कुड़ू़ लोक आस्था के महापर्व छठ व्रत की तैयारी में सलगी पंचायत के मसियातू गांव के 49 परिवार जुटे हैं. गांव में तुरी समाज के 51 परिवार रहते हैं, जिनमें से 49 परिवार छठ व्रत में प्रयोग होने वाले बांस के सूप, दउरा और बेना बनाने में माहिर हैं. इन बांस के सामानों की मांग झारखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, आडिशा और छत्तीसगढ़ तक है. ग्रामीण लगभग एक माह पहले से पूरी तैयारी में जुट जाते हैं. पुरुष बांस का इंतजाम करते हैं, बच्चे बांस काटते हैं और सूप बनाने के लिए फाड़ते हैं, जबकि महिलाएं सूप, दउरा और बेना बनाती हैं. ग्रामीण चुंदेश्वर तुरी, किशुन तुरी, गंगा तुरी, मनोज तुरी, मोहन तुरी सहित अन्य ने बताया कि गांव के सभी 49 परिवार यह काम करते हैं और सामानों का जुगाड़ पहले ही कर लिया जाता है. कुड़ू के साथ-साथ भंडरा, कैरो, सेन्हा, किस्को, गुमला, रांची के अन्य गांवों से भी बांस लाया जाता है. एक सूप बनाने में 140 से 150 रुपये की लागत : महिलाएं सालो देवी, एतवारी देवी, शीला कुमारी, बुधनी देवी, सुशांति देवी, संपति देवी, राजवंती देवी, होलिका देवी, दुर्गी देवी, जतरी देवी समेत अन्य ने बताया कि मासियातू में बने बांस के सामानों की खरीदने के लिए झारखंड के लातेहार, डालटनगंज, गढ़वा, गुमला और रांची से व्यापारी आते हैं. शुक्रवार को दो व्यापारी मसियातू गांव पहुंचे और बताया कि सूप, दउरा लेकर गढ़वा जाते हैं, वहां से बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के शहरों तक सप्लाई करते हैं. एक सूप बनाने में 140 से 150 रुपये लागत आती है, जबकि इसे 180 से 190 रुपये में बेचा जाता है, जिससे लगभग 40 रुपये का मुनाफा होता है. ग्रामीण सालभर बांस से बने सामान बनाते हैं. प्रधानमंत्री के मन की बात में मसियातू गांव की चर्चा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में मसियातू गांव में बने सूप, दउरा और बेना का सीधा प्रसारण हो चुका है, जिसे देश और विदेश के लोग देख चुके हैं. कर्ज लेकर सामग्री जुटायी जाती है : ग्रामीणों ने कहा कि यह पुस्तैनी धंधा है, लेकिन अब तक कोई सरकारी मदद नहीं मिली. कर्ज लेकर सामग्री जुटायी जाती है और बेचकर कर्ज चुकाया जाता है. तुरी समाज के पुस्तैनी धंधे को बढ़ावा देने के लिए तुरी भवन निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. मसियातू गांव की तस्वीर जल्द बदलेगी : प्रभारी बीडीओ सह सीओ संतोष उरांव ने कहा कि मासियातू गांव में बना सूप, दउरा, बेना तथा अन्य सामान कई प्रदेशों में जा रहा है यह कुड़ू के लिए सौभाग्य की बात है. मसियातू गांव की तस्वीर जल्द बदलेगी. गांव के विकास का खाका तैयार है, कई कार्य हुए हैं और अधूरे कार्य जल्द पूरे कराये जायेंगे, ताकि यह गांव कुड़ू प्रखंड के लिए मॉडल बन सके.
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