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बेतला के दर्जनों बच्चे एनीमिया थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित

बेतला : बेतला क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक वैसे बच्चे हैं जो एप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया सहित शरीर में खून नहीं बनने वाली अन्य बीमारियों पीड़ित हैं. ऐसे बच्चे अपना जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बीमार बच्चों के माता-पिता किसी तरह से जुगाड़ कर इन्हें खून उपलब्ध करा रहे […]

बेतला : बेतला क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक वैसे बच्चे हैं जो एप्लास्टिक एनीमिया, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया सहित शरीर में खून नहीं बनने वाली अन्य बीमारियों पीड़ित हैं. ऐसे बच्चे अपना जीवन बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बीमार बच्चों के माता-पिता किसी तरह से जुगाड़ कर इन्हें खून उपलब्ध करा रहे हैं.

इन लोगों को ब्लड बैंक द्वारा खून उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. बीमार बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि जब ब्लड बैंक पहुंचते हैं तो यह कहा जाता है कि खून उपलब्ध नहीं है. लाचार होकर मरीज के परिजन किसी तरह से खून का जुगाड़ करते हैं. लेकिन किसी अनहोनी से वे काफी भयभीत हैं. बेतला के मुख्तार अंसारी के पांच वर्षीय पुत्र समीर अंसारी सिकल सेल एनीमिया से ग्रसित है. उसे यह बीमारी पिछले साढ़े चार वर्षों से है.
छह माह की अवस्था में ही जब हालत बिगड़ गयी थी तब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. चिकित्सकों ने उसे वेल्लोर रेफर कर दिया था. जहां जांचोंपरांत यह पता चला कि उसे सिकल सेल एनीमिया नामक बीमारी है. इसी तरह नसीम अंसारी का आठ वर्षीय पुत्र राज अंसारी,अयूब आलम की 10 वर्षीय पुत्र पुत्री रूबी,रसीद आलम की पत्नी श्मशीन प्रवीण, हाजी हनीफ की नतनी, अहमद अंसारी का छह वर्षीय पुत्र दिलशाद रजा, कुटमू के सुखू सिंह का पुत्र, महेंद्र सिंह का पुत्र सहित कई बच्चे हैं जो शरीर में खून नहीं बनने वाले बीमारियों से पीड़ित हैं.
इन्हें जिंदा रहने के लिए हर माह खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. खून का जुगाड़ करने की चिंता में इन बच्चों के पिता सहित अन्य परिजन भाग-दौड़ करते हैं. किसी तरह से जुगाड़ करने के बाद ही खून उपलब्ध होता है. सभी पीड़ित के परिजनों का कहना है कि लातेहार ब्लड बैंक में जब वे लोग पहुंचते हैं तो उन्हें सीधा यह कहा जाता है कि खून उपलब्ध नहीं है.
नजदीक होने के कारण जब पलामू के मेदनीनगर पहुंचते हैं तब उन्हें यह कहा जाता है कि वे लातेहार जिला के हैं इसलिए उन्हें मेदनीनगर ब्लड बैंक से खून नहीं मिलेगा. हाल ही में बेतला नेशनल पार्क से सटे कुटमू गांव की छात्रा विद्यावती की खून की कमी से हुई मौत के बाद अभिभावकों में अपने बच्चों के जीवन को लेकर चिंता काफी बढ़ गयी है. पीड़ित बच्चों के माता-पिता के चेहरों पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है.

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