रांची/मांडर : कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में बुधवार को आतंकियों से हुई मुठभेड़ में झारखंड का लाल रंजीत खलखो (32) शहीद हो गये. मांडर के बुढ़ाखुखरा निवासी और रंजीत बिहार रेजिमेंट के जवान थे. कश्मीर में तैनात थे. उनका पार्थिव शरीर गुरुवार रात करीब नौ बजे विशेष विमान से रांची लाया गया. सेना के वाहन में रख कर पार्थिव शरीर को जैसे की टर्मिनल भवन से बाहर लाया गया, मां लोलेन खलखो, बहन रजनी खलखो फूट- फूट कर राेने लगी. एयरपोर्ट पर मौजूद परिजनों ने किसी तरह दोनों को संभाला. ग्रामीणों ने बताया कि रंजीत खलखो की शादी तय हो चुकी थी. 15 अप्रैल के बाद छुट्टी में वह घर आनेवाले थे. उसी समय विवाह होना तय था.
राज्यपाल सहित कई लोग पहुंचे एयरपोर्ट : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित की. राज्यपाल ने शहीद की मां और बहन से मुलाकात कर उन्हें ढांढ़स बंधाया. मां बार-बार अपने बेटे का चेहरा देखने का आग्रह कर रही थी. एयरपोर्ट पर मंत्री अमर बाउरी, विधायक नवीन जायसवाल, गंगोत्री कुजूर , गृह सचिव एकेजी रहाटे, उपायुक्त महिपत राय रे, ग्रामीण एसी अजीत पीटर डुंगडुंग के साथ सेना के वरीय अधिकारियों ने भी शहीद के पार्थिव शरीर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किये. पार्थिव शरीर को एयरपोर्ट से नामकुम कैंट ले जाया गया. शुक्रवार सुबह सात बजे पैतृक गांव मांडर ले जाया जायेगा.
कैसे हुए थे शहीद
कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित हलमतपोर इलाके में सात आतंकियों की सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च आॅपरेशन चलाया था. इसी दौरान मस्जिद में छिपे आतंकी जंगल की ओर भागने लगे. दोनों ओर से मुठभेड़ हुई. इसमें रंजीत खलखो सहित सुरक्षा बल के पांच जवान शहीद हो गये.
सीएम ने की 10 लाख देने की घोषणा
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि शहीद रंजीत खलखो की शहादत पर झारखंड के हर नागरिक को गर्व है. उन्होंने शहीद के आश्रित को राज्य सरकार की तरफ से 10 लाख रुपये देने की घोषणा की है.
देश के लिए कुर्बान : गवर्नर
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि रंजीत खलखो नायक थे, देश के लिए कुर्बान हुए हैं. देश के किसी भी लाल के साथ इस तरह की घटना दुखदायी है. सरकार रंजीत खलखो के परिवार के साथ है.
2002 में बहाल हुए थे
रंजीत खलखो की प्रारंभिक शिक्षा मांडर के संत अलोइस विद्यालय से हुई थी. संत जॉन उच्च विद्यालय (नवाटांड़) से मैट्रिक की परीक्षा दी थी. मैट्रिक पास करने के बाद वह वर्ष 2002 में सेना में बहाल हुए थे.
पिता भी थे सेना में
रंजीत खलखो के पिता नज्जु खलखो भी सेना में थे. छह वर्ष पूर्व उनकी मौत हो गयी थी. सेवानिवृत्ति के बाद वह मांडर के बीडीओ के चालक के रूप में कार्यरत थे. रंजीत की तीन बहनें रजनी खलखो, सरस्वती खलखो, परिवा खलखो और भाई राजेंद्र खलखो हैं. रजनी खलखो चाईबासा में नर्स है. भाई राजेंद्र खलखो लापुंग प्रखंड कार्यालय में क्लर्क हैं. वहीं सरस्वती व परिवा खलखो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही हैं.