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पलामू: तिलैया में पले-बढ़े विनोद की निगरानी में बन रहा अयोध्या का श्रीराम मंदिर

श्री शुक्ला के अनुसार, श्रीराम मंदिर के तीन तल हैं. भूतल, पहले तल और दूसरे तल के बीच 19-19 फीट का गैप है. भूतल और पहले तल का निर्माण पूरा हो गया है. पांच मंडप नृत्य, रंग, गूढ़, प्रार्थना व कीर्तन में से चार का निर्माण पूरा हो चुका है.

Palamu News: प्रभात खबर से विशेष बातचीत के दौरान श्रीराम मंदिर निर्माण की स्थिति को लेकर दी पूरी जानकारी. विकास, कोडरमा अयोध्या में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्साह चरम पर है. झुमरीतिलैया में पले-बढ़े विनोद शुक्ला, उन लोगों में शामिल हैं, जो सीधे निर्माण कार्य से जुड़े हैं. कोडरमा रेलवे स्टेशन कॉलोनी में बचपन से लेकर जवानी तक बिताने वाले 54 वर्षीय विनोद शुक्ला फिलहाल ‘टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड’ में कार्यरत हैं और बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य की निगरानी कर रहे हैं. मूल रूप से बिहार के बक्सर के रहनेवाले श्री शुक्ला से ‘प्रभात खबर’ ने विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने मंदिर निर्माण से संबंधित कई अनछुए पहलुओं को सामने रखा.

तीन फ्लोर, पांच मंडप व शिखर का होना है निर्माण

श्री शुक्ला के अनुसार, श्रीराम मंदिर के तीन तल हैं. भूतल, पहले तल और दूसरे तल के बीच 19-19 फीट का गैप है. भूतल और पहले तल का निर्माण पूरा हो गया है. पांच मंडप नृत्य, रंग, गूढ़, प्रार्थना व कीर्तन में से चार का निर्माण पूरा हो चुका है. गूढ़ मंडप का निर्माण बाकी है. दूसरे तल पर जाकर यह मंडप बनेगा. गर्भ गृह का निर्माण भूतल और पहले तल में पूरा हो गया है. दूसरे तल का काम होने पर उसके ऊपर शिखर होगा़ श्री शुक्ला ने बताया कि, मंदिर में कुल 14 गोल्ड प्लेटेड दरवाजे हैं. पेडस्टल गोल्ड प्लेटेड पर रामलला विराजमान होंगे. 51 इंच की मूर्ति मैसूर के पास के माइंस के काले रंग के ग्रेनाइट के पत्थर की बनी है़.

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390 पिलर हैं, इनमें से 166 पर उकेरी गयीं हैं 2000 मूर्तियां

श्री शुक्ला ने बताया कि मंदिर में कुल 390 पिलर खड़े किये गये हैं. भूतल पर 166 पिलर हैं. इन सभी पिलरों पर करीब 2000 देवी-देवताओं की मूर्तियां उकेरी गयी हैं. नृत्य मंडप में भगवान शिव के विभिन्न रूप हैं, तो रंग मंडप में गणेश जी के, प्रार्थना व कीर्तन में हनुमान जी के रूप हैं. वहीं, गूढ़ मंडप में भगवान के 10 अवतार दिखेंगे. गर्भ गृह का निर्माण मकराना के मार्बल से किया गया है, जबकि फ्लोरिंग 35 मिमी मोटाई वाले मार्बल का है.

1000 साल तक के लिए डिजाइन, 732 मीटर का है परिक्रमा मार्ग

विनोद के अनुसार, मंदिर इस तरह बनाया गया है कि यह 1000 साल तक पूरी तरह सुरक्षित रहेगा. सबसे तीव्र चार रिएक्टर स्केल का भूकंप से भी कोई क्षति नहीं पहुुंच सकती है. मंदिर के चारों तरफ 732 मीटर का परिक्रमा मार्ग बनाया गया है़. कोर्ट ऑर्डर से शिखर 161 फीट ऊंचा है.

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प्रत्येक रामनवमी पर सूर्य तिलक की व्यवस्था

विनोद ने बताया कि श्री रामलला की प्रतिमा को प्रत्येक रामनवमी पर सूर्य तिलक सीधे लगाने के लिए भी पूरी व्यवस्था की गयी है. चूंकि रामनवमी के दिन 12:15 बजे भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए रामनवमी के दिन विशेष तौर पर हर बार रामजी का सूर्य तिलक होगा. ऐसी व्यवस्था की गयी है कि इस दिन सूर्य की किरणें निश्चित समय पर सीधे श्री रामलला की ललाट पर पड़ें.

निर्माण कार्य में क्या है इनकी भूमिका

श्री शुक्ला ने बताया कि मंदिर निर्माण की एजेंसी लार्सन एंड टुबरो लिमिटेड है, जबकि टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड इस कार्य में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट की हैसियत से काम कर रही है. मैं इसका प्रोजेक्ट डायरेक्टर हूं. निर्माण की गुणवत्ता का ध्यान रखना, डिजाइन का पालन कराना, सुरक्षा से जुड़ी बारीकियां देखना, बिलिंग सर्टिफाइड करना, रेस्ट कॉस्टिंग और पैकेज एप्रूव करना आदि हमारी जिम्मेदारी है. मंदिर में आर्किटेक्ट का कार्य सीवी सोमपूरा कर रहीं हैं.

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