फोटो फाइल 21आर-12: उपायुक्त चंदन कुमार को ज्ञापन सौंपते प्रतिनिधि मंडल, 21आर-: वक्फ बिल के विरोध में पैदल मार्च में शामिल लोेग.
पैदल मार्च में रामगढ़ जिले के गोला, पतरातू, मांडू, चितरपुर, दुलमी, रामगढ़ नगर, रामगढ़ ग्रामीण और डाड़ी प्रखंड के सभी क्षेत्रों से लोग शामिल हुए थे. पैदल मार्च में कारी मुश्ताक, कारी बहरूल्लाह, मौलाना अब्दुल मनान, मौलाना हबीब, कारी अतावउल मुस्तफा, मौलाना सद्दाम, गुलाम मुस्तफा, माे इजलाल, मो एनामुल, हाजी अब्दुल रशीद, मो तोफिक, नसीर अहमद, वली हसन, गुलाम जिलानी, साजिद अंसारी, मो शमीम, मो आजाद, मास्टर इरफान, मो सागीर हुसैन, गुलाम रब्बानी, मौलाना हदीशुल अंसारी, हाजी शाहत हुसैन, हाजी अब्दुल रशीद, मो हसीब, मो सफाकत, मो इनामुल अंसारी, मो तनवीर, मो सुल्तान, मो अनवर, मो परवेज, मो आजाद अंसारी, मो अख्तर, मो साजिद, मो सद्दाम गुलाम, गुलाम कादिर, वजाहत अली, अब्दुल जब्बार, मो फिरदौस, मो तैय्यब, शेर मोहम्मद, मो इस्लाम, शमशेर अंसारी, गुलजार अंसारी समेत कई लोग शामिल थे.
उपायुक्त को दिये ज्ञापन में मांगों का उल्लेख प्रतिनिधि मंडल द्वारा उपायुक्त को जो ज्ञापन दिया गया है उसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा वक्फ एक्ट 1995 में बिना मुस्लिम समुदाय के मशविरा, जेपीसी को मुस्लिम सामाजिक एव धार्मिक संगठनों द्वारा दिये गये सुझाव, वक्फ संपत्तियों के बारे में गलत जानकारी देकर जल्दबाजी में बहुमत के बल पर दोनों सदनो से पास कराया. वक्फ संशोधित बिल 2024 को पारित करा कर वक्फ संशोधित अधिनियम 2025 बनाया गया है. जो भारतीय संविधान से प्राप्त मौलिक अधिकारों का हनन है. देश व झारखंड में जो वक्फ की संपत्ती है उनमें अधिकतर मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, कब्रीस्तान, मजार, खानकह, मकबरा, मुसाफिरखाना के अलावे दुकान, मकान, संस्थान व खेत-खलिहान है. जो हमारे पूर्वजों द्वारा निजी संपत्ति को इस्लामिक परंपरा के अनुसार दान कर स्थापित किया गया है. बहुत सी जमीनों को राजा, महाराजा, नबाव, जमींदार द्वारा भी दान किया गया हे. जिसका उपयोग धार्मिक कार्य के तौर पर वर्षों से हो रहा है.ज्ञापन में आगे कहा गया है कि इस कानून से बहुत सारे वक्फ संपत्तियों और प्रबंधन में नुकसान हो सकता है. धार्मिक अधिकारों का उल्लघंन, वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को सदस्य बनाने से धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में हस्ताक्षेप होगा. दूसरे धार्मिक न्यास बोर्ड उनके धर्म के मानने वाले लोग ही सदस्य है. सरकारी नियंत्रण में वृद्धि ऐतिहासिक संदर्भ का बहिष्कार, विवादों में वृद्धि की संभावना, वक्फ करने के लिये जो शर्त लगाया गया है वह भी पारदर्शी नही है.
वक्ताओं ने कहा- वक्फ संशोधन बिल 2025 की पुन: समीक्षा की जाये कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता रियाज अंसारी ने कहा कि वक्फ अधिनियम 2025 की पुन: समीक्षा की जाये. असंवैधानिक प्रावधानों को हटा कर वक्फ अधिनियम 2025 को वापस लिया जाये. कारी मनौव्वर सैफी ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2025 संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 29, 14, 300ए के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लघंन है. इसके लिये पूरे देश में चरणबद्ध आंदोलन चलाया जा रहा है. जो इस संशोधन बिल के वापस होने तक चलता रहेगा. वक्फ संशोधन लाकर केंद्र सरकार हमलोगों की भूमि को हड़पने की साजिश रच रही है. उच्च न्यायालय से भी इस बिल को वापस कराने की अपील की गयी है. मौलाना इकबाल मिस्वाही ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2025 एक काला कानून है. संविधान के खिलाफ है. जो हमलोगों को मंजुर नही है. केंद्र सरकार लोगों को रोजगार देने, महंगाई पर रोक लगाने पर ध्यान देना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है