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गढ़वा से भोज खाने आये थे गोला, अब नहीं मिल पा रहा भोजन, लॉकडाउन में 40 दिनों से फंसे हैं 17 मेहमान

अपने रिश्तेदार की मृत्यु होने के बाद श्राद्धकर्म में भोज खाने के लिए आना मेहमानों को काफी महंगा पड़ गया. अब इन मेहमानों को भोजन के लाले पड़ गये हैं. यह वाक्या गोला प्रखंड के नावाडीह गांव का है. जहां लॉकडाउन के बाद यह स्थिति उत्पन्न हो गयी है. आलम यह है कि अब इन्हें तीनों समय खाना खिलाने में घर के मालिक के पसीने छूट रहे हैं और दूसरों के आगे मदद की गुहार भी लगानी पड़ रही है.

गोला : अपने रिश्तेदार की मृत्यु होने के बाद श्राद्धकर्म में भोज खाने के लिए आना मेहमानों को काफी महंगा पड़ गया. अब इन मेहमानों को भोजन के लाले पड़ गये हैं. यह वाक्या गोला प्रखंड के नावाडीह गांव का है. जहां लॉकडाउन के बाद यह स्थिति उत्पन्न हो गयी है. आलम यह है कि अब इन्हें तीनों समय खाना खिलाने में घर के मालिक के पसीने छूट रहे हैं और दूसरों के आगे मदद की गुहार भी लगानी पड़ रही है.

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प्रभात खबर के प्रतिनिधि राजकुमार को स्थानीय लोगों ने बताया कि गांव के गुनकू रजवार के बड़े भाई चंद्रमोहन रजवार की मृत्यु नौ मार्च को हो गयी थी. जिनका अंतिम संस्कार 10 मार्च को किया गया. 20 मार्च को दशकर्मा में शामिल होने के लिए कई जगहों से काफी संख्या में रिश्तेदार पहुंचे थे.

21 मार्च को श्रार्द्धकर्म एवं ब्राह्मभोज कार्यक्रम चला. 22 मार्च को केंद्र सरकार के आह्वान पर जनता कर्फ्यू रहा एवं 23 मार्च को राज्य सरकार एवं 24 मार्च से केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस से बचाव को लेकर संपूर्ण देश में 21 दिनों के लिए यानी 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर दिया.

इस दौरान आस-पास क्षेत्र के लोग किसी तरह अपने घर पहुंच गये. लेकिन गढ़वा क्षेत्र के मझिआंव, मोहम्मदगंज एवं बिश्रामपुर के 17 रिश्तेदार लॉकडाउन में 40 दिनों से फंसे हुए हैं. बाद में लॉकडाउन बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया गया. मेहमानों ने सोचा था कि तीन मई को लॉकडाउन समाप्त हो जायेगा और सभी अपने घर लौट जायेंगे.

लेकिन सरकार ने इनकी सोच पर पानी फेरते हुए शनिवार को पुन: लॉकडाउन को 14 दिन बढ़ाकर 17 मई तक कर दिया. जिस कारण अब इन्हें लॉकडान टूटने तक यहीं रहना पड़ेगा. जानकारी के अनुसार गुनकू रजवार के परिवार में पांच सदस्य हैं एवं 17 मेहमान यानी एक समय में 21 लोगों का खाना बनाकर खिलाना किसी भी अंत्योदय कार्डधारी के लिए संभव नहीं है.

राशन कार्ड से मिला 70 किलो अनाज भी खत्म

घर मालिक गुनकू रजवार ने बताया कि लॉकडाउन में काम भी बंद है. अंत्योदय राशन कार्ड से 70 किलो चावल मिला था. वह भी बहुत पहले ही खत्म हो गया है. उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित अन्य लोगों से मदद की गुहार लगायी है.

मदद का नाम सुनते ही बीडीओ ने किया हाथ खड़ा

इस संदर्भ में गांव के सुभाष रजवार ने बताया कि इस संबंध में बीडीओ कुलदीप कुमार से भी मदद की गुहार लगायी गयी थी. लेकिन उन्होंने फंड नहीं होने की बात कहकर मदद करने से इंकार कर दिया.

AmleshNandan Sinha
AmleshNandan Sinha
अमलेश नंदन सिन्हा प्रभात खबर डिजिटल में वरिष्ठ खेल पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता में 15 से अधिक वर्षों का अनुभव है. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद से इन्होंने कई समाचार पत्रों के साथ काम किया. इन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत रांची एक्सप्रेस से की, जो अपने समय में झारखंड के विश्वसनीय अखबारों में से एक था. एक दशक से ज्यादा समय से ये डिजिटल के लिए काम कर रहे हैं. खेल की खबरों के अलावा, समसामयिक विषयों के बारे में भी लिखने में रुचि रखते हैं. विज्ञान और आधुनिक चिकित्सा के बारे में देखना, पढ़ना और नई जानकारियां प्राप्त करना इन्हें पसंद है.

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