विश्वत सेन/ रांची
डॉ वर्गीज कुरियन एक ऐसा नाम जो भारत में दूध उत्पादन का पर्याय बन गये. डॉ वर्गीज कुरियन ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें फादर ऑफ द वाइट रिवॉन्यूशन के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन इस बात को बहुत कम लोग ही जानते हैं डॉ कुरियन का नाता झारखंड के जमशेदपुर से भी था. भारत में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही इसके जरिये दुनिया भर में देश का परचम लहराने वाले डॉ वर्गीज कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को गुलाम भारत के मद्रास प्रेसिडेंसी के अंतर्गत केरल के कालीकट (अब केरल के कालीकट को कोझीकोड के नाम से जाना जाता है.) में एक सीरियाई ईसाई परिवार में हुआ था.
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डॉ वर्गीज कुरियन के पिता केरल के कोचीन में सिविल सर्जन थे. डॉ कुरियन पुराने मद्रास (मद्रास को अब चेन्नई कहते हैं.) के लोयला कॉल से भौतिक शास्त्र में बीए की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी के गिंडी स्थित कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में भी स्नातक की डिग्री भी हासिल की. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 1946 में तत्कालीन बिहार और अब झारखंड के जमेशदपुर स्थित स्टील टेक्निकल इंस्टीट्यूट में शामिल हो गये. इसके बाद उन्होंने 1948 में भारत सरकार की ओर से मिली छात्रवृत्ति से मिशिगन राज्य विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की.
डॉ वर्गीज कुरियन भारत के एक प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमियों में शुमार थे. वे दुनिया के सबसे बड़े कृषि कार्यक्रम फादर ऑफ द वाइट रिवॉल्यूशन के नाम से अपने ‘बिलियन लीटर आइडिया’ (ऑपरेशन फ्लड) के लिए आज भी मशहूर हैं. यह उनके इस ऑपरेशन का ही नतीजा है कि वर्ष 1998 में भारत को अमेरिका से भी अधिक तरक्की दी और दूध उत्पादन में भारत को सबसे बड़ा उत्पादक बना दिया. यह उनके परिश्रम का ही परिणाम था कि दूध उत्पादन भारतीय कृषि के लिए सबसे बड़ा आत्मनिर्भर उद्योग बन गया.
इतना नहीं, डॉ वर्गीज कुरियन ने अपने जीवनकाल के दौरान करीब-करीब 30 संस्थानों की स्थापना की. इन संस्थानों में अमूल, जीसीएमएमएफ, आईआरएमए और एनडीडीबी शामिल हैं. इन कंपनियों को किसानों द्वारा संचालित किया जाता है और वे इसे बड़े ही पेशेवराना तरीके से प्रबंधन कर संचालित करते हैं. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ (जीसीएमएमएफ) का संस्थापक अध्यक्ष होने के नाते डॉ वर्गीज कुरियन अमूल इंडिया के उत्पादों के निर्माताओं में सबसे अहम भूमिका निभाने वालों में प्रमुख हैं. अमूल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी कि उन्होंने प्रमुख दुग्ध उत्पादक देशों में गाय के बजाय भैंस के दूध का पाउडर बनाकर उपलब्ध कराया.
डॉ कुरियन की अमूल से जुडी उपलब्धियों के परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उन्हें 1965 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का संस्थापक अध्यक्ष नियुक्त किया, ताकि वे राष्ट्रव्यापी अमूल के आनंद मॉडल को दोहरा सकें. विश्व में सहकारी आंदोलन के सबसे महान समर्थकों में से एक डॉ कुरियन ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में लाखों लोगों को गरीबी के जाल से बहार निकाला है. डॉ कुरियन को पद्म विभूषण (भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान), विश्व खाद्य पुरस्कार और सामुदायिक नेतृत्व के लिए मैग्सेसे पुरस्कार सहित कई पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया था.
डॉ वर्गीज कुरियन ने मौली से शादी की और उन दोनों की एक बेटी हुई. उनके परिवार में निर्मला कुरियन और एक पोता सिद्धार्थ भी हैं. डॉ कुरियन का निधन 9 सितंबर, 2012 में निधन हो गया. उनके निधन के ठीक एक महीने बाद 14 दिसंबर, 2012 को मुम्बई में उनकी पत्नी मौली का भी निधन हो गया.
सम्मान
वर्ष पुरस्कार या सम्मान का नाम सम्मानित करने वाली संस्था
1999 पद्म विभूषण भारत सरकार
1993 इंटरनेशनल पर्सन ऑफ़ द इयर वर्ल्ड डेरी एक्सपो
1991 डिस्टींग्विश एलुमिनि मिशिगन स्टेट विश्वविद्यालय
1989 वर्ल्ड फूड प्राइज वर्ल्ड फूड प्राइज फाउंडेशन
1986 वाटलर शांति पुरस्कार कार्नेगी फाउंडेशन
1986 कृषि रत्न भारत सरकार
1966 पद्म विभूषण भारत सरकार
1965 पद्म श्री भारत सरकार
1963 रमन मैग्सेसे पुरस्कार रमन मग्सेसे पुरस्कार फाउंडेशन