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सीएनटी का उल्लंघन कर सोरेन परिवार ने 33 डीड से खरीदी सैकड़ों एकड़ जमीन
भाजपा के संताल परगना के सह प्रभारी रमेश हांसदा ने लगाया आरोप रांची : भाजपा संताल परगना प्रमंडल के सह प्रभारी रमेश हांसदा ने कहा कि सोरेन परिवार ने समय-समय पर अपने स्थानीय निवासी होने के बारे में गलत सूचनाएं दी हैं. ऐसे में उनके द्वारा किये गये सभी हस्तांतरण अवैध हैं. क्योंकि, कोई भी […]
भाजपा के संताल परगना के सह प्रभारी रमेश हांसदा ने लगाया आरोप
रांची : भाजपा संताल परगना प्रमंडल के सह प्रभारी रमेश हांसदा ने कहा कि सोरेन परिवार ने समय-समय पर अपने स्थानीय निवासी होने के बारे में गलत सूचनाएं दी हैं. ऐसे में उनके द्वारा किये गये सभी हस्तांतरण अवैध हैं.
क्योंकि, कोई भी व्यक्ति किसी एक ही स्थान का स्थायी निवासी हो सकता है. कहा है कि सोरेन परिवार द्वारा समय-समय पर गलत निवास स्थान दिखा कर सीएनटी एक्ट के प्रावधानों के तहत भूमि का हस्तांतरण कर लेना गैरकानूनी माना जायेगा.
श्री हांसदा ने सोरेन परिवार से सवाल किया है कि वे बतायें कि वास्तव में किस थाना क्षेत्र के वास्तविक निवासी हैं? गोविंदपुर (धनबाद) या बोकारो या मोरहाबादी या अरगोड़ा (रांची) या अनगड़ा (रांची), या चास या कमलडीह या दमकरा या बरवा या दमकोला के. क्योंकि वे एक साथ इन सभी थाना क्षेत्रों के निवासी नहीं हो सकते. कुल मिला कर 33 डीड के जरिये उनके परिवार वालों ने राज्य के विभिन्न जिलों में सैकड़ों एकड़ भूमि का क्रय किया है.
सभी डीड में अलग-अलग निवास स्थान बताया गया है. जबकि छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) की धारा-46 के अनुसार एक आदिवासी संबंधित उपायुक्त की अनुमति से दूसरे आदिवासी की भूमि का क्रय कर सकता है. बशर्ते की वह विक्रेता के ही थाना क्षेत्र का निवासी हो.
सोरेन परिवार को स्पष्ट करना चाहिए कि वे किस थाना क्षेत्र के वास्तविक निवासी हैं
भूमि अधिग्रहित की जाती, तो राजू उरांव को तीन से चार करोड़ रुपये मिलते
श्री हांसदा ने कहा है कि अरगोड़ा थाना रांची हरमू से संबंधित लगभग 40-45 डिसमिल का भूखंड है. इस पर हेमंत सोरेन परिवार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर सोहराय भवन नामक विवाह स्थल और भवन आदि बनाया गया है.
इसके संबंध में मूल रैयत राजू उरांव द्वारा भी विवाद उठाया गया है. सरकार की ओर से इस विषय की जांच की जा रही है. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन अरगोड़ा थाना की निवासी हैं. सवाल यह है कि सोरेन परिवार राज्य के किन-किन क्षेत्रों और जिलों के स्थायी निवासी हो सकते हैं.
हरमू स्थित उक्त भूमि का बाजार मूल्य वर्तमान में लगभग 30-40 लाख रुपये प्रति डिसमिल है. वर्ष 2009 में इसकी कीमत कम से कम 20 लाख रुपये प्रति डिसमिल हुआ करता था. लेकिन कल्पना मुर्मू द्वारा 2009 में खरीदी गयी इस जमीन के एवज में मात्र नौ लाख रुपये संबंधित आदिवासी परिवार को चुकाये गये. परंतु डीड के अनुसार सन 2009 में खरीदी गयी भूमि का सरकारी मूल्य लगभग 80 लाख रुपये था.
अगर सरकार उक्त भूमि का अधिग्रहण करती, तो उसका मूल्य आदिवासी परिवारों को कम से कम लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये मिलते. क्योंकि कानून के तहत उसको बाजार मूल्य का चार गुना रकम देय होती और यदि सरकारी मूल्य को ही बाजार मूल्य मान लिया जाये, तो आदिवासी को नौ-दस लाख की बजाये लगभग 3.4 करोड़ रुपये मूल्य देय होता.
भूमि अधिग्रहण का विरोध करने वाले हेमंत सोरेन अथवा उनकी पत्नी को बताना चाहिए कि यदि वे नौ-दस लाख में भूमि का हस्तांतरण आदिवासियों से कराते हैं, तो कैसे वे आदिवासियों का भला चाहते हैं.
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