– रामनरेशतिवारी –
12 किमी तक पैदल, फिर मिलता है वाहन
पाटन (पलामू) : भिखही पलवा गांव प्रशासनिक दृष्टिकोण से छतरपुर प्रखंड की परिधि में आता है, पर इस इलाके की जो भौगोलिक बनावट है, उसमे यह निकट है पाटन ब्लॉक ऑफिस के. यदि इस गांव में कोई मामला हो जाये और पुलिस के पास शिकायत करनी है, तो लोग सोचने पर विवश होते हैं. आखिर क्या करें.
थाना के कार्य या विकास के लिए किसी काम के सिलसिले में गांव के लोगों को जब छतरपुर जाने की नौबत आती है, तो पहले ग्रामीणों को करीब 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. पैदल चल कर ग्रामीण गांव से नावा या चेगौना आते हैं और यहीं से छतरपुर के लिए गाडी पकड़ते हैं. इस तरह थाना व ब्लॉक ऑफिस की दूरी 30 किमी पड़ जाती है.
ग्रामीण बंगाली उरांव का कहना है कि सड़क नहीं है, इसलिए कोई वाहन नहीं जाता. पैदल आने के अलावा कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है. प्रशासनिक काम को छोड़ दें, तो इस गांव के लोग अन्य काम पाटन से ही कराते हैं. पाटन से इस गांव की दूरी मात्र सात किलोमीटर है. भिखही पलवा गांव की आबादी लगभग एक हजार है. इसमें आदिवासी समुदाय के लोगों की बहुलता है.
गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है. पांचवीं कक्षा के बाद गांव के बच्चे आगे की पढ़ाई के लिए पाटन ही आते हैं. गांव जाने वाली सड़क बदहाल है. इलाका सुदूरवर्ती क्षेत्र में पड़ता हैं. इसलिए शासन– प्रशासन के लोगों को जाना भी कम होता है. कंप्यूटर व इंटरनेट के युग में भिखही पलवा गांव में बिजली नहीं है.
ग्रामीण राजेश पाल का कहना है कि बिजली के लिए उनलोगों ने काफी प्रयास किया, लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली.
परेशान ग्रामीण चाह कर भी कुछ भी नहीं कर पाते. क्योंकि जो समस्या है, उसका निबटारा छतरपुर से ही होगा और छतरपुर जाना कष्टों से भरा हुआ है. पहले पैदल चलिए, फिर गाड़ी मिलेगी और वहां जाने के बाद कहीं अगर साहब नहीं मिले, तो जाना हुआ बेकार. पैसे भी अधिक खर्च होते हैं आने–जाने में.