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मर्यादा व सीमा में रह कर बात रखें, तो नहीं होगी अव्यवस्था
रांची : विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कहा कि विधानसभा में बढ़ती अव्यवस्था की प्रवृत्ति चिंता का विषय है. अगर सभी सदस्य मर्यादा व अपनी सीमा में रह कर बात रखें, तो अव्यवस्था को दूर किया जा सकता है. व्यावहारिक विषयों और विचारों की शालीनता से रखा जाना चाहिए. श्री उरांव मंगलवार को विधानसभा सभागार […]
रांची : विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कहा कि विधानसभा में बढ़ती अव्यवस्था की प्रवृत्ति चिंता का विषय है. अगर सभी सदस्य मर्यादा व अपनी सीमा में रह कर बात रखें, तो अव्यवस्था को दूर किया जा सकता है. व्यावहारिक विषयों और विचारों की शालीनता से रखा जाना चाहिए.
श्री उरांव मंगलवार को विधानसभा सभागार में विधायी शोध संदर्भ एवं प्रशिक्षण कोषांग की ओर से सभा वेश्म में आये दिन बढ़ती अव्यवस्था की प्रवृत्ति के कारण व निदान विषय पर आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि अगर सदस्यों के सवालों का सटीक व संतोषजनक जवाब दिया जाये तो पूरक प्रश्न की जरूरत नहीं पड़ेगी. सदस्य जवाब से संतुष्ट होगा. साथ ही ज्यादा से ज्यादा विधायकों के सवालों पर चर्चा हो पायेगी. उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर गिरावट आयी है. इसे हमें मिल कर दूर करना होगा.
स्वतंत्रता उदंडता में न बदले, इसका ध्यान रखें : सरयू राय
संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने कहा कि सदन की कार्यवाही के दौरान अगर कोई सदस्य वेल में आ जाता है, तो सदन अव्यवस्थित हो जाता है. हमें अपनी बातें सीट पर भी रह कर कहने का प्रयास करना चाहिए. सदन के सुचारु संचालन में सदन नेता की जिम्मेवारी अधिक होती है. हमें जिम्मेवारी का एहसास होना चाहिए. हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि स्वतंत्रता उदंडता में न बदले. अगर ऐसा होता है तो कानून बनाना चाहिए. सदन परस्पर संवाद से चलता है.
जनता के प्रति उत्तरदायी है सत्ता पक्ष व विपक्ष : राधाकृष्ण किशोर
सत्तारूढ़ दल के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जनता अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विधायकों को चुन कर विधानसभा भेजती है. सत्ता पक्ष व विपक्ष दोनों जनता के प्रति उत्तरदायी है.
जब सदन नहीं चलता है तो सबसे ज्यादा नुकसान जनता को होता है. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र की अवधि बढ़नी चाहिए. उन्होंने कहा कि झारखंड गठन के बाद से पांच वर्ष के दौरान 105 से 117 दिन ही सत्र चला है. उन्होंने कहा कि हंगामा से नहीं चर्चा से हल निकलेगा. उन्होंने सत्र के दौरान कमेटी ऑवर भी रखने का सुझाव दिया, ताकि समितियों के सुझाव पर निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके.
सरकार हठधर्मिता पर उतर जायेगी, तो होती है दिक्कत : प्रदीप यादव : झाविमो विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि सरकार को प्रतिपक्ष का सहयोग लेकर सदन को चलाना चाहिए. स्पीकर सिर्फ व्यवस्था के हिस्सा होते हैं. सरकार को सदन चलाना है.
सदन कैसे चले यह सदन नेता के कार्यकलाप पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि अगर सदन नेता की जुबान फिसलने लगेंगे, तो दूसरों का क्या होगा? अगर कार्यपालिका के शीर्ष पदों पर बैठे अफसरों पर आरोप हो और सरकार चुप्पी साधे रहे, तो विपक्ष कैसे चुप रह सकता है. अगर सरकार हठधर्मिता पर उतर जायेगी, तो दिक्कत होना लाजिमी है. सदन में कल क्या होगा, इसका संकेत मिल चुका है.अगर राज्यहित व जनहित की बात नहीं, होगी तो वे वेल में जाकर विरोध दर्ज करायेंगे. चाहे इसके लिए वेतन ही क्यों नहीं काट दिया जाये?
सत्ता पक्ष की जिद से होता है नुकसान : नामधारी
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने कहा कि अगर बुधवार को राज्यपाल का अभिभाषण शांतिपूर्ण रहा, तो मानेंगे कि परिसंवाद सार्थक रहा. जब सदस्य को विचार व्यक्त नहीं करने दिया जाता है, तो अव्यवस्था उत्पन्न होती है. सदस्य असंतुष्ट नहीं रहें, इसका ध्यान रखा जाना चाहिए.
उन्होंने 15वीं लोकसभा के अंतिम सत्र का उदाहरण देते हुए कहा कि सत्ता पक्ष की जिद में आने से पार्टी व हाउस दोनों का नुकसान हुआ. उस दौरान सत्ता पक्ष तेलंगाना बनाने की जिद पर अड़ गया था, इसका परिणाम भी सामने आया. उन्होंने कहा कि स्पीकर पर अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का दबाव रहता है. विधानसभा अध्यक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए. सत्ता पक्ष को आलोचना सुनने की क्षमता होनी चाहिए.
नियम का पालन कर सुचारु रूप से चला सकते हैं सदन : आलमगीर : कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि सदन के संचालन को लेकर नियम बनाये गये हैं.
अगर इसका सही ढंग से पालन हो तो सदन को सुचारु रूप से संचालित किया जा सकता है. मेरा मानना है कि नया नियम बना कर सदस्यों को रोकना सही नहीं होगा. सदन में मंत्री को चाहिए कि वे अपने जवाब से सदस्यों को संतुष्ट करें. सत्ता पक्ष को विपक्ष से बातचीत कर सदन चलाने का प्रयास करना चाहिए.
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