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पेजयल व शिक्षक का अभाव, पढ़ाई पर रहा असर

समस्याओं से जूझ रहा एकलव्य आवासीय विद्यालय

समस्याओं से जूझ रहा एकलव्य आवासीय विद्यालय रामनरेश तिवारी, मेदिनीनगर पलामू जिले के मनातू प्रखंड अंतर्गत बंशी खुर्द गांव में एकलव्य आवासीय विद्यालय स्थापित है. यह विद्यालय प्रमंडलीय मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर सुदूर वनवर्ती क्षेत्र में स्थित है. विद्यालय में कुल 148 छात्र-छात्राओं का नामांकन है, जबकि वर्तमान में 120 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. दुर्गम क्षेत्र में स्थित होने के कारण विद्यालय कई बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है. सोलर सिस्टम शुरू होने से पहले ही हुआ गायब विद्यालय में पेयजल व्यवस्था के लिए डीप बोरिंग करायी गयी थी तथा सोलर आधारित जलापूर्ति प्रणाली भी लगायी गयी थी. लेकिन विद्यालय के संचालन से पहले ही सोलर पैनल व पंप गायब हो गया. वर्तमान में बिजली रहने पर ही पेयजल की व्यवस्था हो पाती है. बिजली बाधित होने की स्थिति में शिक्षक व छात्र-छात्राओं को शुद्ध पेयजल के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती है. खाद्य सामग्री की आपूर्ति में भी हो रही परेशानी वर्तमान में विद्यालय का संचालन कल्याण विभाग द्वारा किया जा रहा है. खाद्य सामग्री की आपूर्ति टेंडर के माध्यम से होती है, लेकिन बताया जाता है कि आपूर्तिकर्ता द्वारा समय पर सामग्री उपलब्ध नहीं कराने के कारण कई बार बच्चों को भोजन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ता है. एकलव्य विद्यालय का उद्देश्य भारत सरकार द्वारा सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समुदाय के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास प्रदान करने के उद्देश्य से एकलव्य आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गयी है. इसका उद्देश्य अनुसूचित जनजाति के बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ना, उन्हें सशक्त बनाना तथा उनका सर्वांगीण विकास करना है. इन विद्यालयों में कक्षा छह से 10 तक की पढ़ाई करायी जाती है. साथ ही स्थानीय कला, संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण पर भी विशेष जोर दिया जाता है. यह केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका संचालन राज्य के कल्याण विभाग के माध्यम से किया जा रहा है. 2016 में मिली स्वीकृति, 2025 से शुरू हुई पढ़ाई विद्यालय की स्वीकृति वर्ष 2016-17 में मिली थी. भवन निर्माण कार्य 2019-20 में पूरा हुआ, जबकि 31 जुलाई 2025 से शैक्षणिक कार्य शुरू किया गया. वर्तमान में विद्यालय में पांच शिक्षक पदस्थापित हैं, जिनमें एक प्राचार्य और एक पीटी शिक्षक शामिल हैं.विद्यालय में कक्षा छह से 10वीं तक की पढ़ाई की व्यवस्था है. प्रत्येक वर्ग में 30 छात्र और 30 छात्राओं के नामांकन का प्रावधान है. चहारदीवारी के अंदर विद्यालय भवन का निर्माण किया गया है. नाला बना बाधा, दो हिस्सों में बंटा है विद्यालय परिसर विद्यालय परिसर के बीच से एक नाला गुजरता है, जिससे पूरा परिसर दो भागों में बंट गया है. मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर दायीं ओर शैक्षणिक भवन है, जबकि बायीं ओर मेस तथा उसके ऊपर लड़कों का छात्रावास स्थित है. नाला पार करने के बाद लड़कियों का छात्रावास है. कुछ दूरी पर स्टाफ क्वार्टर और उसके बगल में प्राचार्य आवास बना हुआ है. विषयवार शिक्षकों की कमी, चापाकल भी नहीं विद्यालय में विषयवार शिक्षकों का भारी अभाव है. फिलहाल दो गणित शिक्षक, एक अंग्रेजी शिक्षक और एक पीटी शिक्षक ही कार्यरत हैं. परिसर में चापाकल की व्यवस्था नहीं है. एक जलमीनार लगायी गयी थी, लेकिन वह भी खराब पड़ी हुई है. चापाकल स्थापना और विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर कल्याण विभाग से पत्राचार किया गया है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है.

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