रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि रौतिया समाज के लोग शिक्षित बनें. इसी से उनका आर्थिक और सामाजिक विकास होगा. उन्होंने कहा कि रौतिया समाज ने शुरू से ही राष्ट्रवादी पार्टियों को समर्थन दिया है. उनकी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिये जाने की मांग पर 2004 और 2012 में ही सरकार के स्तर पर अनुशंसा कर दी गयी थी. श्री दास रविवार को शहीद मैदान, धुर्वा में अखिल भारतीय रौतिया समाज के महाधिवेशन में बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस, झामुमो व राजद समेत अन्य दल भाजपा हटाओ का नारा दे रहे हैं. राष्ट्र विरोधी ताकतें एक हो गयी हैं. झारखंड को लूटने वाले एक हो रहे हैं. भाजपा के विरोधी दल समाज को बांटने का षड्यंत्र रच रहे हैं.
कांग्रेस राहुल बाबा को प्रधानमंत्री बनाना चाहती है. उन्होंने कहा कि 1993 में ही झारखंड अलग राज्य का गठन हो जाता, पर झामुमो के सांसदों ने दो-दो करोड़ रुपये लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को गिरने से बचाया.
झामुमो के नेताओं ने राज्य की जनता को छला है. अटल बिहारी वाजपेयी की राजग सरकार ने 2000 में झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ अलग राज्य का निर्माण किया. झारखंड में भी कांग्रेस ने 14 वर्षों तक गंदी राजनीति की. झामुमो ने भी कांग्रेस के साथ मिल कर राज्य को लूटा. अब चार वर्षों में राज्य में विकास की गंगा बहने लगी है.
महिलाओं को सरकार कस्तूरबा बालिका विद्यालय में पढ़नेवाली लड़कियों के लिए जूता-चप्पल बनवाने का काम दे रही है. तीस-तीस महिलाओं का संगठन बनाया गया है. मौके पर असम के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र रौतिया, महामंत्री सुरेंद्र सिंह, ओड़िशा के बृज लाल सिंह, छत्तीसगढ़ के उदय नाथ सिंह सहित गुमला के विधायक शिवशंकर उरांव मौजूद थे.
गृह मंत्रालय के पास भेजी गयी संचिका : नंद कुमार
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास रौतिया जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिये जाने की संचिका भेजी गयी है. सभी राज्यों में इसके लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनायी गयी है. इनकी अनुशंसा के आधार पर रौतिया जाति को आदिवासी बनाने की प्रक्रिया में और तेजी आयेगी.
समाज में शिक्षा और नौकरी की कमी : राम प्रसाद
समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम प्रसाद साय ने कहा कि समाज में शिक्षा और नौकरी की भारी कमी है. राज्य और केंद्रीय सेवाओं में रौतिया समाज की भागीदारी कम है. इसका मुख्य कारण गरीबी व पिछड़ापन है. झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, मध्यप्रदेश, असम, बिहार, बंगाल और उत्तरप्रदेश में रौतिया समाज आदिवासियों की तरह गुजर-बसर करते हैं.
यह सबर जाति की उप जाति है. सबर की ही एक उपजाति चेरो है, जिसे आदिवासी का दर्जा दिये जाने की मांग 50 वर्षों से की जा रही है. उन्होंने केंद्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को समाज को आदिवासी का दर्जा दिये जाने के संबंध में स्मार पत्र भी सौंपा.
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