उरीमारी. विस्थापित समिति न्यू बिरसा पोटंगा व झामुमो कार्यकर्ताओं ने शनिवार की सुबह छह बजे से न्यू बिरसा परियोजना पोटंगा का कामकाज बंद करा दिया. समिति ने 18 अप्रैल को बिरसा परियोजना पदाधिकारी को तीन सूत्री मांग पत्र सौंपा था. इसमें मांगों को पूरा करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया गया था. 15 दिन बीतने के बाद भी सकारात्मक पहल नहीं हुई. इसके बाद समिति ने परियोजना का चक्का जाम कर दिया. समिति ने प्रबंधन से कार्तिक माइनिंग आउटसोर्सिंग कंपनी में पोटंगा के विस्थापितों को झारखंड सरकार की गाइडलाइन के अनुसार 75 रोजगार देने की मांग की थी. इसके अलावा रस्काटोला, भुरकुंडवा, गेराटोला व डेरकाटोला को प्लॉट आवंटित कर पुनर्वास की सुविधा देने, सीएचपी साइलो से होनेवाले प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की थी. समिति के अध्यक्ष सूरज बेसरा ने कहा कि कंपनी हमारी मांगों को नजरअंदाज कर रही है. कंपनी बाहरी मजदूरों को लाकर काम करा रही है. इससे विस्थापित रोजगार से वंचित हैं व पलायन को मजबूर हैं. इधर, वार्ता में प्रबंधन से लिखित आश्वासन मिलने के बाद समिति ने आंदोलन वापस ले लिया. वार्ता में झामुमो के केंद्रीय सदस्य सोनाराम मांझी, समिति के सचिव जीतन मुंडा, झामुमो के पोटंगा अध्यक्ष रवींद्र सोरेन, सचिव विनोद हेंब्रम, जिला उपाध्यक्ष झामुमो हजारीबाग मोहन सोरेन, अकल मुंडा, जूरा सोरेन, रैना मांझी, मनुलाल सोरेन, त्रिलोक सोरेन, गणेश गंझू, गिरधारी प्रजापति, पंकज हेंब्रम, सुखराम बेसरा, बंशीलाल मुर्मू, अजय बेसरा, विजय सोरेन, अजय करमाली, अजय मरांडी, आनंद बेसरा, अनीता देवी, फूलमनी देवी, रवींद्र बैठा शामिल थे.
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