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समाजवाद व धर्मनिरपेक्षता को संविधान के प्रस्तावना से हटाने पर चर्चा हो : ओम प्रकाश सिंह

समाजवाद व धर्मनिरपेक्षता को संविधान के प्रस्तावना से हटाने पर चर्चा हो : ओम प्रकाश सिंह

लोहरदगा़ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्य समिति सदस्य एवं वरिष्ठ नेता ओम प्रकाश सिंह ने आपातकाल के दौरान समाजवाद तथा धर्मनिरपेक्षता को संविधान के प्रस्तावना में जोड़े जाने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय हंसबोले द्वारा उसे विलोपित करने की मांग का समर्थन करते हुए इसे आज की स्थिति में आवश्यक बताते हुए इस पर व्यापक रूप से चर्चा कर इन शब्दों को हटाने की मांग की है. भाजपा नेता ने कहा है कि आपातकाल में जब संपूर्ण विपक्ष को जेल में बंद कर दिया गया था, इस विषय पर देश के सर्वोच्च सदन में चर्चा तक नहीं की गयी़ फिर इसको न्याय संगत कैसे कहा जा सकता है. प्रस्तावना किसी भी संविधान की आत्मा होती है, वह संविधान का आधार है और पूरा संविधान इसी पर टिका होता है. विश्व में किसी भी देश ने अभी तक अपने प्रस्तावना में बदलाव नहीं किया है. क्योंकि प्रस्तावना अपरिवर्तनीय होता है. भाजपा नेता ने कहा है कि कांग्रेस के नेता आपातकाल में जोड़े गये इस प्रस्तावना को उचित बता रहे हैं उन्हें यह पता होना चाहिए कि संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में सेक्युलर और समाजवाद शब्दों के संविधान में शामिल करने के पक्ष में नहीं थे. वे कश्मीर में विभाजनकारी तथा अलगाव पैदा करनेवाली धारा 370 के पक्ष में भी नहीं थे. कांग्रेस के नेताओं को बौद्धिक जानकारी प्राप्त करने से परहेज तथा इतिहास को गलत साबित करने की आदत से बचना चाहिए.

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