10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पेट की आग बुझाने के लिए परिवार सहित पलायन

पलामू में पलायन की पीड़ा: रोज़गार की तलाश में हर साल हजारों मजदूर बाहर जाने को मजबूर

पलामू में पलायन की पीड़ा: रोज़गार की तलाश में हर साल हजारों मजदूर बाहर जाने को मजबूर प्रभात खबर टीम, मेदिनीनगर झारखंड के आकांक्षी जिला पलामू में मजदूरों का पलायन एक गंभीर और वर्षों पुरानी समस्या बन चुका है. यहां से सालोंभर देश के विभिन्न राज्यों में मजदूर रोज़गार की तलाश में पलायन करते हैं. पेट की आग बुझाने के लिए महिला-पुरुषों के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी मजदूरी करने को विवश होते हैं. धान रोपनी और धान कटनी के मौसम में महिलाओं का पलायन सबसे अधिक होता है. बाहर के राज्यों में इन्हें मजदूरी के बदले प्रतिदिन करीब 10 किलो चावल मिलता है.प्रतिदिन सैकड़ों मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की ओर रवाना होते हैं। यह काम भले ही चार माह का होता है, लेकिन वर्षों से मजदूरों के बाहर जाने की परंपरा बनी हुई है. स्थानीय खेती पर पड़ रहा असर मजदूरों के पलायन के कारण स्थानीय किसानों को समय पर मजदूर नहीं मिल पाते, जिससे रबी फसल की बुआई प्रभावित होती है. छठ पर्व के बाद बड़ी संख्या में मजदूर ईंट-भट्ठों, सरिया-शटरिंग और अन्य निर्माण कार्यों के लिए दूसरे राज्यों का रुख कर लेते हैं. बाहर काम करने के दौरान हो रही मौतें दूसरे राज्यों में काम करने के दौरान पलामू के मजदूर अकसर हादसों के शिकार हो जाते हैं. लगभग हर माह किसी न किसी इलाके से मजदूरों की मौत की खबर सामने आती है. धान कटनी के बाद लौटते समय मजदूर ट्रक, ट्रैक्टर और छोटे वाहनों पर धान की बोरियों के साथ सफर करते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. 2022 में हरिहरगंज के मिडिल स्कूल के पास पिकअप-ट्रक की टक्कर में छह मजदूरों की मौत हो गई थी। वहीं 2023 में हरदत्ता के पास सड़क हादसे में दो मजदूरों की जान गयी थी, जबकि कई लोग घायल हुए थे. प्रतिवर्ष 1000 मजदूरों का पलायन हरिहरगंज और पीपरा प्रखंड में पलायन एक बड़ी समस्या बनी हुई है. हर साल धान कटनी के मौसम में सैकड़ों मजदूर रोज़गार की तलाश में बाहर जाते हैं. हरिहरगंज से करीब 300 से 400 और पीपरा प्रखंड से लगभग 250 से 350 मजदूर प्रतिवर्ष पलायन करते हैं. क्षेत्र में स्थायी रोजगार के अवसरों की कमी, कम मजदूरी और कृषि पर अत्यधिक निर्भरता पलायन के प्रमुख कारण हैं। अधिकांश मजदूर दो से तीन महीने के लिए बिहार और उत्तर प्रदेश में धान कटनी व ईंट-भट्ठों में काम करते हैं। हरिहरगंज में करीब 4500 और पीपरा में लगभग 3800 निबंधित मजदूर हैं, लेकिन बड़ी संख्या में मजदूर बिना पंजीकरण के बाहर चले जाते हैं. तरहसी से पांच हजार से अधिक मजदूर करते हैं पलायन तरहसी प्रखंड से बाहर जाने वाले मजदूरों की संख्या करीब 5000 है, जबकि इनमें पंजीकृत मजदूरों की संख्या नगण्य है. प्रखंड में कुल 16,934 पंजीकृत मजदूर हैं, लेकिन 13 पंचायतों में मनरेगा के तहत केवल 3352 मजदूर ही कार्यरत हैं.उदयपुर वन, धूमा तरहसी, छतरपुर, गोगुंदा तरिया, पाठक पगार, श्री के डाल, लालगढ़ा, बाजलपुर सहित कई गांवों से अशिक्षित मजदूर बड़ी संख्या में बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और आंध्र प्रदेश काम करने जाते हैं. कुछ परिवार नवंबर में धान कटाई के लिए बाहर जाते हैं और जनवरी के अंत तक लौटते हैं, जबकि गेहूं कटाई के लिए मार्च में बाहर जाकर मई के अंत तक वापस आते हैं. धान-गेहूं कटाई के बदले मजदूरी के रूप में इन्हें करीब 20-20 क्विंटल अनाज मिलता है. तकनीकी दक्षता वाले मजदूर—जैसे राज मिस्त्री, बढ़ई, प्लंबर और मशीन ऑपरेटर—प्रतिदिन 700 से 800 रुपये कमा लेते हैं, इसलिए वे मनरेगा जैसे कार्यों को महत्व नहीं देते. धान कटनी छोड़ अन्य कामों के मजदूरों का पलायन विश्रामपुर नगर परिषद क्षेत्र से प्रतिवर्ष लगभग एक हजार मजदूर धनरोपनी के लिए बिहार के विभिन्न जिलों में जाते हैं. हालांकि हार्वेस्टर मशीन आने के बाद धान कटनी के लिए पलायन लगभग बंद हो गया है. वहीं सरिया-शटरिंग और अन्य निर्माण कार्यों की तलाश में शहरी क्षेत्र से दो हजार से अधिक और आंचलिक क्षेत्रों से पांच हजार से अधिक मजदूर प्रतिवर्ष पलायन करते हैं. यदि स्थानीय स्तर पर पर्याप्त काम उपलब्ध हो, तो मजदूरों का पलायन रुक सकता है. सालोंभर बनी रहती है पलायन की समस्या पांडू प्रखंड से धान कटनी के मौसम में करीब 500 मजदूर तीन महीने के लिए बाहर जाते हैं, जिनमें अधिकांश बिहार का रुख करते हैं। वहीं पाटन प्रखंड में भी सालोंभर काम की तलाश में मजदूरों का पलायन जारी रहता है। हार्वेस्टर मशीन आने के बाद धान कटनी के लिए पलायन में कमी आई है, लेकिन अन्य कामों के लिए मजदूरों का बाहर जाना अब भी जारी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel