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बिक गयी जपला सीमेंट फैक्ट्री, हैदरनगर के उपेंद्र ने खरीदी, 12.56 करोड़ की सबसे अधिक बोली

II सुनील चौधरी/जफर हुसैन II हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने नीलामी में लगायी 12.56 करोड़ की सबसे अधिक बोली रांची/हैदरनगर (पलामू). 1991 से बंद पड़ी पलामू की जपला सीमेंट फैक्ट्री को गुरुवार को पटना हाइकोर्ट ने नीलाम कर दिया. हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने 12 करोड़ 56 लाख की बोली लगाकर इसे खरीदा है. कंपनी […]

II सुनील चौधरी/जफर हुसैन II
हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने नीलामी में लगायी 12.56 करोड़ की सबसे अधिक बोली
रांची/हैदरनगर (पलामू). 1991 से बंद पड़ी पलामू की जपला सीमेंट फैक्ट्री को गुरुवार को पटना हाइकोर्ट ने नीलाम कर दिया. हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने 12 करोड़ 56 लाख की बोली लगाकर इसे खरीदा है. कंपनी के प्रोपराइटर उपेंद्र सिंह ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार व उद्योग विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में पटना हाइकोर्ट ने फैक्ट्री की नीलामी की.
नीलामी में हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के अलावा आर ट्रेडिंग कंपनी प्रालि कोलकाता, चुनार स्टील यूपीए, प्रो स्टील अहमदाबाद, बाबा विश्वनाथ कंस्ट्रक्शन, यूपीए मां विंध्यवासिनी कंपनी प्रालि उत्तर प्रदेश सहित कुल आठ कंपनियों ने हिस्सा लिया था. नीलामी में सबसे अधिक बोली लगानेवाली कंपनी हाईटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के उपेंद्र सिंह हैदरनगर के पंसा गांव के रहनेवाले हैं.
सरकार ने ठोस योजना पेश नहीं की :
इससे पहले सीमेंट फैक्ट्री की नीलामी रोकने के लिए झारखंड सरकार की ओर से दायर याचिका को पटना हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट के समक्ष 17 मई को नीलामी के लिए बिडिंग खोला भी गया. हाइकोर्ट के जज जस्टिस शिवाजी पांडेय ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि भारत सरकार की बीआइएफआर ने फैक्ट्री के जीर्णोद्धार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था और कहा था कि इसे दोबारा नहीं चलाया जा सकता. ऐसे में मजदूरों के बकाया के भुगतान के लिए हाइकोर्ट लिक्विडेटर नियुक्त कर उपकरणों की नीलामी करा रहा है.
कोर्ट ने कहा कि झारखंड सरकार इतने वर्षों से फैक्ट्री को चलाने को लेकर कोई ठोस योजना पेश नहीं कर सकी. झारखंड सरकार की ओर से अधिवक्ता एनएन ओझा ने पक्ष रखा.
उन्होंने अदालत में कहा कि फैक्ट्री की जमीन लीज पर है.इस पर हाइकोर्ट ने कहा कि यदि सरकार ने जमीन लीज पर दी है, तो कागजात पेश करे. लीज रद्द कर भूमि अपने कब्जे में ले ले. यदि जमीन निजी है, तो लिक्विडेटर इसकी भी नीलामी करायेंगे. झारखंड सरकार को जमीन लेना है, तो नीलामी में भाग ले और बताये कि जमीन लेकर उस क्षेत्र के विकास के लिए किस तरह के उद्योग लगवा सकती है.
1991 से बंद है सीमेंट फैक्ट्री
1917 में मार्टिन बर्न कंपनी ने स्थापित किया था. 1984 तक प्रबंधन लगातार बदलता रहा. वर्तमान प्रबंधन एसपी सिन्हा ग्रुप के हाथों में है. – कंपनी पहली बार 1984 में बंद हुई थी. बिहार सरकार के हस्तक्षेप के बाद 1990 में खुली
बिहार सरकार ने पांच करोड़ की सहायता देने की बात कही थी. पर 2.5 करोड़ रुपये ही दिये. इसी को आधार बनाते हुए प्रबंधन ने 1991 में इसे बंद कर दिया
कंपनी में पांच हजार मजदूर कार्यरत थे. मजदूरों ने बकाया भुगतान को लेकर पटना हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी
2016 में पटना हाइकोर्ट के आदेश पर लिक्विडेटर नियुक्त किया गया, ताकि मजदूरों व बैंकों का बकाया भुगतान किया जा सके
2017 में नये लिक्विडेटर नियुक्त किये गये. लिक्विडेटर ने 10.5.2018 को पटना के स्थानीय अखबार में फैक्ट्री के प्लांट, मशीनरी व बौलिया माइंस (रोहतास) की बिक्री का नोटिस दिया था
Prabhat Khabar Digital Desk
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