सेन्हा-लोहरदगा : प्रखंड में अन्नपूर्णा योजना सुचारु रूप से नहीं चल पा रहा है. योजना के तहत प्रत्येक लाभुक को प्रतिमाह 10 किग्रा चावल देना सुनिश्चित है. परंतु सेन्हा प्रखंड के लाभुकों को तीन माह, छह माह या फिर एक वर्ष में एक बार चावल का वितरण किया जाता है. जिससे सुदूर पहाड़ी क्षेत्र के वृद्धों को काफी कठिनाई होती है.
मुख्यालय से लगभग 25 से 30 किमी पहाड़ी क्षेत्र सिंदुर, रनकुली, चापरोंग, तुरियाडीह, आरा, कसमार, जवार सहित कई गांव एवं मैदानी क्षेत्र के वृद्धों को भी 10 किलो चावल के लिए 100 रुपये भाड़ा एवं दिन भर का समय लगने के बाद भी खाली हाथ वापस जाना पड़ता है. मंगलवार को चावल लेने आये लगभग 25 वृद्ध महिला-पुरुषों को वापस जाना पड़ा. रनकुली के करियो महलिन, मो हनीफ दोनों लगभग 70 वर्ष का कहना है कि प्रत्येक माह चावल नहीं मिलने के कारण हमलोगों को कभी-कभी चावल मांग कर खाना पड़ता है.
जिससे हमें काफी कठिनाई होती है. सिंदुर के देवमैन उरांइन, मंगरो, झरियो आदि का कहना है कि गांव से ब्लॉक आने-जाने में 100 रुपये का भाड़ा लग जाता है. और आने के बाद चावल नहीं मिलता है. सरकार हमलोगों को बेवकूफ बनाकर हमलोगों को पैसा बरबाद करवाता है.
मंगरो एवं झरियों का कहना है कि एक वर्ष पूर्व हमलोगों को चावल मिला था. इस संबंध में बीडीओ संध्या मुंडू का कहना है कि योजना के चावल आवंटन जिला में नहीं होने के कारण तीन माह से वितरण नहीं किया गया है.