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वक्फ संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग

केंद्र सरकार के द्वारा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के बाद नया विधेयक पारित किया गया है.

हेडिंग..मुस्लिम समुदाय ने निकाला विरोध मार्च समाहरणालय के मुख्य द्वारा पर किया विरोध-प्रदर्शन, डीडीसी को साैंपा ज्ञापन फोटो:18डालपीएच 06 व 07 प्रतिनिधि,मेदिनीनगर केंद्र सरकार के द्वारा वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के बाद नया विधेयक पारित किया गया है. संशोधित अधिनियम 2025 को रद करने की मांग को लेकर मुस्लिम समुदाय ने शुक्रवार को विरोध मार्च निकाला और समाहरणालय के मुख्य द्वार पर विरोध-प्रदर्शन किया. जुमे की नमाज के बाद शहर के पहाड़ी मोहल्ला स्थित मदीना मस्जिद से विरोध मार्च शुरू हुआ. अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमिन कमेटी के बैनर तले मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध मार्च में हिस्सा लिया. विरोध मार्च शहर के मुख्य मार्ग कनीराम चौक, सतारसेठ चौक, शहीद भगत सिंह चौक, थाना रोड, छहमुहान, महात्मा गांधी मार्ग हाते हुए समाहरणालय पहुंचा. लोगों ने वक्फ संशाेधन विधेयक 2025 को असंवैधानिक करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग कर रहे थे. इस विधेयक के खिलाफ मुस्लिम समुदाय के लोगाें ने नारेबाजी की. विरोध मार्च में शामिल लोग काला बिल्ला लगाकर अपने हाथों में तख्ती लेकर चल रहे थे. वे लोग विधेयक के खिलाफ नारे भी लगा रहे थे. विरोध प्रदर्शन के बाद सभा हुई. अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमिन कमेटी के सदर मुस्तफा कमाल ने कहा कि केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के लोगों ने राय मशवरा किये बिना ही वक्फ एक्ट 1995 में संशोधन किया है. यह केंद्र सरकार की मनमानी को दर्शाता है. मुस्लिम समुदाय के सामाजिक व धार्मिक संगठन के द्वारा जेपीएस को सुझाव दिया गया था, लेकिन उस सुझाव को सरकार ने इस संशोधित विधेयक में शामिल नहीं किया है. मुहर्रम इंतजामिया कमेटी जेनरल के सदर जिशान खान ने कहा कि वक्फ संशाेधन विधेयक असंवैधानिक है. केंद्र की भाजपर सरकार भारतीय मुस्लमानों को धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकार को समाप्त करना चाहती है. इस संशोधित कानून के माध्यम से सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना चाहती है. सन्नु सीद्दिकी, इस्राइल आजाद उफ मिंटू, मोहम्मद कलाम, कमाल खान, राष्ट्रीय माेमीन कांफ्रेंस के प्रदेश अध्यक्ष सुलेमान अंसारी आदि लोगों ने केंद्र सरकार के द्वारा अधिनियम 1995 में किये गये संसोधन को अनुचित बताया. कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को सदस्य बनाया गया है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपतियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप होगा. हिंदू, सिख के लिये गठित न्यास बोर्ड में सिफ उसी समुदाय के सदस्य रहते हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने बक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल कर अपनी मनमानी की है. इस संशोधिम कानून से अल्पसंख्यकों को संवैधानिक अधिकारों व धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन भी होगा. प्रदर्शन व सभा के बाद राष्ट्रपति के नाम डीडीसी शब्बीर अहमद को ज्ञापन साैंपा गया. इसके माध्यम से मुस्लिम समुदाय के लोगों ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वक्फ संशोधित अधिनियम 2025 को वापस किया जाये. क्योंकि यह गैर संवैधानिक है और भारतीय मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है. मौके पर हाजी मोहम्मद शमीम उर्फ ललन, मौलाना महताब आलम जेआइ, आसिफ, लड्डू राइन, रिजवान खान, राजा असर्फी, शाहीद खान, नफीस खान, नसीम खान, नसीम हैदर, मुन्ना खान, अनवर, शहबाज आलम, रूस्तक, इबरार अहमद, कलीम अंसारी, हाफीज सोहैल, सोनम राइन, नसीम राइन, नन्हें खान, सलमान खान सहित काफी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लाेग शामिल थे.

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