीआइ के सहयोग से रांची साइबर थाना ने किया मामले का खुलासा
दिल्ली के दिलशाद गार्डेन, सीमापुरी से गैंग लीडर अमित दीवान और सहयोगी ब्रजमोहन प्रसाद रांची के खेलगांव से दबोचा गया
रांची : साइबर अपराधी लोगों से ठगी करने का एक से एक तरीका अपना रहे हैं. ताजा मामला रांची में पदस्थापित सेना के एक अधिकारी से जुड़ा है. अपराधियों ने स्कोका और लोकेंटो एप के जरिये लोगों को काॅल सेंटर के नाम पर जोड़ा.
फिर उन्हें नयी जगह घुमाने और साथ में लड़कियां भी उपलब्ध कराने का प्रलोभन देकर इसके एवज में मोटी रकम ऐंठना शुरू किया. इस झांसे में सेक्टर-3, हाउस नंबर-5, बी राव हाउस, खेलगांव हाउसिंग कांप्लेक्स में रहने वाले सेना के अधिकारी नितिन कुमार सिंह भी फंस गये. एप के जरिये लड़कियां इनसे संपर्क करती थी. करीब तीन माह में श्री सिंह से कई बार में 33 लाख रुपये की ठगी कर ली गयी.
जब इन्हें ठगी का एहसास हुआ, तो इन्होंने साइबर थाने में शिकायत दर्ज करायी. रांची की साइबर थाने के डीएसपी सुमित कुमार और इनकी टीम ने जांच शुरू की. इसमें इन्होंने दिल्ली क्राइम ब्रांच और सीबीआइ की मदद ली. बैंक खाता और मोबाइल लोकेशन के आधार पर सबसे पहले गैंग के लीडर अमित दीवान को दिल्ली के दिलशाद गार्डेन, सीमापुरी से गिरफ्तार किया.
फिर उसे ट्रांजिट रिमांड पर रांची लाया गया. यहां पर पूछताछ में इसने खेलगांव हाउसिंग काॅपलेक्स के सेक्टर वन, ब्लॉक नंबर 21 के फ्लैट संख्या 104 में रहने वाले अपने सहयोगी बृजमोहन प्रसाद उर्फ रमण कुमार के नाम का खुलासा किया. मूल रूप से यह शख्स उत्तरप्रदेश के चंदौली जिले के सकलडीहा थाना क्षेत्र के अलईया का निवासी है.
यह खेलगांव में शिवपाल सिंह के नाम से रहता था. दोनों ने अपराध में अपनी संलिप्तता स्वीकार की है. मामले को लेकर डीजीपी केएन चौबे, डीजी मुख्यालय पीआरके नायडू, सीआइडी एडीजी अनुराग गुप्ता, डीआइजी देवेंद्र ठाकुर और एटीएस एसपी ए. विजयालक्ष्मी सोमवार को साइबर थाने पहुंचे. अफसरों ने मामले की जानकारी अनुसंधानकर्ता से ली.
प्रेस वार्ता के दौरान डीजीपी कमल नयन चाैबे ने साइबर डीएसपी सह थाना प्रभारी सुमित प्रसाद के कार्यों की प्रशंसा की. इनकी टीम में पुलिस निरीक्षक सतीश कुमार गोराई, मुख्य तकनीकी पदाधिकारी कुमार विभूति, कुमार सौरभ, एसआइ अजय कुमार झा, के अलावा आफताब आलम, श्याम कुमार साहू , मोजिब अंसारी व मंगल गुरूंग आदि शामिल थे.
अमित दीवान ने स्वीकार कि वह स्कोका और लोकेंटो एप के जरिये विभिन्न राज्यों जैसे दिल्ली, जम्मू, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड, बिहार, पंजाब एवं अन्य हिंदी भाषी राज्य में प्रचार कर लोगों से कॉल सेंटर के माध्यम से कई सालों से मोटी रकम की ठगी कर रहा था़
इसमें इनका सहयोग बृजमोहन प्रसाद उर्फ रमण कुमार उर्फ शिवपाल सिंह जाली वोटर आइडी व पैन कार्ड के आधार पर फर्जी बैंक खाता विभिन्न नामों से बैंकों में खुलवाता था. फिर उसके आधार पर एटीएम कार्ड बैंक से निर्गत करवाता था. बैंक से एटीएम दस्तावेज में दिये गये पते पर भेजा जाता था. लेकिन पोस्ट आॅफिस के कर्मियों के सहयोग से बृजमोहन वहीं से एटीएम ले लेता था.
फिर उसे एटीएम को वह दिल्ली में रहने वाले अपने बॉस अमित दीवान को भेजता था. अमित जिस एटीएम से जितना पैसा निकालता था, उसका पांच फीसदी राशि बतौर कमीशन बृजमोहन को देता था. बृजमोहन प्रसाद 2010 में भीलवाड़ा, राजस्थान से ठगी के मामले में जेल जा चुका है तथा गाजियाबाद के विजय नगर थाना में भी इनके ऊपर एक बैंक ठगी का कांड दर्ज है.
