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रांची : 40 साल बाद एमसीआइ ने दी रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग को मान्यता

हरी झंडी. वर्ष 1979 से बिना मान्यता के ही संचालित हो रहा था विभाग पिछली सभी डिग्री को स्वत: मान्यता मिल गयी रिम्स प्रबंधन को मान्यता से संबंधित पत्र मिला रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के रेडियाेलॉजी विभाग को 40 वर्ष बाद मान्यता मिली है. यह विभाग वर्ष 1979 से बिना मान्यता […]

हरी झंडी. वर्ष 1979 से बिना मान्यता के ही संचालित हो रहा था विभाग
पिछली सभी डिग्री को स्वत: मान्यता मिल गयी
रिम्स प्रबंधन को मान्यता से संबंधित पत्र मिला
रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के रेडियाेलॉजी विभाग को 40 वर्ष बाद मान्यता मिली है. यह विभाग वर्ष 1979 से बिना मान्यता के ही चल रहा था. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने रिम्स प्रबंधन को मान्यता दिये जाने से संबंधित पत्र भेज दिया है. मान्यता मिलने के बाद पोस्ट ग्रेजुएट इन रेडियोलॉजी (पीजी) की दो सीट व पीजी डिप्लोमा इन रेडियोलॉजी (डीएमआरडी) की चार सीट पर विद्यार्थियों के नामांकन का रास्ता भी साफ हो गया है. वहीं पिछली सभी डिग्री को स्वत: मान्यता मिल गयी है.
रेडियोलाॅजी विभाग की ओर दो माह पहले एमसीआइ को मान्यता देने से संबंधित पत्र भेजा गया था, लेकिन एमसीआइ ने कमियां गिनाते हुए उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. इसके बाद रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने एमसीआइ के सेक्रेट्री जनरल डाॅ आरके वत्स से दिल्ली मेें मुलाकात की थी. डॉ वत्स ने पूर्व के प्रस्तावों व कमियों की जानकारी दी. इसके बाद रिम्स प्रबंधन ने कमियों को दूर कर नये सिरे से प्रस्ताव भेजा था.
अब अन्य राज्यों में भी सेवा दे सकेंगे डॉक्टर
रिम्स के रेडियोलाॅजी विभाग से पीजी व डिप्लोमा की डिग्री लेने के बाद विद्यार्थियों को सिर्फ अपने राज्य मेें ही नौकरी मिल पाती थी. कोर्स को मान्यता नहीं होने के कारण वह अन्य राज्यों मेें नौकरी नहीं कर सकते थे. मान्यता मिलने से अब पूर्व के सभी पीजी व डिप्लोमा के विद्यार्थी सरकारी नौकरी कर पायेंगे. रिम्स से ही पढ़ाई करने के बाद रेडियोलॉजी विभाग में सेवा दे रही महिला डॉक्टर (असिस्टेंट प्रोफेसर) को भी एमसीअाइ ने कोर्स की मान्यता नहीं होने के कारण शिक्षक के रूप मेें नहीं माना था. अब वह भी शिक्षक के रूप में योग्य हो जायेंगी.
एमसीआइ ने रेडियोलॉजी विभाग को मान्यता दे दी है. 40 साल से बिना मान्यता के कोर्स का संचालन हो रहा था. अब पूर्व के सभी सर्टिफिकेट को मान्यता मिल गयी है. यह रिम्स के लिए बड़ी उपलब्धि है.
डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक, रिम्स
रांची : रिम्स के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर अंशु का हाथ बचाया
रांची : रिम्स के सीटीवीएस विभाग, सर्जरी विभाग व हड्डी विभाग के सहयोग से रांची निवासी अंशु लोहरा के हाथ को बचा लिया गया है. अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण ऑपरेशन करना पड़ा.
सीटीवीएस विभाग के डॉ राकेश चौधरी, सर्जरी विभाग के डॉ नबू कुमार व डॉ कृष्ण कुमार तथा हड्डी विभाग के डॉ आकाश कुमार व डॉ थापा के सहयोग से ऑपरेशन किया गया. मरीज के हाथ पर एस्बेस्टस की छत टूट कर गिर गयी थी, जिससे हाथ क्षतिग्रस्त हो गया था. हाथ के रक्त की धमनियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गयी थी. अगर समय पर इलाज नहीं होता, तो उसका हाथ काटना पड़ सकता था.

रांची : रिम्स में 100 सीटें बढ़ाने के लिए सरकार ने दिये "32.98 करोड़
रांची : रिम्स में 100 सीटें बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 32 करोड़ 98 लाख 33 हजार रुपये का आवंटन 13 जून को कर दिया है. इसमें केंद्र सरकार द्वारा 19 करोड़ 79 लाख व राज्य सरकार द्वारा 13 करोड़ 19 लाख 33 हजार रुपये दिये गये हैं. रिम्स में अभी एमबीबीएस की 150 सीटें हैं. केंद्र सरकार ने पूर्व में सभी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने का फैसला किया था.
इसी के तहत रिम्स में 100 सीटें बढ़ाने की अनुमति दी गयी थी. यानी अब 250 सीटों की क्षमता रिम्स की हो जायेगी. हालांकि एमसीआइ की गाइडलाइन के अनुरूप रिम्स में सुविधाएं भी बढ़ानी होंगी. आधारभूत सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार ने राशि का आवंटन किया है.
बताया गया कि इस राशि से रिम्स में लाइब्रेरी का निर्माण किया जायेगा व आधुनिक लेक्चर थियेटर की संख्या बढ़ायी जायेगी. साथ ही हॉस्टल का निर्माण होगा. नये सुपर स्पेशियालिटी विंग का भी निर्माण होगा. जांच की सुविधा बढ़ेगी.
डॉक्टर और छात्रों के वेलफेयर के लिए काम होगा. स्वास्थ्य सचिव ने रिम्स निदेशक को पत्र लिखकर राशि आवंटन की सूचना दे दी है. साथ ही निर्देश दिया है कि योजना का कार्यान्वयन भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देश के आलोक में किया जाये.

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