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जलापूर्ति योजना बन जाती तो नहीं होती परेशानी

कुडू (लोहरदगा). प्रखंड में गरमी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. कुडू शहरी जलापूर्ति योजना पूरी नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जलापूर्ति योजना चार साल से बन रही है, अभी इसका ट्रायल चल रहा है. ट्रायल के दौरान शहरी क्षेत्र के आधे […]

कुडू (लोहरदगा). प्रखंड में गरमी बढ़ने के साथ ही पेयजल की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है. कुडू शहरी जलापूर्ति योजना पूरी नहीं होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जलापूर्ति योजना चार साल से बन रही है, अभी इसका ट्रायल चल रहा है. ट्रायल के दौरान शहरी क्षेत्र के आधे हिस्से में पानी सुबह दस मिनट के लिए आता है, जो नाकाफी है.
ग्रामीण इलाकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. कोई देखने-सुननेवाला नहीं है. सबसे बड़ी बात यह है कि समस्या के समाधान के नाम पर दबाव की राजनीति करनेवाले जनप्रतिनिधि पानी की समस्या पर चुप्पी साधे हैं. पानी का कनेक्शन शहरी क्षेत्र में एक माह से शुरू कराया गया है. गरमी का आलम यह है कि दक्षिण कोयल नदी पूरी तरह से सूख गयी है. आदित्य अरव देव कंस्ट्रक्शन कंपनी के द्वारा कुडू शहरी जलापूर्ति योजना का काम कराया जा रहा था.
काम लगभग पूरा हो गया है. दक्षिण कोयल नदी में शहरी जलापूर्ति योजना का इंटेक वेल समेत फिल्टर प्लांट बनाया गया है, जबकि कुडू ब्लॉक मोड़ के समीप जलमीनार का निर्माण कराया गया है. कोयल नदी में बनाये गये इंटेक वेल में महज पांच फीट पानी जमा है. आधे घंटे तक मशीन चलाने के बाद इंटेक वेल सूख जा रहा है. नतीजा पानी फिल्टर होने के बाद टंकी पहुंचते ही पानी खत्म हो जा रहा है. इससे शहरी क्षेत्र में पानी जरूरत के हिसाब से नहीं मिल रहा है. बताया जाता है कि शहरी क्षेत्र मे एक दर्जन चापाकल लगाया गया है . शहरी क्षेत्र की आबादी लगभग दो हजार है. आधे चापाकल या तो खराब हैं या फिर अतिक्रमण का शिकार हो गया है. शहरी क्षेत्र के लोग पानी के लिए सुबह चार बजे से आठ बजे तक एवं शाम में चार बजे से नौ बजे तक पानी की जुगाड़ में लग जाते हैं.

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